चलिए ढूंढ लाएं -------डॉ एम डी सिंह
शहद की चासनी सी वो बातें कहाँ गईं
सुलाए सोती नहीं थीं जो रातें कहां गईं
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लगा कर पीठ से पीठ बैठी हुईं कहानियां
भरी गीतों से डोलियां बारातें कहां गईं
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हवाओं के भी बचाकर कान फुसफुसातीं वे
सुनसान जगहें, अनहद मुलाकातें कहां गईं
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किधर बैठी हैं जा कर जरा देखो तो दोस्तों
हंसी की दिखती ना कहीं सौगातें कहां गईं
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दिन भर घूमा करती थीं जो संग-साथ हमारे
उछल कूद से भरी वे खुराफातें कहां गईं
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डॉ एम डी सिंह
पीरनगर, गाजीपुर (UP)