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69000 शिक्षक भर्ती आरक्षण घोटाला मामला: सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर लगाई रोक, यूपी सरकार को भेजा नोटिस

  • by: news desk
  • 09 September, 2024
69000 शिक्षक भर्ती आरक्षण घोटाला मामला: सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर लगाई रोक, यूपी सरकार को भेजा नोटिस

नई दिल्ली: 69000 सहायक शिक्षक भर्ती आरक्षण घोटाला मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें उत्तर प्रदेश सरकार को राज्य में 69,000 सहायक शिक्षकों की नियुक्ति के लिए नई चयन सूची तैयार करने को कहा गया था। शीर्ष अदालत ने जून 2020 और जनवरी 2022 में राज्य अधिकारियों द्वारा जारी सहायक शिक्षकों की चयन सूची को रद्द करने के हाईकोर्ट के फैसले पर भी रोक लगा दी, जिसमें 6,800 उम्मीदवार शामिल थे। 



हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने रवि कुमार सक्सेना और 51 अन्य द्वारा दायर याचिका पर राज्य सरकार और यूपी बेसिक शिक्षा बोर्ड के सचिव सहित अन्य को नोटिस भी जारी किए। अब इस केस पर अगली सुनवाई 23 सितंबर को होगी |



गौरतलब है कि,''69000 सहायक शिक्षक भर्ती आरक्षण घोटाला मामले में राज्य सरकार को बड़ा झटका देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुक्रवार 17 अगस्त, 2024 को 69,000 सहायक शिक्षक भर्ती-2028 को रद्द कर दिया था। इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ बेंच ने उत्तर प्रदेश सरकार को 3 महीने के अंदर राज्य में 69,000 सहायक शिक्षकों की नियुक्ति के लिए नई चयन सूची तैयार करने का निर्देश दिया था।  इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस बड़े फैसले से पिछले चार साल से शिक्षक पद पर नौकरी कर रहे अभ्यर्थियों का भविष्य अधर में लटक गया था|



कोर्ट ने 17 अगस्त, 2024 को जून 2020 और जनवरी 2022 में जारी चयन सूचियों को भी रद्द कर दिया था, जिसमें 6,800 अभ्यर्थी शामिल थे|न्यायालय ने निर्देश दिया कि नई चयन सूची तैयार करते समय वर्तमान में कार्यरत सहायक अध्यापकों पर पड़ने वाले किसी भी प्रतिकूल प्रभाव को कम किया जाना चाहिए, ताकि उन्हें चालू शैक्षणिक सत्र पूरा करने की अनुमति दी जा सके। न्यायालय ने कहा कि इसका उद्देश्य छात्रों की शिक्षा में व्यवधान को रोकना है। 



पीठ ने पहले के आदेश में संशोधन करते हुए कहा कि आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवार जो सामान्य श्रेणी की मेरिट सूची में योग्य हैं, उन्हें उसी श्रेणी में स्थानांतरित किया जाना चाहिए। इसके अलावा, ऊर्ध्वाधर आरक्षण (पिछड़े वर्ग के लोगों के लिए आरक्षण) का लाभ क्षैतिज आरक्षण (समाज में वंचित समूह के लिए आरक्षण) श्रेणियों को भी दिया जाना चाहिए।


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बता दें कि, यूपी सरकार ने 69,000 सहायक शिक्षकों की भर्ती के लिए दिसंबर 2018 में विज्ञापन जारी किया था और जनवरी 2019 में परीक्षा आयोजित की गई थी। इस भर्ती में 4 लाख 10 हजार उम्मीदवारों ने भाग लिया था, जिसमें से 1 लाख 40 हजार उम्मीदवार सफल हुए थे। इसके बाद सरकार ने मेरिट लिस्ट जारी की...मेरिट लिस्ट आते ही हंगामा मच गया था|


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अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया कि 19 हजार पदों पर आरक्षण घोटाला हुआ है| उनका आरोप था कि ओबीसी वर्ग को 27 फीसदी की जगह सिर्फ 3.86 फीसदी आरक्षण मिला, जबकि अनुसूचित जाति (एससी) वर्ग को 21 फीसदी की जगह 16.2 फीसदी आरक्षण मिला| इसको लेकर हंगामा शुरू हुआ तो सरकार ने आरक्षण घोटाले से इनकार कर दिया | जिसके बाद, अभ्यर्थियों ने  प्रदर्शन शुरू कर दिया और बाद में हाई कोर्ट पहुंच गए|  हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने भी माना था कि भर्ती में आरक्षण घोटाला हुआ है और फिर से पूरी मेरिट जारी होनी चाहिए|







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