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कोरोना से जंग चार स्तंभों पर टिकी है, यदि आप पहले खंभे को ही गिरा देंगे तो.. : यूपी में कोरोना से बिगड़े हालात के बीच प्रियंका गांधी ने सीएम योगी को लिखी चिट्ठी, दिए ये 10 सुझाव

  • by: news desk
  • 27 April, 2021
कोरोना से जंग चार स्तंभों पर टिकी है, यदि आप पहले खंभे को ही गिरा देंगे तो.. : यूपी में कोरोना से बिगड़े हालात के बीच प्रियंका गांधी ने सीएम योगी को लिखी चिट्ठी, दिए ये 10 सुझाव

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में कोरोना से हालात बेकाबू हो गए| प्रदेश में श्मशान घाटों से लेकर कब्रिस्तान तक सिर्फ लाशें ही लाशें दिखाई दे रही हैं। शहरों के प्रमुख घाटों पर क्षमता से अधिक शव पहुंच रहे हैं। श्मशान घाटों पर बने अंत्येष्टी स्थलों पर चिताएं जलाने के लिए जगह नहीं है। घाटों पर पहुंच रहे शवों को टोकन दिया जा रहा है।



इस बीच कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने सीएम योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर COVID19 प्रबंधन पर सुझावों की समीक्षा करने और टीकाकरण सहित कई सुझाव दिए हैं। प्रियंका गांधी ने कहा कि,''मानवता की इस लड़ाई में लोगों को कोरोना से लड़ने के लिये अकेला मत छोड़िए, आप (योगी आदित्यनाथ) उनके प्रति जवाबदेह हैं| सभी स्वास्थ्यकर्मियों और फ्रंटलाइन वर्कर्स के कल्याण के लिए एक समर्पित आर्थिक पैकेज की घोषणा की जाए|




प्रियंका गांधी ने कहा कि,' पूरी दुनिया में कोरोना से जंग चार स्तंभों पर टिकी है: जांच, उपचार, ट्रैकिंग व टीकाकरण यूपी में जांचें बहुत कम हैं। ग्रामीण इलाकों में न के बराबर हैं। टीकाकरण की गति धीमी है।  मैंने मुख्यमंत्री जी को पत्र के माध्यम से कुछ सकारात्मक सुझाव दिए हैं। आशा है वे इन पर अमल करेंगे।




''कोरोना महामारी में तत्काल प्रभाव से जनता को राहत देने के संदर्भ में' सीएम योगी को लिखे पत्र में प्रियंका गांधी ने कहा,''मुख्यमंत्री महोदय, कोरोना महामारी की दूसरी लहर अपने भयानक रूप में है। उत्तर प्रदेश के कई शहरों में तबाही चरम पर है। शहरों की सीमाओं को लांघकर अब यह महामारी गांवों में अपना पैर पसार रही है। सबसे बड़ी चिंता की बात ये है कि जिस रफ़्तार से कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं उसके मुकाबले प्रदेश में कोरोना जांच की दर काफी कम है। बड़ी संख्या ऐसे मामलों की भी है जो रिपोर्ट ही नहीं हो पा रहे।



प्रियंका गांधी ने कहा,'''ग्रामीण इलाकों में तो जांच तक नहीं हो रही है, शहरी इलाकों के लोगों को जांच कराने में काफी मुश्किलें हैं। कई दिन तक रिपोर्ट नहीं आती। 23 करोड़ की आबादी वाले राज्य में प्रदेश सरकार के पास केवल 126 परीक्षण केंद्र और 115 निजी जांच केंद्र हैं।



पूरी दुनिया में कोरोना की ये जंग चार स्तंभों पर टिकी है - जांच, उपचार, ट्रैक और टीकाकरण। यदि आप पहले खंभे को ही गिरा देंगे तो फिर हम इस जानलेवा वायरस को कैसे हराएंगे?



दूसरी सबसे बड़ी चिंता अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन, दवाईयों की घोर किल्लत और इनकी बड़े पैमाने पर कालाबाजारी को लेकर है। आयुष्मान कार्ड योजना फेल हो चुकी है, उसे कोई अस्पताल नहीं मान रहा। लोगों को ऑक्सीजन, रेमिडीसिविर और अन्य जीवन रक्षक दवाओं के तीन गुनी-चार गुनी कीमत चुकाने को मजबूर किया जा रहा है। आर्थिक तौर से सक्षम लोग तो फिर भी अपनों को बचाने के लिये अधिक कीमत चुका देंगे, पर उस गरीब और मध्यम वर्ग की क्या दुर्गति हो रही है, सोचिए!




हमारी तीसरी चिंता श्मशान घाटों पर निर्ममता से हो रही लूट-खसोट और कुल मौतों आंकड़ों को कम बताने को लेकर है। आंकड़ों को कम दिखाने का यह खेल हर रोज यूपी के हर जिले, हर कस्बे में किसके कहने से खेला जा रहा है? लोगों को शवों के अंतिम संस्कार के लिये लकड़ी नहीं मिल रही, अपने प्रियजनों को श्मशान घाटों तक ले जाने के लिये परिवारों को एम्बुलेंस के लिए 12-12 घंटे तक इंतजार करना पड़ रहा है, क्योंकि कूपन नहीं है।



