लखनऊ: 69000 सहायक शिक्षक भर्ती आरक्षण घोटाला मामले में राज्य सरकार को बड़ा झटका देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुक्रवार को 69,000 सहायक शिक्षक भर्ती-2028 को रद्द कर दिया है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ बेंच ने उत्तर प्रदेश सरकार को राज्य में 69,000 सहायक शिक्षकों की नियुक्ति के लिए नई चयन सूची तैयार करने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट ने 69 हजार शिक्षकों की मौजूदा सूची को सही नहीं माना और इस मेरिट लिस्ट को पूरी तरह से रद्द कर दिया|
कोर्ट ने यूपी सरकार को 3 महीने के अंदर नई चयन सूची जारी करने का आदेश दिया है| इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस बड़े फैसले से पिछले चार साल से शिक्षक पद पर नौकरी कर रहे अभ्यर्थियों का भविष्य अधर में लटक गया है. अब इस भर्ती की नई मेरिट लिस्ट आएगी।
कोर्ट ने शुक्रवार को जून 2020 और जनवरी 2022 में जारी चयन सूचियों को रद्द कर दिया है, जिसमें 6,800 अभ्यर्थी शामिल थे। न्यायमूर्ति एआर मसूदी और न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की पीठ ने महेंद्र पाल और अन्य द्वारा दायर 90 विशेष अपीलों का निपटारा करते हुए यह आदेश जारी किया, जिसमें पिछले साल 13 मार्च के एकल पीठ के आदेश को चुनौती दी गई थी।
न्यायालय ने निर्देश दिया कि नई चयन सूची तैयार करते समय वर्तमान में कार्यरत सहायक अध्यापकों पर पड़ने वाले किसी भी प्रतिकूल प्रभाव को कम किया जाना चाहिए, ताकि उन्हें चालू शैक्षणिक सत्र पूरा करने की अनुमति दी जा सके। न्यायालय ने कहा कि इसका उद्देश्य छात्रों की शिक्षा में व्यवधान को रोकना है।
पीठ ने पहले के आदेश में संशोधन करते हुए कहा कि आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवार जो सामान्य श्रेणी की मेरिट सूची में योग्य हैं, उन्हें उसी श्रेणी में स्थानांतरित किया जाना चाहिए। इसके अलावा, ऊर्ध्वाधर आरक्षण (पिछड़े वर्ग के लोगों के लिए आरक्षण) का लाभ क्षैतिज आरक्षण (समाज में वंचित समूह के लिए आरक्षण) श्रेणियों को भी दिया जाना चाहिए।
इसके अलावा, अदालत ने आरक्षित वर्ग से संबंधित 6,800 उम्मीदवारों की 5 जनवरी, 2022 की चयन सूची को रद्द करने के एकल पीठ के फैसले को बरकरार रखा- (कोर्ट ने पीठ के उस फैसले को बरकरार रखा जिसमें 5 जनवरी, 2022 को आरक्षित वर्ग के 6,800 उम्मीदवारों की चयन सूची रद्द कर दी गई थी)
पीठ ने राज्य सरकार और अन्य संबंधित प्राधिकारियों को तीन महीने के भीतर नई चयन सूची जारी करने की प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश दिया।
अपीलकर्ताओं ने एकल पीठ के निर्णय को चुनौती देते हुए तर्क दिया था कि 69,000 शिक्षकों के चयन में राज्य सरकार द्वारा प्रदान किया गया आरक्षण सही नहीं था, तथा उन्होंने 6,800 शिक्षकों की नियुक्ति की वैधता पर भी सवाल उठाया था।
बता दें, एकल पीठ ने फैसला दिया था कि शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) में आरक्षण का लाभ पाने वाले अभ्यर्थियों को अनारक्षित श्रेणी में नहीं माना जाना चाहिए, भले ही उन्होंने सामान्य श्रेणी के लिए कट-ऑफ अंक प्राप्त किए हों।
हालाँकि, वर्तमान पीठ ने अब स्पष्ट कर दिया है कि ऐसे उम्मीदवारों को सामान्य श्रेणी में स्थानांतरित कर दिया जाना चाहिए यदि वे योग्यता मानदंडों को पूरा करते हैं।
बता दें कि, यूपी सरकार ने 69,000 सहायक शिक्षकों की भर्ती के लिए दिसंबर 2018 में विज्ञापन जारी किया था और जनवरी 2019 में परीक्षा आयोजित की गई थी। इस भर्ती में 4 लाख 10 हजार उम्मीदवारों ने भाग लिया था, जिसमें से 1 लाख 40 हजार उम्मीदवार सफल हुए थे। इसके बाद सरकार ने मेरिट लिस्ट जारी की...मेरिट लिस्ट आते ही हंगामा मच गया|
अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया कि 19 हजार पदों पर आरक्षण घोटाला हुआ है| उनका आरोप था कि ओबीसी वर्ग को 27 फीसदी की जगह सिर्फ 3.86 फीसदी आरक्षण मिला, जबकि अनुसूचित जाति (एससी) वर्ग को 21 फीसदी की जगह 16.2 फीसदी आरक्षण मिला| इसको लेकर हंगामा शुरू हुआ तो सरकार ने आरक्षण घोटाले से इनकार कर दिया| इस मामले में यूपी सरकार कहती रही कि अभ्यर्थियों का चयन आरक्षण श्रेणी से किया गया है|
जिसके बाद, अभ्यर्थियों ने प्रदर्शन शुरू कर दिया और बाद में हाई कोर्ट पहुंच गए| हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने भी माना कि भर्ती में आरक्षण घोटाला हुआ है और फिर से पूरी मेरिट जारी होनी चाहिए| हालांकि हाई कोर्ट के आदेश को सरकार ने ठंडे बस्ते में डाल दिया| अभ्यर्थियों के लगातार प्रदर्शन को देखते हुए 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले सरकार ने माना कि 19 हजार नहीं बल्कि इस भर्ती में 6800 पदों पर आरक्षण घोटाला हुआ है और उनकी मेरिट दोबारा जारी की जाएगी|
लेकिन , अभ्यर्थी इस बात पर अड़े रहे कि 19 हजार पदों पर घोटाला हुआ है....| इस वजह से वह फिर हाई कोर्ट पहुंच गए| हाई कोर्ट ने 6800 पदों की मेरिट पर रोक लगा दी| इसके साथ ही अभ्यर्थियों ने हाई कोर्ट की डबल बेंच में अपील दायर कर दी| हाई कोर्ट की डबल बेंच ने भी माना कि आरक्षण नियमों का पालन नहीं किया गया| बेंच ने कहा था कि 19 हजार से अधिक सीटों पर आरक्षण में गड़बड़ी है और उस लिस्ट को सही करने के निर्देश भी दिए थे