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रख देता पलटकर 'सर के बल' , हल्का न समझो 'हल का बल': किसान आंदोलन को लेकर अखिलेश का शायराना अंदाज में मोदी सरकार पर निशाना

  • by: news desk
  • 14 December, 2020
रख देता पलटकर 'सर के बल' ,  हल्का न समझो 'हल का बल': किसान आंदोलन को लेकर अखिलेश का शायराना अंदाज में मोदी सरकार पर निशाना

नई दिल्ली: केंद्र के कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ किसान पिछले 18 दिनों से दिल्ली के बॉर्डर पर डटे हुए हैं|कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों के आंदोलन का आज 19वां दिन है| नवंबर महीने के अंत से दिल्ली के बॉर्डर पर डेट हजारों किसानों की एक दिन की भूख हड़ताल (Hunger Strike) शुरू हो गई है| इसके अलावा, किसान देशभर में धरना देंगे| एक हफ्ते के भीतर किसानों का यह दूसरा देशव्यापी प्रदर्शन होगा|




किसान आंदोलन को लेकर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा|अखिलेश यादव ने शायराना अंदाज में BJP सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि,''रख देता पलटकर 'सर के बल' ,  हल्का न समझो हल का बल'..



अखिलेश यादव ने ट्वीट किया,''रख देता पलटकर सर के बल  हल्का न समझो हल का बल!  #नहीं_चाहिए_भाजपा




इससे पहले अखिलेश यादव ने कहा कि, देश का किसान आंदोलित है। भारत सरकार उनके मन की बात सुनने के बजाय उन पर अपनी बात थोपने में लगी है। लोकतांत्रिक व्यवस्था में बहुमत का रोडरोलर चलाकर अन्नदाता समुदाय की आवाज को कुचलने का कोई भी प्रयास उचित नहीं ठहराया जा सकता है। किसान अपने हित अनहित को समझकर अगर सरकार के कृषि विधेयकों के खिलाफ राय दे रहा है तो उसकी मांगे माने जाने में क्या दिक्कत हो सकती है?



अखिलेश यादव ने कहा कि,''यह तो सभी मानते हैं कि भारत एक कृषि प्रधान देश है। अहंकारी भाजपा याद रखे यहां ‘प्रधान‘ शब्द तक ‘कृषि‘ के बाद आता है। सत्ताधारी न भूलें कि हमारे देश में किसान ही प्रथम है और प्राथमिक भी। किसान अपना हक मांग रहे है, वे दृढ़ निश्चयी हैं कि वे इसे लेकर रहेंगे।




अखिलेश यादव ने कहा,'' न्यूनतम समर्थन मूल्य और मण्डी समितियों के अस्तित्व को लेकर सरकार और किसान संगठनों के बीच मतभेद है। सरकार से किसान तीनों कृषि विधयेक वापस लेने की मांग कर रहे हैं। कानून की वापसी का यह कोई पहला मामला नहीं है, पहले के भी ऐसे उदाहरण हैं। अतः भाजपा नेतृत्व की इस सम्बंध में हठधर्मी समझ में नहीं आती है। अगर इसे प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाया जा रहा है तो यही कहा जा सकता है कि भाजपा का रवैया किसान विरोधी है। उसकी नीयत किसानों की भलाई करने की नहीं, पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने की है।



अखिलेश यादव ने कहा,''भाजपा लोगों को बहकाने और छलने में पारंगत है। किसानों को इसीलिए आतंकवादी, नक्सलवादी भी बताया जा रहा है। सच्चाई यह है कि किसान एकजुट हैं, उनका आंदोलन बढ़ता ही जा रहा है।





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