हमारी चौथी चिंता उत्तर प्रदेश में सुस्त टीकाकरण कार्यक्रम को लेकर है। टीकाकरण शुरू हुए 5 महीने बीत गए लेकिन प्रदेश में 1 करोड़ से भी कम लोगों को ही अब तक टीका लगाया गया है। दूसरी लहर महीनों पहले आनी शुरू हो गई थी, आप तेज़ी से टीकाकरण कर सकते थे।
मानवता की इस लड़ाई में लोगों को कोरोना से लड़ने के लिये अकेला मत छोड़िए, आप उनके प्रति जवाबदेह हैं। इस संकट के समय यदि आप दृढनिश्चय लेकर सरकार के पूरे संसाधन नहीं डालेंगे तो भावी पीढ़ियाँ आपको कभी माफ नहीं करेगी। इस महाविपदा का सच सामने ला रहे लोगों को जेल में बंद करने और उनकी संपत्ति ज़ब्त करने के आदेश के पीछे आपकी जो भी मंशा हो कृपया सबसे पहले इस जानलेवा वायरस को काबू करने की कोशिश पर अपना ध्यान केंद्रित करें और ये तभी संभव होगा जब यूपी सरकार यह मानने को तैयार होगी कि यह स्वास्थ्य आपातकाल का समय है।




कांग्रेस महासिचव प्रियंका गांधी ने कहा कि,'मुख्यमंत्री जी, इस महाविपदा को रोकिये। हम अपने स्तर पर हर जिले में जनता की यथासंभव मदद कर रहे हैं। मैं आपको तत्काल कार्रवाई योग्य कुछ सुझाव दे रही हूं। मुझे आशा है कि आप इन पर सकारात्मक ढंग से विचार करेंगे।


1. सभी स्वास्थ्यकर्मियों और फ्रंटलाइन वर्कर्स के कल्याण के लिए एक समर्पित आर्थिक पैकेज की घोषणा की जाए।

2. सभी बंद किये जा चुके कोविड अस्पतालों और देखभाल केंद्रों को फिर से तुरंत अधिसूचित करें और युद्ध स्तर पर ऑक्सीजन-युक्त बेड की उपलब्धता बढ़ाएं। प्रादेशिक सेवा से निवृत्त हुए सभी चिकित्साकर्मियों, मेडिकल व पैरा-मेडिकल स्टाफ को उनके घरों के पास स्थित अस्पतालों में काम करने के लिए बुलाया जाए।

3. कोरोना संक्रमण एवं मौत के आंकड़ों को ढंकने, छुपाने की बजाय श्मशान, क़ब्रिस्तान और नगरपालिका निकायों से परामर्श कर पारदर्शिता से लोगों को बताया जाए।
4. RTPCR जांच की संख्या बढ़ाएँ। सुनिश्चित करें कि कम से कम 80% जांच RTPCR द्वारा हों। ग्रामीण क्षेत्रों में नये जांच केंद्र खोलें और पर्याप्त जांच किटों की खरीद तथा प्रशिक्षित कर्मचारियों को नियुक्त किया जाए।



5. आँगनबाड़ी और आशा कर्मियों की मदद से ग्रामीण इलाकों में दवाओं व उपकरणों की कोरोना किट बंटवाई जाए, ताकि लोगों को सही समय पर शुरुआती दौर में ही इलाज व दवाई मिल सके और अस्पताल जाने की नौबत ही न आये। जीवनरक्षक दवाइयों की कालाबाजारी पर रोक लगाई जाए। महत्वपूर्ण जीवन रक्षक दवाइयों के रेट फिक्स किए जाएँ।



6. ऑक्सीजन के भण्डारण की एक नीति तुरंत बनायी जाए ताकि आपात स्थिति के लिए हर जिला मुख्यालय पर ऑक्सीजन का रिजर्व भण्डार तैयार हो सके। हर ऑक्सीजन टैंकर को पूरे राज्यभर में एम्बुलेंस का स्टेटस दिया जाए ताकि परिवहन आसान हो सके।
7. इस संकट के चलते बंदिशों का दंश झेल रहे सभी गरीबों, श्रमिकों, रेहड़ी पटरी वाले और देश के अन्य राज्यों से अपनी रोज़ी-रोटी छोड़कर घर लौटने वाले गरीबों को नकद आर्थिक मदद की जाए।
8. प्रदेश में युद्ध स्तर पर तुरंत वैक्सीनेशन की शुरुआत हो। प्रदेश की 60% आबादी का टीकाकरण करने के लिए यूपी को कम से कम 10,000 करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी, जबकि इसके लिए उसे केवल 40 करोड़ रुपये आवंटित हुए हैं। इसलिए मैं आपसे बुलंदशहर में बने भारत इम्युनोलॉजिकल एंड बायोलॉजिकल कॉर्पोरेशन में टीके के निर्माण की संभावना तलाशने का आग्रह करती हूँ।


9. कोरोना की पहली लहर से बुनकर, कारीगर, छोटे दुकानदार, छोटे कारोबार तबाह हो चुके हैं। दूसरी लहर में उन्हें कम से कम कुछ राहत जैसे बिजली, पानी, स्थानीय टैक्स आदि में राहत दी जाए ताकि वे भी खुद को संभाल सकें।
10. यह सबकी मदद लेने, सबका साथ देने, सबका हाथ थामने का समय है। इस समय आपकी सरकार को लोगों, दलों और संस्थाओं को आगे आने और मदद करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।



आशा है अब आपकी सेहत ठीक है। मुझे विश्वास है कि आप उपरोक्त बातों पर गम्भीरता से ध्यान देंगे।
धन्यवाद, जय हिंद


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