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लेखिका पारुल सुनिल त्रिपाठी: मेरा हिंदू होना, तुम्हारा मुसलमान होना काफी नहीं है........छोड़ ये धर्म जाति का प्रचार-प्रसार... पढ़ें पूरा..

  • by: news desk
  • 05 April, 2020
लेखिका पारुल सुनिल त्रिपाठी: मेरा हिंदू होना, तुम्हारा मुसलमान होना काफी नहीं है........छोड़ ये धर्म  जाति का प्रचार-प्रसार... पढ़ें पूरा..

लखनऊ:  पारुल सुनिल त्रिपाठी (लेखिका - लखनऊ विश्वविद्यालय की छात्रा है, विभिन्न सामाजिक एवं राजनीतिक मुद्दों पर कविता एवं कहानियों के माध्यम से अपनी आवाज बुलंद करती रहती है)|



पढ़ें---------



मेरा हिंदू होना, तुम्हारा मुसलमान होना काफी नहीं है

मेरे पिता हिंदू है तुम्हारे अब्बा मुसलमान है यह काफी नहीं है

सुनो इंतजार करो अभी अभी जन्म दिया है तुमने इंसान हो अभी तुम

कुछ रस्में होंगी कुछ रीवाजे होंगे जिससे मुझे इंसान से हिंदू बनाया जाएगा

और बकायदा तुम्हें भी इंसान से मुसलमान बनाया जाएगा



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मेरे भगवान तुम्हारे ना हो सकेंगे

तुम्हारे अल्लाह की खातिरदारी हम ना कर सकेंगे

सुनो तुम ऐसा करना

तुम इंसान से ऊपर उठ चुके हो अब

हम तुमसे जलेंगे तुम हमसे जलना।



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हम एक देश के नागरिक होंगे लेकिन सद्भावना हममें न होगी

हम आपस में भिड़ेंगे, कटेंगे, मरेंगे ,मिटेंगे लेकिन आपसी सहायता हमसे ना होगी

हम भूल जाएंगे कि हमारे पूर्वज एक थे अग्रज एक हो सकते हैं,

छोड़ ये धर्म  जाति का प्रचार-प्रसार फिर से इंसान जन्म ले सकते हैं।




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सुनो ना ,छोड़ो तुम अब मुल्ला को, हम पंडित को भूल जाएंगे

अब हम दोनों आपस में भाईचारे का संबंध बनाएंगे।









पारुल सुनील त्रिपाठी

लखनऊ विश्वविद्यालय




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