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कांग्रेस सरकार के खिलाफ साजिश में मुख्य कठपुतली थे विनोद राय: बहुत गंभीर षड़यंत्र था, जिस पर से धीरे-धीरे पर्दा उठ रहा है, कांग्रेस की मांग - देश से माफी मांगें 'राय और अन्य सभी कठपुतली

  • by: news desk
  • 29 October, 2021
कांग्रेस सरकार के खिलाफ साजिश में मुख्य कठपुतली थे विनोद राय: बहुत गंभीर षड़यंत्र था, जिस पर से धीरे-धीरे पर्दा उठ रहा है, कांग्रेस की मांग - देश से माफी मांगें 'राय और अन्य सभी कठपुतली

नई दिल्ली: पूर्व नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी – कैग) विनोद राय ने 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में कांग्रेस नेता संजय निरूपम से बिना शर्त उनसे माफी मांग ली है| 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले को लेकर किए गए एक दावे पर पूर्व नियंत्रक एवं महा लेखा परीक्षक (सीएजी) विनोद राय के माफी मांगने के बाद कांग्रेस ने शुक्रवार को कहा कि ‘कांग्रेस सरकार को बदनाम करने और एक मजबूत अर्थव्यवस्था को पटरी से उतारने के षड्यंत्र’ में राय एक ‘मुख्य कठपुतली’ थे और उन्हें देश से माफी मांगनी चाहिए| कांग्रेस ने यह भी कहा कि ‘‘इस साजिश की अन्य कठपुतलियों’’ अरविंद केजरीवाल, किरण बेदी, बाबा रामदेव, वीके सिंह और कुछ अन्य लोगों को भी क्षमा मांगनी चाहिए|



कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि एक षड़यंत्र, बहुत गंभीर षड़यंत्र था, जिस पर से धीरे-धीरे पर्दा उठ रहा है। एक अपराधिक षड़यंत्र था। 2010 से लेकर 2014 के बीच तक रहा और इस अपराधिक षड़यंत्र पर से जो पहला पर्दा उठा, वो तब था, जब सीबीआई की विशेष अदालत ने 21 दिसंबर, 2017 को स्पष्ट तौर पर उन तमाम आरोपों की धज्जियां उड़ाई थी; जो आरोप इस अपराधिक षडयंत्र के मुख्य सरगना या मुख्य किरदार, जो वो निभा रहे थे विनोद राय और फिर एक आर्केस्ट्रा की तरह तमाम षड़यंत्रकारी एक चुनी सरकार के विरुद्ध बोलते चले जाते थे। उन तमाम आरोपों की धज्जियां सीबीआई की विशेष अदालत ने 21 दिसंबर, 2017 को उड़ाई। अदालत ने क्या कहा, मैं उद्रत करता हूँ अदालत के शब्दों को, उससे पहले एक और पर्दा हटा। सीबीआई कौंसिल ने जब डॉ. मनमोहन सिंह जी को क्लीन चिट दी, कोल एलोकेशन के मामले में। टूजी में अदालत ने धज्जियां उड़ा दी आरोपों की। कोल एलोकेशन में सीबीआई ने 21 सितंबर, 2015 को ही बोल दिया कि डॉ. मनमोहन सिंह जी की इसमें कोई गलत भूमिका नहीं रही है और बड़े कड़े शब्दों में टिप्पणी की।




कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि,''अब कल तीसरा पर्दा उठा और तीसरा पर्दा स्वयं जो मुख्य षड़यंत्रकारी थे या मुख्य कठपुतली थे, उन्होंने स्वयं हटा दिया संजय निरुपम जी से माफी मांग कर के। कल जिन शब्दों में उन्होंने माफी मांगी, उन्होंने स्वीकार किया कि मैंने झूठ बोला। मैंने वो एफिडेविट की प्रति इसमें संलग्न की है। विनोद राय ने कांग्रेस पार्टी के पूर्व सांसद, जो उस वक्त पीएसी के सदस्य भी थे; उनसे माफी मांगी कि मैंने आपका नाम लेकर झूठ बोला, 2014 में मैंने झूठ बोला। ये शब्द बड़े महत्वपूर्ण हैं कि अपनी किताब बेचने के लिए जो उन्होंने इंटरव्यू दिए मीडिया में। उसमें बार-बार कहा कि संजय निरुपम as member of PAC, मुझसे मिलने आए थे। मुझे उन्होंने कहा था कि डॉ. मनमोहन सिंह जी का नाम रिपोर्ट में ना लिखा जाए। संजय निरुपम उनको अदालत में ले गए, तीसरा पर्दा भी कल अदालत के माध्यम से स्वयं विनोद राय ने हटा दिया कि हाँ, मैंने झूठ बोला था और मैंने कल माफी मांग ली।




कांग्रेस नेता ने विनोद राय पर निशाना साधते हुए सवाल किया, ‘''तो जो आदमी अपनी किताब बेचने के लिए इतने बड़े झूठ का सहारा ले सकता है, सरेआम पूरे देश के सामने झूठ बोल सकता है, वो अपना और अपने आकाओं का एजेंडा आगे बढ़ाने के लिए क्या-क्या नहीं कर सकता? यह मैं आप पर छोड़ता हूं और जो उसने किया और वो अकेला नहीं था। वो अकेला एक फ्रॉड हो, मैं ये नहीं कहूंगा, इस षडयंत्र में और भी कई फ्रॉड्स थे।



खेड़ा ने कहा, ''आईए देखिए, जो तमाम षड़यंत्रकारी थे, उनको क्या-क्या इनाम उनके आका ने दिया। जनरल वीके सिंह, पिछले 7 सालों से मंत्री हैं या नहीं बताइए? अरविंद केजरीवाल- "मैं तो राजनीति में आऊंगा ही नहीं जी, लाल बत्ती इस्तेमाल करुंगा ही नहीं जी, कोई पद लूंगा ही नहीं जी, सरकारी घर में रहूंगा ही नहीं जी", आज एक जुगलबंदी सरकार मोदी जी के साथ मिलकर चला रहे हैं, पिछले 7 साल से। डॉ. किरण बेदी, पहले उन्हें दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाने का प्रयास किया गया, वो नहीं सफल हुई, तो उन्हें पुडुचेरी का उपराज्यपाल बना दिया।



बाबा रामदेव के विषय में अब क्या कहें, अब बाबा तो नहीं कहना चाहिए, एक समृद्ध व्यापारी बन गए हैं, लाला रामदेव बन गए, उन्हें भी उपकृत किया। स्वयं विनोद राय, जिसको मैं मुख्य कठपुतली बोलता हूं, को "बैंक बोर्ड ब्यूरो” का चेयरमैन बनाया, तमाम सरकारी सुविधाओं से सुसज्जित किया। जबकि अरुण जेटली जी ने उस वक्त कहा था कि सीएजी से रिटायर्ड होने के बाद किसी को कोई पद नहीं देना चाहिए। उन्हीं अरुण जेटली जी ने फिर इनको उपकृत किया, आका के कहने पर। अर्णब गोस्वामी, हमारे-आपके प्रिय, जो उस वक्त गला फाड़-फाड़ कर, चिल्ला-चिल्ला कर अपने आका का एजेंडा आगे बढ़ा रहे थे, उस वक्त एक पत्रकार थे, मुलाजिम थे, आज एक चैनल के मालिक हैं और उनके जो पार्टनर हैं इस चैनल में, वो मंत्री हैं। आप देखिए, एक-एक व्यक्ति जिसने उस वक्त एक भूमिका अदा की थी अपने आका के कहने पर, वो कहाँकहाँ स्थापित हुआ है। अन्ना हजारे रालेगांव सिद्धि में आराम फरमा रहे हैं और हाँ, नरेन्द्र मोदी जी प्रधानमंत्री हैं।





कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि,''लोकपाल का नाम मैं इस हॉल में आप भी, आप बिना गूगल किए मुझे लोकपाल का नाम बता दीजिए? Who is the Lokpal of India? बताइए मुझे? कोई नहीं बता सकता, मैं नहीं बता सकता, मैं जब तक गूगल नहीं करूंगा, मुझे नहीं मालूम होगा, प्रणव जी को नहीं मालूम होगा। यहाँ जितने लोग बैठे हैं, उनको लोकपाल का नाम नहीं मालूम है। पिछली बार आपने कब हेडलाइन बनाई या चलिए हेडलाइन छोड़ दीजिए, ट्रेकर चला, कहीं कुछ छपा कि लोकपाल ने स्वयं संज्ञान लिया किसी मुद्दे का? मुद्दे बहुत आए या किसी मुद्दे को लोकपाल में रैफर कर दिया गया हो। कभी किसी ने कोई खबर सुनी हो या हमें कोई प्रेसवार्ता करने का मौका मिला हो, आपने दिया हो तो बताइए, नहीं दिया। Where is the Lokpal? कहाँ है लोकपाल, कहाँ है सीएजी? जिसकी ड्राफ्ट रिपोर्ट पर प्राइम टाइम डिबेट होती थी, वो सीएजी कहाँ है?




 सीएजी रिपोर्ट को टेलीविजन पर तो छोड़ दीजिए, अब सीएजी रिपोर्ट की चर्चा संसद के पटल पर भी नहीं होती। बताइए, षडयंत्र क्या था ये?




पवन खेड़ा ने कहा कि,' तमाम सीएजी, सिविल सोसायटी, किरण बेदी, अन्ना हजारे, बाबा रामदेव, जनरल वीके सिंह, अरविंद केजरीवाल, तमाम लोग क्या सिर्फ एक चुनी हुई सरकार, एक सुदृढ़ अर्थव्यवस्था को पटरी से उतारने के षडयंत्रकारी मात्र थे या नहीं थे? ये साबित हुआ या नहीं हुआ?




कांग्रेस नेता खेड़ा ने कहा,'' हम यह मांग करते हैं कि कठपुतली नंबर एक विनोद राय से कि जिस तरह से उन्होंने बिना शर्त के कल संजय निरुपम जी से माफी मांगी, उसी तरह से पूरे देश से माफी मांगे, बिना किसी शर्त के और कठपुतली नंबर एक से हम यह भी मांग करते हैं कि जितनी सुख सुविधांए उन्होंने सेवा निवृति के बाद भोगी, वो तमाम सुख सुविधाएं सरकारी खजाने में फिर से जमा करा दें। अगर थोड़ा सा भी ईमान बचा है, हमें मालूम है उनमे ईमान नहीं है, लेकिन अगर है तो। जो मेहनतनामा उन्हें मिला, वो लौटा दें, तो अच्छा रहेगा और बाकी का जीवन कठपुतली नंबर एक, खुलकर नागपुर के रेशमबाग में सेवाएं प्रदान करें, जो कि वो आज तक छुप-छुप कर करते आए हैं, अब खुल कर करें। तो शायद वो अपनी नजरों में वो थोड़ा सा उठ पाएंगे। देश की नजरों में वो अब नहीं उठ सकते हैं।



पवन खेड़ा ने कहा कि,'''हम उन तमाम बाकी कठपुतलियों से भी मांग करते हैं, जो षडयंत्रकारी बनकर इस राष्ट्रद्रोह का हिस्सा बने थे। वह भी इस देश से माफी मांगे। रही बात उनके आका की, तो उनके आका से तो अब इस देश की जनता निपटने को तैयार है।




