कुख्यात कल्लू नज्जू गैंग सदस्य देवेंद्र फौजी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। परौर का रहने वाला कल्लू गिरोह का सरगना था और उसका सबसे करीबी साथी नज्जु था, कुछ समय बात नज्जु ने पीलीभीत में रहने वाले भांजे देवेंद्र को शामिल किया। देवेंद्र कद काठी से लंबा और मजबूत था इसलिए कल्लू ने उसका ओहदा गिरोह में खास रखा और उसको एक नया नाम फौजी दिया। बात 12 अक्टूबर 1999 की है जब थाना परौर के ग्राम मंझा दहिनिया के प्रधान गिरन्द सिंह के भाई बचनपाल सिंह मेहमानी में मदनापुर के मोहनिया गॉव में गया हुआ था। रात में सभी लोग मौसेरे भाई केशव सिंह की बैठक में सो रहे थे, करीब 01 बजे हथियारों से लैस कल्लू नज्जु गिरोह ने बचन पाल सिंह का अपहरण कर लिया। 14 अक्टूबर 1999 को पुलिस ने प्रधान गिरन्द सिंह की तहरीर पर कल्लू, नज्जु, दिनेश, महेश, बुल्ले, बच्चन, देवेंद्र फौजी पर धारा 364 (अपहरण) का केस दर्ज किया। 28 दिसंबर 1999 यानी दो माह बाद गिरन्द सिंह को चचुआपुर गॉव में भाई बचन पाल सिंह के कपड़े जंगल मे बिखरे मिले, खोजबीन पर पुलिस ने गड्ढे से कंकाल बरामद किया। बचन पाल सिंह का कंकाल मिलने के बाद पुलिस ने मुकदमे में धारा 302,201 की बढ़ोत्तरी की गयी, मुकदमा दौरान पुलिस ने कल्लू, बुल्ले, दिनेश को एनकाउंटर में ढेर कर दिया। 28 जनवरी 2004 को कोर्ट नज्जु, महेश, बच्चन को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई, उस समय देवेंद्र फौजी फरार चल रहा था। अब शाहजहांपुर न्यायालय ने देवेंद्र फौजी को अपहरण हत्या और साक्ष्य मिटाने के मामलों में आजीवन कारावास की सजा सुनाते हुए 30 हजार का जुर्माना भी लगाया है। यही नही मार्च 2024 में जनपद फर्रूखाबाद न्यायालय ने देवेंद्र फौजी को 2005 में तीन पुलिसकर्मियों की हत्या के मामले में फांसी की सज़ा सुनाई थी, इसके बाद हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया था।