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'लाखों कृषक पड़े धरती पर आसमान के नीचे', 'शीत-लहर चलती है, ज़ीरो तापमान के नीचे'.. गूँगे पूंछ रहे बहरों से स्वाभिमान के नीचे 'क्या सरकारें ऊपर हैं? हम हैं संविधान के नीचे: अखिलेश का मोदी सरकार पर तंज

  • by: news desk
  • 01 January, 2021
'लाखों कृषक पड़े धरती पर आसमान के नीचे', 'शीत-लहर चलती है, ज़ीरो तापमान के नीचे'.. गूँगे पूंछ रहे बहरों से स्वाभिमान के नीचे  'क्या सरकारें ऊपर हैं? हम हैं संविधान के नीचे: अखिलेश का मोदी सरकार पर तंज

नई दिल्ली: 'दिल्ली की कई सीमाओं पर कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों का आंदोलन आज 37वां दिन है।कड़कती ठंड, शीतलहर और घटता तापमान भी किसानों का हौसला नहीं तोड़ सका है। तीनों नए कानूनों को वापस लेने की जिद पर अड़े हैं किसान|



किसान आंदोलन को लेकर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा|अखिलेश यादव ने शायराना अंदाज में मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि,लाखों कृषक पड़े धरती पर आसमान के नीचे ....शीत-लहर चलती है, ज़ीरो  तापमान के नीचे....गूँगे पूंछ रहे, बहरों से स्वाभिमान  के नीचे.... क्या सरकारें ऊपर हैं? हम हैं संविधान के नीचे|



अखिलेश यादव ने ट्वीट किया,''लाखों कृषक पड़े धरती पर आसमान के नीचे 

शीत-लहर चलती है, ज़ीरो  तापमान के नीचे

 अनुनय से जूं नहीं  रेंगते, कभी  कान के नीचे

 यानी दरिया बहती है ख़तरे के निशान के नीचे

 गूँगे पूंछ रहे, बहरों से स्वाभिमान  के नीचे

 क्या सरकारें ऊपर हैं? हम हैं संविधान के नीचे — श्री उदयप्रताप सिंह




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