Ram Bahal Chaudhary,Basti
Share

प्रस्तावना में ‘We the People’ एक आह्वान, एक प्रतिज्ञा, एक विश्वास है: संविधान दिवस पर पीएम मोदी

  • by: news desk
  • 26 November, 2022
प्रस्तावना में ‘We the People’ एक आह्वान, एक प्रतिज्ञा, एक विश्वास है: संविधान दिवस पर पीएम मोदी

नई दिल्ली: संविधान दिवस पर सर्वोच्च न्यायालय में आयोजित संविधान दिवस समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि,''1949 में यह आज का ही दिन था जब स्वतंत्र भारत ने अपने लिए एक नई भविष्य की नीव डाली थी, इस बार का संविधान दिवस इसलिए भी विशेष है क्योंकि भारत ने अपने आज़ादी के 75 वर्ष पूरे किए हैं| प्रधानमंत्री ने कहा कि,''आज 26/11 मुंबई आतंकी हमले का दिन भी है, 14 वर्ष पहले जब भारत अपना संविधान दिवस मना रहा था तब उसी दिन मानवता के दुश्मनों ने सबसे बड़ा हमला किया, मुंबई आतंकी हमले में जिनकी मृत्यु हुई मैं उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं|



प्रधानमंत्री ने स्मरण कराया कि वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में भारत की विकसित होती अर्थव्यवस्था और उसकी अंतर्राष्ट्रीय छवि के प्रकाश में पूरा विश्व उसे आशा के साथ देख रहा है। उन्होंने कहा कि अपनी स्थिरता के बारे में शुरूआती संशयों को दूर करते हुये भारत पूरी शक्ति से आगे बढ़ रहा है तथा अपनी विविधता पर उसे अत्यंत गर्व है। उन्होंने इस सफलता के लिये संविधान को श्रेय दिया। प्रधानमंत्री ने इस क्रम को आगे बढ़ाते हुये प्रस्तावना के पहले तीन शब्दों ‘वी द पीपुल’ का उल्लेख किया, और कहा, “‘वी द पीपुल’ एक आह्वान है, एक प्रतिज्ञा है, एक विश्वास है। संविधान की यह भावना, उस भारत की मूल भावना है, जो दुनिया  में लोकतंत्र की जननी रहा है।” उन्होंने कहा, “आधुनिक युग में, संविधान ने राष्ट्र की समस्त सांस्कृतिक और नैतिक भावनाओं को अंगीकार कर लिया है।”



प्रधानमंत्री ने प्रसन्नता व्यक्त की कि लोकतंत्र की जननी होने के नाते, देश संविधान के आदर्शों को मजबूत बना रहा है तथा जन-अनुकूल नीतियां देश के निर्धनों व महिलाओं को अधिकार सम्पन्न कर रही हैं। उन्होंने बताया कि आम नागरिकों के लिये कानूनों को सरल और सुगम बनाया जा रहा है तथा न्यायपालिका समय पर न्याय सुनिश्चित करने के लिये अनेक पहलें कर रही है।



स्वतंत्रता दिवस के अपने व्याख्यान में कर्तव्यों पर जोर दिये जाने का उल्लेख करते हुये प्रधानमंत्री ने कहा कि यह संविधान की भावना का प्रकटीकरण है। अमृतकाल को ‘कर्तव्यकाल’ के रूप में उल्लेख करते हुये प्रधानमंत्री ने जोर देते हुये कहा कि आजादी के अमृत काल में जब देश अपनी स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे कर रहा है और हम विकास के अगले 25 वर्षों की यात्रा पर निकल रहे हैं, तब राष्ट्र के प्रति कर्तव्य का मंत्र ही सर्वोपरि है। प्रधानमंत्री ने कहा, “आजादी का अमृत काल देश के प्रति कर्तव्य का काल है। चाहे वह लोग हों या संस्थायें, हमारे दायित्व ही हमारी पहली प्राथमिकता हैं।” उन्होंने कहा कि अपने ‘कर्तव्य पथ’ पर चलते हुये ही हम देश को विकास की नई ऊंचाई पर ले जा सकते हैं।



प्रधानमंत्री ने बताया कि सप्ताह भर में भारत को जी-20 का अध्यक्ष पद मिल रहा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि हम भारत की प्रतिष्ठा और सम्मान को एक टीम के रूप में विश्व में प्रोत्साहित करें। उन्होंने कहा, “यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।” उन्होंने आगे कहा, “लोकतंत्र की जननी के रूप में भारत की अस्मिता को और मजबूत करने की आवश्यकता है।”



प्रधानमंत्री ने कहा कि संविधान अपने खुलेपन, दूरंदेशी और अपने आधुनिक दृष्टिकोण के लिये जाना जाता है। उन्होंने भारत की विकास-यात्रा के सभी पक्षों में युवा शक्ति के योगदान व उसकी भूमिका को स्वीकार किया।



प्रधानमंत्री ने उस समय का स्मरण किया जब हमारे संविधान का मसौदा लिखा गया था तथा देश के सामने कैसी परिस्थितियां थीं। उन्होंने कहा, “उस काल में संविधान सभा की बहस में क्या होता था, हमारे युवाओं को इन सभी विषयों के प्रति जागरूक होना चाहिये।” उन्होंने आगे कहा कि इससे संविधान के प्रति उनकी रुचि बढ़ेगी। प्रधानमंत्री ने संविधान सभा की 15 महिला सदस्यों का उदाहरण दिया और कहा कि दक्षिणायणी वेलायुधन जैसी महिलायें उनमें शामिल थीं, जो वंचित समाज से निकलकर वहां तक पहुंची थीं। प्रधानमंत्री ने खेद व्यक्त किया कि दक्षिणायणी वेलायुधन जैसी महिलाओं के योगदानों पर शायद ही कभी चर्चा की जाती है। 



उन्होंने बताया कि दक्षिणायणी वेलायुधन ने दलितों और श्रमिकों से जुड़े कई मुद्दों पर महत्त्वपूर्ण विचार दिये हैं। प्रधानमंत्री ने दुर्गाबाई देशमुख, हंसा मेहता और राजकुमारी अमृत कौर तथा अन्य महिला सदस्यों के उदाहरण दिये, जिन्होंने महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर महत्त्वपूर्ण योगदान किये हैं। उन्होंने कहा, “जब हमारे युवाओं को इन तथ्यों का पता चलेगा, तो उन्हें अपने सवालों के जवाब मिल जायेंगे।” उन्होंने आगे कहा, “इससे संविधान के प्रति निष्ठा बढ़ेगी, जिससे हमारा लोकतंत्र, हमारा संविधान और देश का भविष्य मजबूत होगा।” प्रधानमंत्री ने अपने वक्तव्य का समापन करते हुये कहा, “आजादी के अमृत काल में, यह देश की आवश्यकता है। मैं आशा करता हूं कि यह संविधान दिवस इस दिशा में हमारे संकल्पों को और ऊर्जावान बनायेगा।”






आप हमसे यहां भी जुड़ सकते हैं
TVL News

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें : https://www.facebook.com/TVLNews
चैनल सब्सक्राइब करें : https://www.youtube.com/TheViralLines
हमें ट्विटर पर फॉलो करें: https://twitter.com/theViralLines
ईमेल : thevirallines@gmail.com

You may like

स्टे कनेक्टेड

विज्ञापन