कानपुर: सपा विधायक इरफान सोलंकी व उनके भाई रिज़वान सोलंकी ने शुक्रवार को पुलिस कमिश्नर बीपी जोगदंड के आवास पर सरेंडर कर दिया। इरफान सोलंकी 8 नवंबर की रात से फरार थे | शुक्रवार को भाई रिज़वान सोलंकी के साथ पुलिस आयुक्त आवास पर आत्म समर्पण कर दिया। शाम को पुलिस ने दोनों को विशेष न्यायाधीश MP-MLA आलोक यादव की कोर्ट में पेश किया। कोर्ट ने इरफान और रिजवान की जमानत अर्जी खारिज करते हुए उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया। इस दौरान इरफान सोलंकी के साथ उनकी फैमिली और सपा विधायक अमिताभ बाजपेयी, नगर अध्यक्ष भी मौजूद थे।
बता दें ,'' जाजमऊ डिफेंस कॉलोनी निवासी समाजवादी पार्टी के विधायक इरफान सोलंकी का प्लॉट को लेकर पड़ोसी महिला बेबी नाज से विवाद चल रहा है। दोनों प्लॉट पर अपना होने का दावा करते हैं। मामला कोर्ट में विचाराधीन है। बीते 7 नवंबर को इरफान और उनके भाई रिजवान के खिलाफ जाजमऊ थाने में महिला ने एफआईआर दर्ज कराई थी। महिला का आरोप है कि उनकी गैर मौजूदगी में विधायक और उनके भाई ने प्लाट पर कब्जा करने की नीयत से उनका घर फूंक दिया था।
पुलिस ने तहरीर पर इरफान सोलंकी, उनके भाई रिजवान सोलंकी, नूरी शौकत, अशरफ अली उर्फ शेखू नूरी, इशरत, उम्मार इलाही उर्फ अली, अनवर मंसूरी, अख्तर मंसूरी और अली के खिलाफ विभिन्न धाराओं में एफआईआर दर्ज की थी।
इरफान सोलंकी व उनके भाई रिज़वान सोलंकी के आत्मसमर्पण के बाद पुलिस ने दोनों को विशेष न्यायाधीश MP-MLA कोर्ट में पेश किया। कोर्ट ने उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया।
सपा विधायक के वकील अधिवक्ता नरेश चंद्र त्रिपाठी ने पुलिस की रिमांड का विरोध किया था। साथ ही उन्होंने जमानत अर्जी भी दाखिल की। उन्होंने कोर्ट को बताया कि आगजनी की घटना के वक्त इरफान और रिजवान की लोकेशन घटनास्थल पर नहीं थी। पुलिस ने झूठा केस बनाया है।
वहीं, अभियोजन की ओर से जमानत का विरोध किया गया था। मुकदमे की वादिनी नजीर फातिमा के वकील ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि विधायक इरफान और रिजवान सोलंकी जमीन पर कब्जा करना चाहते थे। लेकिन वे इसमें कामयाब नहीं हो पा रहे थे। वे लगातार धमकियां भी दे रहे थे। बाद में आगजनी की घटना को अंजाम दे दिया।