आजादी का हीरक वर्ष: देशभक्ति का जज्बा देगा महुआ डाबर क्रांतिगीत, रिलीज होने को तैयार
- कर्नल तिलक राज ने लिखा गीत
- मशहूर गायक डॉ. गजल श्रीनिवास ने दी आवाज़
बस्तीः जनपद के बहादुरपुर ब्लाक अंतर्गत गैर-चिरागी गांव ‘महुआ डाबर’ को आजादी के हीरक वर्ष में जोशो-खरोश से याद किया जा रहा है। महुआ डाबर की ऐतिहासिक इंकलाबी जमीन की पहचान और उसके साहस को जिंदा रखने के लिए महुआ डाबर क्रांतिगीत तैयार किया गया है। इसे लिखा है चीफ पीएमजी रहे कर्नल तिलक राज ने और इसे जोशीले अंदाज में स्वर दिया है 150 भाषाओं में गाने वाले डॉ. गजल श्रीनिवास ने। इस गीत को आजादी का अमृत महोत्सव को समर्पित किया गया है। क्रांति के स्थल महुआ डाबर में आगामी 10 जून को महुआ डाबर जन- विद्रोह दिवस समारोह का आयोजन किया जा रहा है। इसमें सामाजिक-सांस्कृतिक, शैक्षणिक, राजनीतिक आदि तबको के लोग हिस्सेदारी करेंगे। 10 जून, 1857 की आजादी की साझा लड़ाई की गौरवशाली विरासत की याद में महुआ डाबर को रोशन किया जाएगा।
कर्नल तिलक राज ने लिखा महुआ डाबर गीत
महुआ डाबर गीत के रचने वाले कर्नल तिलक राज हैं जैसा कि उनके नाम से जाहिर है कि वह एक फौजी अधिकारी रहे हैं और उन्होंने फौजी सेवा के साथ-साथ शायरी को भी गले लगाया। एक हाथ में बंदूक थामे हुए उन्होंने देश की सरहदों की जहां रक्षा की, वहीं दूसरी ओर कविता के क्षेत्र में भी शोहरत कमायी। चीफ़ पीएमजी पंजाब एवं चण्डीगढ़ के उच्च पद से रिटायर होने के बाद क़लम को ही अपना औजार बनाया और अपने गीतों तथा ग़ज़लों द्वारा प्यार, मुहब्बत का पैगाम दिया। वह न केवल नफ़रत की दीवारों को तोड़ने का शक्तिशाली जज़्बा पैदा करते हैं बल्कि सभी प्रकार की बुराईयों और अत्याचार के ख़िलाफ़ निरंतर लड़ने का आह्वान भी करते हैं। सेना में उत्कृष्ट कार्यों के लिए, थलसेना अध्यक्षों ने उन्हें दो बार सम्मानित किया। पंजाबी, हिन्दी, डोगरी और अंग्रेज़ी के गहरे जानकार कर्नल तिलक राज ने कई पुस्तकों की रचना भी की। जालियांवाला बाग शताब्दी गीत भी उन्होंने लिखा था और आजादी का अमृत महोत्सव वर्ष में महुआ डाबर गीत लिखकर क्रांतिवीरों को आदरांजलि दी है।
डॉ. गजल श्रीनिवास ने दी आवाज़
प्रेरणादायक आवाज के जादूगर और पायनियर आफ तेलगु गजल मास्टरो, दुनिया भर में 6000 से अधिक संगीत और गजल कार्यक्रम पेश करने वाले, 500 से अधिक पुरस्कारों से नवाजे जाने वाले, अद्वितीय कलाकार जिनका नाम तीन बार गिनीज बुक आफ रिकार्ड में दर्ज हुआ, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी परिवार में जन्मे डॉ. केसिराजु श्रीनिवास लोकप्रिय गज़ल गायन की वजह से गज़ल श्रीनिवास के नाम से सुविख्यात हैं। वे हमेशा अपने गायन के माध्यम से श्रोताओं को प्रेरित और उत्साहित करके उनकी सांस्कृतिक जड़ों तक ले जाते हैं। ग़ज़ल गायन की एक अनूठी शैली विकसित करने वाले डॉ. श्रीनिवास ने अपने मधुर आवाज, असाधारण गायन, लुभावन संगीत, आत्मा के लिए रचनाएं, बेदाग उच्चारण से लोगों के दिलों को हमेशा धड़काया है।
गौरतलब है कि ट्रिपल गिनीज विश्व रिकार्डधारी डॉ. गजल श्रीनिवास ने वर्ष 2008 में एक लाइव कंसर्ट में 100 वैश्विक भाषाओं को गाकर पहला गिनीज विश्व रिकार्ड बनाया था। वर्ष 2009 में 125 भाषाओं में ‘द पाथ आफ महात्मा’ ऑडियो एल्बम से दूसरी बार गिनीज विश्व रिकार्ड बनाया। वहीं वर्ष 2010 में 24 घंटों में 55 संगीत समारोह करके तीसरी बार गिनीज विश्व रिकार्ड बनाया। 150 भाषाओं में गाकर जल्द ही उनका चौथा विश्व गिनीज बुक रिकार्ड बनने वाला है।
गीत के यह हैं बोल
'महुआ डाबर! 'महुआ डाबर!'
इतिहास का है काला दिन
शहीदों के त्याग का है अद्भुत दिन
आज़ादी संग्राम के हिम्मत के दिन
शहीदों के लहू की इज्ज़त के दिन
इंकलाब! ज़िन्दाबाद !
इंकलाब! ज़िन्दाबाद!
पिरई खां जाँबाज़! तेरी जय हो!
पिरई खां ज़ाँबाज़! तेरी जय हो!
तेरी जय हो! तेरी जय हो!
तेरी जय हो, तेरी जय हो! तेरी जय हो!
बिगुल इंसाफ का तूने बजाया
आज़ादी का परचम था लहराया
गगन तक गूंजे तेरी आवाज़ हो
पिरई खां ज़ांबाज़ तेरी जय हो!
पिरई खां ज़ांबाज़ तेरी जय हो, तेरी जय हो!
क्रांति के मानी तूने बताए
महुआ डाबर के लोग जगाए
गुरिल्ला जंग का आगाज़ हो
पिरई खां तुम सबके सरताज हो!
जय हो! जय हो! जय हो! जय हो!
अंग्रेजों ने घर-घर को जलाया
देशभक्तों को सूली पर चढ़ाया
महुआ डाबर को मिट्टी में मिलाया
लोगों का क़त्ले-आम कराया
लोगों का क़त्ले-आम कराया
महुआ डाबर! महुआ डाबर!
शहीदों को हम याद करें, श्रद्धा के फूल चढ़ाएँ
आज़ादी पैग़ाम उनका, जनता तक पहुंचाएं
इंकलाब! ज़िन्दाबाद!
इंकलाब! ज़िन्दाबाद!
इंकलाब! ज़िन्दाबाद!
इंकलाब! ज़िन्दाबाद!
-कर्नल तिलक राज