Ram Bahal Chaudhary,Basti
Share

रविकान्त 's Blog - सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के कन्नौज के कार्यक्रम में जो घटना हुई उसके कई मायने

  • by: news desk
  • 16 February, 2020
रविकान्त 's Blog - सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के कन्नौज के कार्यक्रम में जो घटना हुई उसके कई मायने

लखनऊ: सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के कन्नौज के कार्यक्रम में जो घटना हुई उसके कई मायने हैं। भाजपा समर्थक ने अखिलेश यादव के सामने बेरोजगारी का मुद्दा उठाया।एक मंझे हुए राजनेता की तरह अखिलेश ने उसे मंच के पास बुलाया।शायद यह सोचकर कि नौजवानों की इस वाजिब माँग को उसके मार्फत वे ज्यादा प्रामाणिक ढंग से कह पाएंगे और भाजपानीत केन्द्र और राज्य सरकार को घेर पाएंगे। लेकिन उस शरारती तत्व ने अपनी योजना के अनुसार मंच के समीप आकर 'जय श्रीराम' का नारा लगाया। 




सर्वविदित है कि भाजपा और संघ ने जय श्रीराम जैसे संबोधन को एक उग्र राजनीतिक नारा बना दिया है।अखिलेश ने पहले उस नौजवान के सामने एक सधी हुई प्रतिक्रिया दी।लेकिन उग्र नारेबाजी से अखिलेश उत्तेजित हो गये।अखिलेश को प्रोवोक करने की उसकी रणनीति काम कर गयी। इसके बाद अखिलेश ने मंच से जो बोला वास्तव में वह नहीं बोला जाना चाहिए था।हालांकि अखिलेश ने ऐसा कुछ नहीं कहा जो आपत्तिजनक हो।लेकिन यह अखिलेश की छवि के बिल्कुल विपरीत है।




उ.प्र.की राजनीति में अखिलेश यादव को बहुत शालीन और साफसुथरी छवि का माना जाता है।समाजवादी पार्टी पर पिछले एक डेढ़ दशक में जिस तरह के आरोप लगते रहे हैं,उससे अखिलेश ने अपने को बचाए रखा।जब से वे राष्ट्रीय अध्यक्ष हुए तो उन्होंने सपा की जो स्याह छवियाँ बनाई गयी थीं,उनसे मुक्त करने का लगातार प्रयास किया है। ऐसा करने में परिवार की कलह भी सामने आई। 





लेकिन अखिलेश अपने मकसद से ना डिगे और ना भटके।वास्तव में  सपा परिवार की कलह अखिलेश द्वारा सपा को गुण्डई और भ्रष्टाचार जैसे आरोपों से दूर करके उ.प्र.की राजनीति में एक नई इबारत लिखना था।इसमें वे कामयाब हुए लेकिन चुनाव हार गये।अब जबकि भाजपा शासन से जनता परेशान है और बदलाव लाना चाहती है ऐसे में जनता की पहली पसंद अखिलेश के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी बन रही है।भाजपा अखिलेश की शालीन,कर्मठ और साफ सुथरी छवि को बट्टा लगाना चाहती है।भाजपा स्थापित करना चाहती है कि अखिलेश की सपा और पुरानी सपा में कोई अंतर नहीं है।इसलिए वह अपने उग्र समर्थक भेजकर अखिलेश को उत्तेजित करना चाहती है।





भाजपा समर्थक की इस हरकत को हालिया दिल्ली विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भी देखा जाना चाहिए।दिल्ली फतह करने के लिए भाजपा ने अपने तरकश के सारे तीर इस्तेमाल किए।शाहीन बाग के लोकतांत्रिक विरोध प्रदर्शन के बहाने विरोधियों को गालियाँ और गोलियाँ दागने की भी भाषा बोली गयी।नफरत,घृणा और हिंसा के साथ साथ भाजपा ने अपने प्रधानमंत्री समेत अनेक कैबिनेट मंत्री, मुख्यमंत्री और करीब दो सौ सांसदों की फौज प्रचार में उतारी थी।लेकिन भाजपा को एक बार फिर से दिल्ली विधान सभा चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा।इस पराजय से बौखलाई भाजपा काँग्रेस पार्टी के बुरे प्रदर्शन को अपनी हार का कारण बता रही है।





दरअसल दिल्ली में काँग्रेस ने अपनी रणनीति के मुताबिक लड़ाई से बाहर रहना ही बेहतर समझा। काँग्रेस के लिए भाजपा और आम आदमी पार्टी दोनों ही राजनीतिक शत्रु हैं।लेकिन काँग्रेस ने छोटे शत्रु के हाथों बड़े शत्रु को निबटाना ही बेहतर समझा।इसीलिए राहुल गाँधी बायनाड और जयपुर में रैलियाँ कर रहे थे तो प्रियंका गाँधी उ.प्र. में सक्रिय थीं।दिल्ली में भाजपा और आप सीधे मुकाबले में थे।इसमें भाजपा को धूल चाटनी पड़ी।दिल्ली से सबक लेकर भाजपा उ.प्र.में अपना चुनावी एजेंडा सैट करने में लग गयी है।भाजपा उ.प्र. में मुकाबले को दो दलों में नहीं बल्कि काँग्रेस के साथ तीन दलों में करना चाहती है।अभी के हालातों में उ.प्र. में सपा के पक्ष में एकतरफा मुकाबला दिख रहा है।कानून व्यवस्था से लेकर किसान-नौजवान की जो समस्याएं हैं उनका समाधान योगी आदित्यनाथ की सरकार नहीं कर पा रही है।हालांकि नरेद्र मोदी और अमित शाह की केन्द्र सरकार योगी को बतौर मुख्यमंत्री अच्छी छवि का देखना भी नहीं चाहती।लेकिन गुजरात की यह जोड़ी उ.प्र. को कतई गँवाना भी नहीं चाहेगी।भाजपा के दोनों शीर्षस्थ नेता जानते हैं कि दिल्ली का रास्ता उ.प्र. होकर ही जाता है।इसलिए उ.प्र.को फतह करना भाजपा के लिए जरूरी है।





