सुबह-सुबह चाय की महक तो आए-------पटक रहे पाँवों की धमक तो आए:डॉ एम डी सिंह
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सुबह-सुबह चाय की महक तो आए
फिर भींगे बालों की गमक तो आए
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वही नजर आऊंगा पुराना आशिक
चूड़ियों की कान में खनक तो आए
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झट उठ कर बैठ ना जाऊं तो कहना
जगाने पाजेब की झनक तो आए
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टटोलते हर कोना फिर दिखें नजरें
मदभरे निगाहों की सनक तो आए
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ठहाके फिर दौड़ पड़ें पीछे तेरे
पटक रहे पाँवों की धमक तोआए
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डॉ एम डी सिंह
पीरनगर, गाजीपुर (UP) पिछले पचास सालों से ग्रामीण क्षेत्रों में होमियोपैथी की चिकत्सा कर रहे हैं