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MLC चुनावों में भाजपा की 'मनमानी और धांधली' की सभी हदें पार हो गई: अखिलेश बोले- यह 'लोकतंत्र और संविधान' दोनो का संक्रमण काल

  • by: news desk
  • 12 April, 2022
MLC चुनावों में भाजपा की 'मनमानी और धांधली' की सभी हदें पार हो गई: अखिलेश बोले- यह 'लोकतंत्र और संविधान' दोनो का संक्रमण काल

 लखनऊ:समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि स्थानीय प्राधिकारी निर्वाचन क्षेत्र के चुनाव में भाजपा की मनमानी और धांधली की सभी हदें पार हो गई। भाजपा ने लोकतंत्र को कुचलने का काम किया है उसके लिए भाजपा को इतिहास कभी माफ नहीं करेगा।


दूसरों को जातिवादी बताने वाली भाजपा की ये सच्चाई है कि एमएलसी चुनाव की 36 सीटों में से कुल 18 पर मुख्यमंत्री जी के स्वजातीय जीते हैं। एस.सी.-एस.टी., ओबीसी को दरकिनार कर ये कैसा ‘सबका साथ, सबका विकास‘ ? सामाजिक न्याय को लोकतंत्र के जरिए मजबूत करने की लड़ाई समाजवादी लड़ते रहेंगे।



भाजपा को संविधान, लोकतंत्र और निष्पक्ष चुनावों की प्रक्रिया में जरा भी विश्वास नहीं है। वह धन-बल और छल से येन-केन-प्रकारेण सत्ता में बने रहने के लिए संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर करने के साथ ही लोकतंत्र की सभी मर्यादाओं को भी तार-तार करने में लगी है। पंचायत चुनावों के बाद, आम विधान सभा चुनाव 2022 और अब स्थानीय प्राधिकारी निर्वाचन क्षेत्र से एमएलसी चुनाव में भाजपा ने लोकतांत्रिक मर्यादाओं को कुचलने का ही काम किया है।



 समाजवादी पार्टी ने पहले ही भाजपा की साजिशों के बारे में मुख्य निर्वाचन आयुक्त को पत्र लिखकर सचेत कर दिया था कि भाजपा एमएलसी चुनाव जीतने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है। यह लोकतंत्र और संविधान दोनो का संक्रमण काल है।



पहली बार विधान परिषद में भाजपा को बहुमत

उत्तर प्रदेश में विधान परिषद के 27 सीटों पर हुए चुनाव के नतीजे आ चुके हैं। भाजपा ने इसमें 24 सीटों पर जीत हासिल की है। इसके अलावा 9 सीटें चुनाव से पहले ही अपने पाले में कर ली थी। अब विधान परिषद यानी उच्च सदन में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बन गई है। उसके पास 68 सदस्य हो गए हैं। जो बहुमत के आंकड़े 51 से कहीं ज्यादा है। 



वहीं, MLC चुनाव में सपा शून्य पर सिमटी है। हालांकि 17 सदस्य उसके पास हैं। 2017 में जब योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने थे तब सपा सबसे बड़ी पार्टी थी। उसके बाद सपा की सीटें लगातार घटती चली गई। योगी के सत्ता में रहते हुए भाजपा के 50% से ज्यादा MLC बढ़े हैं।




सत्ता में जिसकी पार्टी, उसके सबसे अधिक MLC, जानिए बीते तीन चुनाव का ट्रेंड

पहले बात करते हैं 2004 की। तब मुलायम सिंह यादव यूपी की सत्ता में थे। तब 36 सीटों पर चुनाव हुए तो सपा ने 24 सीटें जीती थीं। इसके बाद 2010 में बसपा अध्यक्ष मायावती सूबे की मुख्यमंत्री बनीं। उनके मुख्यमंत्री रहते 36 सीटों पर चुनाव हुए तो 34 सीटें उनकी झोली में आई थी। इसके बाद अखिलेश यादव के कार्यक्रम में भी वही ट्रेंड नजर आया। 2016 के चुनाव में सपा ने 36 में से 31 सीट हासिल की थी।




4 दशक बाद उच्च सदन में कोई पार्टी बहुमत में आई

यूपी में 4 दशक बाद भाजपा ऐसी पहली पार्टी है, जिसने उच्च सदन में बहुमत के आंकड़े को छुआ है। इससे पहले 1982 में कांग्रेस के पास पूर्ण बहुमत था। यूपी विधानसभा में 100 सीटें हैं। 51 बहुमत का आंकड़ा है। इस समय भाजपा के पास 68, सपा 17, बसपा 4, कांग्रेस, अपना दल (एस), निषाद पार्टी, जनसत्ता दल के एक-एक सदस्य हैं। वहीं शिक्षक दल के 2 और निर्दलीय 4 सदस्यों को मिलाकर कुल 99 सदस्य हैं। योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा चुनाव जीतने के बाद MLC पद से इस्तीफा दे दिया था। उनकी सीट खाली है।



वाराणसी में भाजपा की करारी हार

वाराणसी सीट पर बाहुबली बृजेश सिंह की पत्नी अन्नपूर्णा देवी ने बीजेपी के सुदामा पटेल को चुनाव हराया है। सुदामा पटेल यहां तीसरे नंबर पर आए हैं। बृजेश सिंह इस समय जेल में हैं। बता दें कि 9 अप्रैल को हुए मतदान के लिए MLC चुनाव के 58 जिलों में 739 बूथ बनाए गए थे, जिसमें एक लाख 20 हजार 657 मतदाताओं ने वोट डाले थे। इस चुनाव में सांसद, विधायक, सभी प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्‍य और अध्यक्ष, जिला पंचायत सदस्‍य और अध्यक्ष के साथ नगर निगम के पार्षद, मेयर, नगर पंचायतों के सदस्य और अध्यक्षों ने मतदान किया।






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