2022 में होने वाले उ.प्र. विधानसभा चुनाव के लिए राजनीतिक दलों ने कमर कस ली है।प्रियंका गाँधी के नेतृत्व में काँग्रेस पार्टी लगातार सक्रिय है।सरकार के खिलाफ हर मुद्दे पर वह  अपनी दस्तक दे रही है।काँग्रेस के पास प्रदेश अध्यक्ष के रूप में अजय सिंह लल्लू जैसे कर्मठ नेता हैं।बावजूद इसके अभी उसके पास जमीन नहीं है।पिछले तीन दशकों में उसका जनाधार खासकर दलित मुस्लिम और ब्राह्मण धीरे धीरे दूसरे राजनीतिक दलों के साथ चले गये हैं 





।ऐसा लगता है कि भाजपा उ.प्र.में काँग्रेस पार्टी को विभिन्न मुद्दों पर वाकोबर दे रही है। भाजपा उ.प्र. में काँग्रेस को मजबूत देखना चाहती है।ताकि मुकाबला त्रिकोणीय हो जाए। इस स्थिति में आम जनता के ना चाहते हुए भी अपने कोर वोटरों के समर्थन से भाजपा सत्ता में वापसी करने की जुगत में है।इसके लिए भाजपा की जरूरत यह भी है कि अखिलेश यादव की छवि को नुकसान पहुँचाया जाए।जनमानस में स्याह छवि पेश करके भाजपा लोगों के सामने खुद के अलावा कोई विकल्प नहीं रहने देने की रणनीति पर आगे बढ़ेगी। 






पिछले लोकसभा चुनाव में जिस तरह भाजपा संघ की कैम्पेन थी कि अच्छा है या बुरा है लेकिन मोदी के अलावा जनता के पास कोई विकल्प नहीं है।इसके लिए भाजपा संघ ने राहुल गाँधी से लेकर ममता बनर्जी और मायावती सबकी छवि को स्याह और विभिन्न आरोपों से घिरी साबित किया। इसके साथ अपने उग्र राष्ट्रवाद और हिंदुत्व के एजेंडे पर राजनीतिक जीत हासिल की।इसी रणनीति और एजेंडे को भाजपा उ.प्र. में दोहराना चाहेगी। फिलहाल अखिलेश यादव की जो शालीनता,ईमानदारी,कर्मठता की साफ सुथरी छवि है उससे विभिन्न समुदायों के लोग उनके समर्थन में आ रहे हैं। 





बसपा के कमजोर होने से दलित समुदाय अखिलेश की ओर उम्मीद लगाए बैठा है।अखिलेश ने बहुजन नायक नायिकाओं की जयंतियाँ मनाने की शुरूआत की है।दलित पिछड़ों को लग रहा है कि हिन्दुत्व के भेदभावपरक जातिवादी एजेंडे से मुक्ति दिलाने और सामाजिक न्याय की लड़ाई को लड़ने में अखिलेश यादव ही सक्षम हैं।अखिलेश ने पिछले दिनों में अपने कार्यकाल में त्रिस्तरीय आरक्षण और प्रमोशन में आरक्षण को खत्म करने को अपनी भूल स्वीकार किया है।






इस स्वीकारोक्ति ने भी अखिलेश की छवि और विश्वसनीयता को समृद्ध किया है।इस छवि को ही भाजपा नुकसान पहुँचाना चाहती है।ऐसा लगता है कि यह महज शुरूआत है।आने वाले समय में भाजपा अखिलेश यादव को और भी ज्यादा प्रोवोक करेगी।अखिलेश के लिए जरूरी है कि वे बिना उत्तेजित हुए भाजपा और संघ के षडयंत्र का पर्दाफाश करें।साथ ही दलित मुस्लिम किसान नौजवान के मुद्दों पर सपा को सक्रिय करें।अखिलेश को अपने दूसरे सुलझे और साफ सुथरी छवि वाले नेताओं को भी आगे लाकर सरकार की असफलताओं और नाकामियों पर घेरना चाहिए।बिना उत्तेजित हुए संघर्ष का रास्ता ही सपा और अखिलेश को सत्ता में वापस ला सकता है।









रविकान्त,लखनऊ विश्वविद्यालय






आप हमसे यहां भी जुड़ सकते हैं
TVL News

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें : https://www.facebook.com/TVLNews
चैनल सब्सक्राइब करें : https://www.youtube.com/TheViralLines
हमें ट्विटर पर फॉलो करें: https://twitter.com/theViralLines
ईमेल : thevirallines@gmail.com

You may like

स्टे कनेक्टेड

विज्ञापन