एक अन्य प्रश्न पर कि क्या आप मामले को सड़कों पर भी लेकर जाएंगे,'' श्री पवन खेड़ा ने कहा कि हम पिछले 7 सालों से सड़को पर ही हैं। ये तमाम बातें, हम जब सरकार में थे, तब भी बार-बार आप लोगों से निवेदन कर रहे थे कि साहब, सुन लीजिए, गलत है ये। ये 'नोशनल लॉस' क्या होता है। और रही बात कोल की, तो उस वक्त की जो भाजपा की राज्य सरकारें थीं, छत्तीसगढ़ हो और अन्य राज्य हों, उन्होंने ही ये मांग की थी, जो हुआ, जो नीति का हिस्सा बनी, तो भ्रष्ट हम कैसे हुए? कोर्ट ने बहुत सही तरीके से आड़े हाथों लिया एजेंसीज को। वो अब तमाम लोगों की भी आँखें खुलनी चाहिए कि जो आदमी एक किताब बेचने के लिए इतना झूठ बोल सकता है, उसने कितना झूठ अपनी सीएजी रिपोर्ट्स में लिखा होगा। कॉमनवैल्थ, 2जी, कोल, बताइए न क्या हुआ? 2जी में तो बिल्कुल स्पष्ट तौर पर कोर्ट ने खत्म ही कर दिया। तो आज हमको दो मिनट रुककर सोचना होगा कि ये षड़यंत्र किसने रचा, क्यों रचा, उसके लाभार्थी कौन थे, वो आज कहाँ है? सबको दिख रहा है, कौन कहाँ बैठा है। जब दिखता है, लिस्ट्स सामने रखते हैं, आपकी, कौन कहाँ स्थापित हुआ, किसको क्या स्थान मिला। आका कौन है, सब कुछ स्पष्ट हो जाता है कि ये षड़यंत्र किसने रचा था और क्यों रचा था? तो अब This is a time to undo the wrong done on Dr. Manmohan Singh's government, on the Congress, on the country.




, फेसबुक को लेकर उठे सवालों के संदर्भ में सरकार की तरफ से पूछे एक अन्य प्रश्न के उत्तर में श्री खेड़ा ने कहा कि 'हुजूर आते-आते बहुत देर कर दी।' ये समय था, इतने पहले 7 साल से जो चल रहा था, जिसमें सबसे बड़ी लाभार्थी यही सरकार है, अब क्या पूछ रहे हैं। जब हम दबाव बना रहे हैं, आप दबाव बना रहे हैं, तब पूछना याद आया है।




बीजेपी नेता अमित मालवीय द्वारा किए गए ट्वीट को लेकर पूछे एक अन्य प्रश्न के उत्तर में श्री खेड़ा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अभी गुजरात के दंगों को फिर से ले रखा है, तो क्या प्रधानमंत्री को हट जाना चाहिए। ये क्या अजीब सी बातें करते हैं। एक लिस्ट होती है, जो भी सांसद रहे हों, दिल्ली से, वो पर्मानेंट इंवाइटी होंगे। इन्हें कुछ ज्ञान है नहीं, अल्पज्ञानी आदमी, पूरे देश में अज्ञान फैलाने की कोशिश करते हैं।



एक अन्य प्रश्न के उत्तर में श्री खेड़ा ने कहा कि तो हमने क्या कहा कि भाजपा मुक्त भारत होना चाहिए? हम तो भाजपा की तरह सोच भी नहीं रखते। ये कंसल्टेंटस की न तो कोई विचारधारा होती है। मझे इस तरह के सवालों से बड़ी पीड़ा होती है। कंसल्टेंट हो, टैक्टीशियन हो, ट्रिक्सटर हो, स्ट्रैटजिस्ट हो, या स्वयं भागीदार हो। कभी टेबल के इस तरफ, कभी टेबल के उस तरफ, ऐसे थोड़े ही काम चलता है, भाई। पहले आप अपने दिमाग में आप स्पष्ट कर लीजिए कि आप हो क्या, फिर देश को भाषण दो कि भाई, राहुल गांधी भी सीखे, मोदी जी भी सीखे। सब आप ही से सीखे, हाथ जोड़कर और गुरु दक्षिणा देते रहे। ऐसा नहीं होता है|





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