लखनऊ: सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा,“गाली कभी धर्म का हिस्सा नहीं हो सकता। अपमान करना किसी धर्म का उद्देश्य नहीं होता। जिन पाखंडियों ने धर्म के नाम पर पिछड़ो, महिलाओं को अपमानित किया, नीच कहा, वो अधर्मी हैं...| उन्होंने कहा ,“किसने कहा रामचरितमानस धार्मिक ग्रंथ है? तुलसीदास ने तो नहीं कहा|
इससे पहले, सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने एक ट्वीट में कहा,“धर्म की दुहाई देकर आदिवासियों, दलितों-पिछड़ों व महिलाओं को अपमानित किए जाने की साजिश का विरोध करता रहूँगा, जिस तरह कुत्तों के भौंकने से हाथी अपनी चाल नहीं बदलती उसी प्रकार इनको सम्मान दिलाने तक मैं भी अपनी बात नहीं बदलूंगा।
स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान पर पलटवार पर करते हुए भाजपा नेता व प्रदेश के मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा,“सपा के कार्यकाल में माताओं-बहनों की इज़्ज़त आबरू कभी सुरक्षित नहीं रही, अब स्वामी प्रसाद मौर्य ऐसे बयान देकर कौनसी दुहाई देना चाहते हैं ?.. रामचरितमानस महाकाव्य है उसपर टिपण्णी करना उनकी छोटी मानसिकता को दर्शाता है|
बता दे कि, हाल ही में स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा था कि, रामचरितमानस के कुछ छंद में रामचरितमानस में दलितों और महिलाओं का अपमान किया गया है। तुलसीदास ने ग्रंथ को अपनी खुशी के लिए लिखा था। करोड़ों लोग इसे नहीं पढ़ते। सरकार को इसका संज्ञान लेते हुए रामचरित मानस से जो आपत्तिजनक अंश है, उसे बाहर करना चाहिए या इस पूरी पुस्तक को ही बैन कर देना चाहिए|
रामचरितमानस पर दिए गए बयान को लेकर सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की जीभ काटने एवं सिर काटने वालों के लिए इनाम की घोषणा की गई थी| इसके बाद स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा था कि,अभी हाल में मेंरे दिये गये बयान पर कुछ धर्म के ठेकेदारों ने मेरी जीभ काटने एवं सिर काटने वालों को इनाम घोषित किया है, अगर यही बात कोई और कहता तो यही ठेकेदार उसे आतंकवादी कहते, किंतु अब इन संतों, महंतों, धर्माचार्यों व जाति विशेष लोगों को क्या कहा जाए आतंकवादी, महाशैतान या जल्लाद।