लखनऊ: कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने उत्तर प्रदेश सरकार की 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' के दूसरे नम्बर पर पहुंचने को लेकर निशाना साधा। प्रियंका गांधी ने कहा कि यहां 'केवल ईज ऑफ डूइंग क्राइम' और 'ईज ऑफ डूइंग घोटाला' है।
प्रियंका गांधी ने कहा कि'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' पर यूपी सरकार का खुद की पीठ थपथपाना वैसा ही है जैसे लापता एमओयू के बल पर निवेश कराना। उद्योग धंधे बंद हो रहे हैं, फैक्ट्रियों में ताला लगा है। वास्तव में यहां केवल 'ईज ऑफ डूइंग क्राइम' और 'ईज ऑफ डूइंग घोटाला' है।
इससे पहले, कारोबारी सुगमता रैंकिंग में यूपी की छलांग को लेकर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी हमला बोला था| उन्होंने कहा कि,''भाजपा सरकार की जादूगरी कमाल की है। ईज आफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग में उत्तर प्रदेश लम्बी छलांग लगाकर नम्बर दो के पायदान पर पहुंच गया जबकि गतवर्ष 2019 में 12वीं रैंकिंग थी। एक वर्ष में इतनी लम्बी उछलकूद तो बड़े-बड़े धावक भी शायद न दिखा पाएं। मगर भाजपा है तो कुछ भी मुमकिन है। अफवाह और बहकावे की राजनीति में तो उसकी गजब की मास्टरी है।
अखिलेश यादव ने कहा कि,' 'अनियोजित लाॅकडाउन और गलत आर्थिक नीतियों की वजह से अर्थव्यवस्था पटरी से उतर चुकी है। अकेले गौतमबुद्धनगर में 300 से ज्यादा फैक्ट्रियां बंद हो गई है। हजारों बंदीे के कगार पर है। कहां गया 20 लाख करोड़ का पैकेज? बंद फैक्ट्रियों में लाखों की मशीनें धूल फांक रही है। प्रदेश भर में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर, विनिर्माण, संचार, होटल आदि व्यवसाय पूरी तरह से चैपट हैं।
उन्होंने कहा कि,' 'उत्तर प्रदेश में रोजगार है नहीं, किसान, नौजवान आत्महत्या कर रहे है, कानून व्यवस्था बर्बाद है, लूट-हत्या बलात्कार, अपहरण की वारदातें थम नहीं रही हैं। विकास अवरूद्ध है। छह माह से कोरोना संक्रमण में लगातार बढ़ोत्तरी के चलते सभी गतिविधियां बंद हैं। पांच महीने में तीन गुना मनरेगा मजदूर घट गए हैं। 17 जुलाई से अब तक राजधानी के मनरेगा मजदूरों की 3.31 करोड़ रूपए की मजदूरी बकाया हो चुकी है।
अखिलेश यादव ने कहा कि,' ' फिर पता नहीं कैसे केन्द्र सरकार के उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) ने उत्तर प्रदेश को दो नम्बरी बना दिया। राज्य सरकार और मुख्यमंत्री जी गद्गद् हैं।
उन्होंने पूछा,''कामयाबी के ढोल पीटे जा रहे हैं किन्तु जमीन में निवेश कहां हुआ है? किस बैंक ने कर्ज दिया? इस सबका ब्यौरा नहीं है। एक वर्ष में ही रैंकिंग कैसे बदल गई? प्रदेश में ओलावृष्टि, अतिवृष्टि और अभी आई बाढ़ से भारी तबाही हुई है। हजारों हेक्टेयर फसलें बर्बाद हो गईं। गांवों में आपसी झगड़े बढ़े हैं। रोज-रोज की आर्थिक तंगी से परिवार आत्महत्या कर रहे हैं। बाजारों में मायूसी छाई हुई है। नौजवानों के पास डिग्रियां हैं पर रोजगार नहीं है। सरकार रोजगार के सृजन में भी विफल रही है। उद्योग धंधों का धंधा फाईलों में ही चल रहा है। प्रशासनतंत्र निष्क्रिय हो गया है।