लखनऊ: लखनऊ विश्वविद्यालय की छात्रा और वरुणा सैनी ने अपनी कविता के मध्यम से जीवन की समस्याओं को ,सामाजिक गतिविधियों सहित अपने विचार समय-समय पर प्रकट प्रकट करतीं रहतीं है| वरुणा सैनी ने अपनी एक और नई कविता के मध्यम से प्रेम के सम्बन्धों को बयाँ रही है|
काश, तुम्हें भी मुझसे प्यार होता,
न मेरा दिल टूटता
न तुम बेवफ़ा कहलाते।
अधूरी सी मैं,
तुझसे क़ामिल होती।
और,
बेवजह जिंदगी को,
जीने कि वज़ह मिलती।
काश, तुम्हें भी मुझसे प्यार होता।
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मेरी इज्ज़त,
तेरी शान बनती,
जो आंख उठाए कोई,
तो उसकी ही जान पर आन पड़ती।
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मेरी खुशियां,
तेरी चेहरे कि मुस्कान बनती,
जो आंसू लाए कोई,
तो उसकी खुशियां ही तमाम होती।
काश, तुम्हें भी मुझसे प्यार होता।
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जब बिखरने लगती मैं,
तो सहारा तू होता।
और जब निखरने लगती मैं,
तो उजियारा तू होता|
काश, तुम्हें भी मुझसे प्यार होता।
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शायद,सुन ली खुदा ने मेरी इबादत,
प्यार तुमको भी होने लगा था,
मगर शायद बेकार ही तुमको होने लगा था।
प्यार के नाम कि आड़ में आकर,
जिस्म के तुम प्यासे निकले,
झूठे तुम्हारे दिलासे निकले,
सच्चे मेरे आंसू निकले।
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काश, मेरे यार तू ऐसा न होता,
मेरे दिल का तू गुनहगार न होता।
प्यार जब तुझको मेरी रूह से होता,
फिर मैं कहती,
काश, तुम्हें भी मुझसे प्यार होता।