लखनऊ: किसान महापंचायत लखनऊ: भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ( Rakesh Tikait, National spokesperson of Bhartiya Kisan Union) ने लखनऊ के इकोगार्डन में आयोजित किसान महापंचायत में हिस्सा लिया।
किसान महापंचायत में किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा,' आंदोलन नहीं रुकेगा क्योंकि एमएसपी गारंटी कानून, बीज बिल और दूध नीति जैसे हमारे कई मुद्दों का समाधान होना बाकी है। सरकार हमसे बात करे, नहीं तो हम घर नहीं जाएंगे|
लखनऊ में किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा,''केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी को बर्खास्त किया जाए। MSP पर क़ानून बनाओ। 750 किसानों की मृत्यु हुई उनका ध्यान रखा जाए। दूध के लिए भी एक नीति आ रही है उसके भी हम ख़िलाफ़ है, बीज क़ानून भी है। इन सब पर बातचीत करना चाहते हैं|
केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार की ओर से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर अभी कोई भी ऐलान नहीं हुआ है| एमएसपी एक बड़ा सवाल है| एमएसपी पर खरीदारी को लेकर टिकैत ने कहा कि सरकार झूठ बोल रही है| उन्होंने कहा कि झूठ का कोई इलाज नहीं है|
किसानों के मुद्दों को लेकर लखनऊ में आज किसान महापंचायत हुई| यह महापंचायत सुबह 10 बजे से शुरू हुई| इस महापंचायत में राकेश टिकैत, दर्शनपाल, बलबीर सिंह राजेवाल, जोगिंदर सिंह उगराहां समेत कई किसान नेता मौजूद रहें| यह महापंचायत लखनऊ के इकोगार्डंन (पुरानी जेल) बंगला बाजार में आयोजित की गई है, जो सुबह 10 बजे शुरु हुई|
बता दें कि भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने ट्वीट कर किसानों से अपील की थी कि ज्यादा से ज्यादा संख्या में लोग इस महापंचायत में पहुंचे| 'चलो लखनऊ-चलो लखनऊ' नारे के साथ उन्होंने रविवार को ट्वीट कर लिखा, ''सरकार की ओर से जिन कृषि सुधारों की बात की जा रही है, वे नकली और बनावटी हैं| इन सुधारों से किसानों की बदहाली रुकने वाली नहीं है| कृषि एवं किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानून बनाना सबसे बड़ा सुधार होगा|
कृषि कानून वापस लेने के ऐलान के बाद रविवार को संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक लेटर लिखा। संयुक्त किसान मोर्चा ने खत में लिखा है कि,'' देश के करोड़ों किसानों ने 19 नवंबर 2021 की सुबह राष्ट्र के नाम आपका संदेश सुना। हमने गौर किया कि 11 राउंड वार्ता के बादं आपने द्विपक्षीय समाधान की बजाय एकतरफा घोषणा का रास्ता चॅना, लेकिन हमें खुशी है कि आपने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की है। हम इस घोषणा का स्वागत करते हैं और उम्मीद करते हैं कि आपकी सरकार इस वचन को जल्द से जल्द और पूरी तरह निभायेगी।
किसान संगठनों ने कहा,''प्रधानमंत्री जी, आप भली-भांति जानते हैं कि तीन काले कानूनों को रद्द करना इस आंदोलन की एकमात्र मांग नहीं है। संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार के साथ वार्ता की शुरुआत से ही तीन और मांगे उठाई थी|
1. खेती की संपूर्ण लागत पर आधारित (C2+50%) न्यूनतम समर्थन मूल्य को सभी कृषि उपज के ऊपर, सभी किसानों का कानूनी हक बना दिया जाय, ताकि देश के हर किसान को अपनी पूरी फसल पर कम से कम सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की गारंटी हो सके। (स्वयं आपकी अध्यक्षता में बनी समिति ने 2011 में तत्कालीन प्रधानमंत्री को यह सिफारिश दी थी और आपकी सरकार ने संसद में भी इसके बारे में घोषणा भी की थी)
2. सरकार द्वारा प्रस्तावित "विद्युत अधिनियम संशोधन विधेयक, 2020/2021" का ड्राफ्ट वापस लिया जाए (वार्ता के दौरान सरकार ने वादा किया था कि इसे वापस लिया जाएगा, लेकिन फिर वादाखिलाफी करते हए इसे संसद की कार्यसूची में शामिल किया गया था) 3. "राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और इससे जुड़े क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग अधिनियम, 2021" में किसानों को सजा देने के प्रावधान हटाए जाए (इंस साल सरकार ने कुछ किसान विरोधी प्रावधान तो हटा दिए लेकिन सेक्शन 15 के माध्यम से फिर किसान को सजा की गुंजाइश बना दी गई है)
आपके संबोधन में इन बड़ी मांगों पर ठोस घोषणा ना होने से किसानों को निराशा हुई है। किसान ने उम्मीद लगाई थी की इस ऐतिहासिक आंदोलन से न सिर्फ तीन कानूनों की बला टलेगी, बल्कि उसे अपनी मेहनत के दाम की कानूनी गारंटी भी मिलेगी।
प्रधानमंत्री जी, पिछले एक वर्ष में इस ऐतिहासिक आंदोलन के दौरान कुछ और मुद्दे भी उठे हैं जिनका तत्काल निपटारा करना अनिवार्य है:
4. दिल्ली, हरियाणा, चंडीगढ़, उत्तर प्रदेश और अनेक राज्यों में हजारों किसानों को इस आंदोलन के दौरान (जून 2020 से अब तक) सैकड़ों मुकदमो में फंसाया गया है। इन केसों को तत्काल वापस लिया जाए।
5. लखीमपुर खीरी हत्याकांड के सूत्रधार और सेक्शन 120B के अभियुक्त अजय मिश्रा टेनी आज भी खुले घूम रहे हैं और आपके मंत्रिमंडल में मंत्री बने हए हैं। वह आपके और अन्य वरिष्ठ मंत्रियों के साथ मंच भी साझा कर रहे हैं। उन्हें बर्खास्त और गिरफ्तार किया जाए।
6. इस आंदोलन के दौरान अब तक लगभग 700 किसान शहादत दे चुके हैं। उनके परिवारों के मुआवजे और पुनर्वास की व्यवस्था हो। शहीद किसानों स्मृति में एक शहीद स्मारक बनाने के लिए सिधू बॉर्डर पर जमीन दी जाय।
प्रधानमंत्री जी, आपने किसानों से अपील की है कि अब हम घर वापस चले जाए। हम आपको यकीन दिलाना चाहते हैं कि हमें सड़क पर बैठने का शौक नहीं है। हम भी चाहते हैं कि जल्द से जल्द इन बाकी मुद्दों का निपटारा कर हम अपने घर, परिवार और खेती बाड़ी में वापस लौटे। अगर आप भी यही चाहते हैं तो सरकार उपरोक्त छह मुद्दों पर अविलंब संयुक्त किसान मोर्चा के साथ वार्ता शुरू करे। तब तक संयुक्त किसान मोर्चा अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक इस आंदोलन को जारी रखेगा।