कवयित्री अरुणा शैब्या द्वारा रचित अब तक की सबसे सर्व श्रेष्ठ आत्मप्रेरणादायक कविताओं के काव्यसंग्रह

कवयित्री अरुणा शैब्या द्वारा रचित अब तक की सबसे सर्व श्रेष्ठ आत्मप्रेरणादायक कविताओं के काव्यसंग्रह "विजयश्री" की समीक्षा.
बंजर के पौधे
उन पौधों के साहस को देखो ...
जो पत्थर तोड़ उग जाते हैं।
उनको डर नहीं हिमालय से। ...
अपने दॄढ़ निश्च्य से ही वे
पाताल से जल ले आते हैं।
जो पत्थर तोड़ उग जाते हैं।
कवयित्री/लेखिका अरुणा शैब्या ने हमें "विजयश्री" काव्यसंग्रह से जीवन के उतार-चढ़ाव और जीवन की हरबाजी में हर बाजी में आत्मचिंतन और आत्ममनन के सहित आत्मविश्लेषण के महत्व के बारे में बताया हैं। जब हम जीवन केएक पड़ाव पर पहुंच जाते हैं, जहां हमारा मन थक जाता है, हम अंदर और बाहर से थकने लगते हैं, जीवन की दौड़ में चलते-चलते, दौड़ते-दौड़ते हुए कभी-कभी हम गिर जाते हैं तब ऐसे समय में हम अपना मनोबल खो बैठते हैं और जीवन में निराश होकर बैठ जाते हैं, तब यह “विजयश्री” काव्यसंग्रह की हर पंक्ति और हर कविता हमें जीवन की हर हारी हुई बाजी को जीतने की शक्ति, जुनून, आत्मविश्वास और आत्म-प्रेरणा देती हैं।
ये कविताएँ सभी उम्र के लोगों को अवश्य पढ़नी चाहिए क्योंकि यह पुस्तक सभी उम्र के लोगों को जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए प्रेरित करती है। जीवन के हर पड़ाव जहां पर हम सभी को आत्म-प्रेरणा और आत्मविश्वास की सबसे ज्यादा जरूरत होती हैं। वहा यह काव्यसंग्रह “विजयश्री” हमारे लिए एक ब्रह्मास्त्र की तरह साबित होती हैं। जिससे हम जीवन के हर हारे हुए खेल को जीत सकते हैं और जीवन की हर मुश्किल का हम
डटकर सामना कर सकते हैं। यह केवल एक काव्यसंग्रह नहीं बल्कि आत्म-प्रेरणा का एक पूरा पैकेज हैं।
आगाज और अंजाम
हौंसले वे रास्ते हैं
जो मंजिलों तक ले कर जाए।
ठान लो तो कैसे कोई
स्वप्न में बाधा ले आए।
ये कविताएँ हमें ऊँची उड़ान भरने का ज़ज्बा और आत्म-शक्ति प्रदान करती हैं। प्रत्येक छात्र और कर्मचारी से लेकर व्यवसायी को यह काव्यसंग्रह "विजयश्री" को अवश्य पढ़ना चाहिए। मैं ये वादा करता हूँ, इस काव्यसंग्रह "विजयश्री" को पढ़ने के बाद आपको किसी भी प्रेरक या आत्म-प्रेरणा के सेमिनार और क्लास में शामिल होने की आवश्यकता नहीं होगी।
इस काव्यसंग्रह की प्रत्येक कविता आपके अंतर्मन को आत्म-प्रेरणा की शक्ति और ऊर्जा से भर देगी। जब भी आपको आत्म-प्रेरणा की आवश्यकता महसूस हो या आपको आत्म-प्रेरणा की आवश्यकता हो, तब-तब "विजयश्री" काव्यसंग्रह की ये प्रत्येक कविता आत्म-प्रेरणा और आत्मविश्वास के लिए आपकी अपेक्षाओं को पूरा करेगी। हर बार यह आपके मन को सकारात्मक ऊर्जा, आत्म- प्रेरणा और आत्मविश्वास से भर देगा। इस काव्यसंग्रह को पढ़ने और इसे अपने मन में उतारने के बाद, नियति भी आपकोआपके जीवन के किसी भी अध्याय में सफलता हासिल करने और अपने सपनों की उड़ान भरने से नहीं रोक सकेगी।
नियति को सन्देश दे दो
अब हार तुम सकते नहीं,
ये नियति को सन्देश दे दो।
हारेगा अब से हार भी
ऐसा तुम संकल्प ले लो।
यह पुस्तक आपको अपने जीवन/जीविका और व्यवसाय के हर पल में आत्मविश्वास और आत्म-प्रेरणा के साथ अपने साहस और मन की शक्ति को एक सही दिशा में केंद्रित करने में मदद करेगी और आपको हमेशा मजबूत बनाए रखेगी। यह उस तरह की किताब नहीं है जो एक बार पढ़ने के बाद किताबों की अलमारी में ही पड़ी रहेगी।
लेकिन जब भी आप जीवन, करियर और व्यवसाय में आने वाली मुश्केलीओं से थक जायेंगे, तब यह काव्यसंग्रह पढने पर वो आपके लिए श्रीकृष्णारूपी सारथी बनकर आपके मन को पूरी तरह से आत्म-प्रेरणा, आत्मबल और आत्मविश्वास से भर देगा और आपके लक्ष्य को प्राप्त करने के उत्साह को बनाए रखने में मदद करेगा। आपको जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए कड़ी से कड़ी मेहनत करने के लिए प्रेरित कर, आपको जीवन के हर अध्याय की परीक्षा में “विजयी” बनाएगा!!!
स्वयं को प्रेरित करने वाली आत्म-प्रेरणादायक कविताओं का एक मात्र श्रेष्ठ काव्यसंग्रह "विजयश्री"...ऐसी प्रेरक कविताओं के इस अद्भुत काव्यसंग्रह "विजयश्री" के लिए अरुणा शैब्याजी को बहुत-बहुत धन्यवाद...
पुस्तक समीक्षक: - विशाल चावडा की कलम से
Book Link: - https://bit.ly/Vijayshreebyaruna
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