लखनऊ: कृषि कानूनों के महत्वपूर्ण मुद्दे पर केंद्र सरकार औऱ किसान नेताओं के बीच सोमवार को हुई सातवें दौर की बातचीत बेनतीजा रही| दोनों पक्षों के बीच अगली बातचीत 8 जनवरी को होगी| केंद्र औऱ किसानों के बीच बातचीत के बाद समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा| उन्होंने कहा कि ,''BJP सरकार ने आज फिर निरर्थक वार्ता करके दे दी अगली तारीख़|
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा ,''भाजपा सरकार ने आज फिर निरर्थक वार्ता करके अगली तारीख़ दे दी। हर बार आधा दिन गुजार कर 2 बजे बैठक करने से ही लगता है कि भाजपा सरकार आधे मन से आधे समय काम करके, इस आंदोलन को लम्बा खींचना चाहती है, जिससे किसानों का हौसला टूटे पर किसान टूटनेवाले नहीं, सत्ता का दंभ तोड़नेवाले हैं।
पश्चिम बंगाल मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी मोदी सरकार पर निशाना साधा हैं| मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि मैं किसानों के पक्ष में हूं और इन तीन बिलों को देश और किसानों की खातिर वापस लेने की मांग करती हूं। उन्होंने कहा कि,''बिलों के आने से पहले उनके पास गोदाम बने थे। उनकी राजनीतिक मंशा स्पष्ट है और इसीलिए वे इसे वापस नहीं ले रहे हैं।
आज यानी सोमवार को पत्रकार वार्ता में अखिलेश यादव ने गाजियाबाद के मुरादनगर में श्मसान घाट पर छत गिरने से हुई मौतों पर कहा कि भाजपा ने श्मसान का पुराना रिश्ता है। उसने उसके पैसे को भी लूट लिया। श्मसान घाट में भी भ्रष्टाचार कर दिया। वहां हुई मौतों के लिए भाजपा सरकार जिम्मेदार है। सरकार ने पूरी छत बालू की बनवाई। 25 मौतों पर 2 लाख रूपये की मदद क्या होती है, सरकार को प्रत्येक मृतक आश्रित परिवार को 50-50 लाख रूपये की मदद देनी चाहिए।
मोदी सरकार के तीन कृषि क़ानूनों के विरोध में चल रहे किसान आंदोलन के नेताओं और केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों के बीच सोमवार दोपहर को हुई सातवें दौर की वार्ता बेनतीजा ख़त्म हो गई है| अब दोनों पक्षों के बीच अगली बातचीत 8 जनवरी को होगी|
किसान नेताओं से बातचीत के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा,,चर्चा का माहौल अच्छा था परन्तु किसान नेताओं के कृषि क़ानूनों की वापसी पर अड़े रहने के कारण कोई रास्ता नहीं बन पाया। 8 तारीख को अगली बैठक होगी। किसानों का भरोसा सरकार पर है इसलिए अगली बैठक तय हुई है| तोमर ने कहा,''चर्चा जिस हिसाब से चल रही है, किसानों की मान्यता है कि सरकार इसका रास्ता ढूंढे और आंदोलन समाप्त करने का मौका दे|
वही केंद्र सरकार से बातचीत के बाद किसान संगठनों ने कहा,'कानून रद्द करने और एमएसपी पर आज चर्चा हुई। कानून वापसी नहीं तो घर वापसी नहीं।सरकार के साथ किसान नेताओं की मुलाकात के बाद किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि,'' किसान नेता राकेश टिकै 8 तारीख (8 जनवरी 2021) को सरकार के साथ फिर से मुलाकात होगी। तीनों कृषि क़ानूनों को वापिस लेने पर और MSP दोनों मुद्दों पर 8 तारीख को फिर से बात होगी। हमने बता दिया है क़ानून वापसी नहीं तो घर वापसी नहीं|
केंद्र सरकार से बातचीत के बाद किसान नेता ने कहा कि,'' हमने बताया कि पहले कृषि क़ानूनों को वापिस किया जाए, MSP पर बात बाद में करेंगे। 8 तारीख तक का समय सरकार ने मांगा है। उन्होंने कहा कि 8 तारीख को हम सोचकर आएंगे कि ये क़ानून वापिस हम कैसे कर सकते हैं, इसकी प्रक्रिया क्या हो|
सरकार के साथ मुलाकात के बाद किसान नेता दर्शन पाल ने कहा कि सरकार को यह बात समझ आ गई है कि किसान संगठन कृषि क़ानूनों को रद्द किए बिना कोई बात नहीं करना चाहते हैं। हमसे पूछा गया कि क्या आप क़ानून को रद्द किए बिना नहीं मानेंगे, हमने कहा हम नहीं मानेंगे।
भारतीय किसान यूनियन के युधवीर सिंह ने कहा कि,'' मंत्री चाहते थे कि हम कानून-वार चर्चा करें। हमने इसे खारिज कर दिया और कहा कि कानूनों पर चर्चा करने का कोई मतलब नहीं है क्योंकि हम कानूनों का पूरा रोलबैक चाहते हैं। सरकार हमें संशोधन की ओर ले जाने का इरादा रखती है लेकिन हम इसे स्वीकार नहीं करेंगे|
अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्नान मोल्लाह ने कहा कि सरकार काफी दबाव में है। हम सभी ने कहा कि यह हमारी मांग है (कानूनों को निरस्त करना)। हम कानूनों को निरस्त करने के अलावा किसी अन्य विषय पर चर्चा नहीं चाहते हैं। कानूनों को निरस्त करने तक विरोध वापस नहीं लिया जाएगा।