नई दिल्ली: हैदराबाद में महिला डॉक्टर के साथ हुई क्रूरता के खिलाफ पूरा देश खड़ा हो गया है| इस घटना को लेकर पूरे देश में उबाल है। हैदराबाद में हुए रेप की घटना पर आज दोनों सदनों में चर्चा हुई| सांसदों ने इस घटना की जमकर भर्त्सना की और कहा कि ऐसे मामलों में फैसला जितनी जल्दी हो सके उतना अच्छा होगा| सांसदों ने निर्भया वाले मामले का भी जिक्र किया और कहा कि उस मामले के सात साल बाद भी उसके दोषियों को अभी तक फांसी पर नहीं लटकाया गया है| देर से मिला न्यास अन्याय के समान होता है|
लोकसभा स्पीकर ओम बिरला और राज्यसभा में सभापति वेंकैया नायडू ने भी महिलाओं के खिलाफ अपराध पर चिंता जताई |राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने कहा, केवल कानून से काम नहीं चलगेा. बदलाव की जरूरत है| यह समाज की बीमारी है| केवल फास्ट ट्रैक कोर्ट से कुछ नहीं होगा| कम उम्र से कोई लेना देना नहीं, जिसने ऐसा काम किया, उसको क्या छोड़ा जा सकता है...? एक डर होना चाहिए| समाज में जागरूकता पैदा करने की जरूरत है| वहीं हैदराबाद की घटना पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा, "देश में जो घटनायें घट रही हैं उसपे संसद भी चिंतित है, मैंने प्रश्नकाल के बाद इस पर चर्चा की अनुमति दी है ”।
पशु चिकित्सक के साथ बलात्कार और हत्या पर तृणमूल कांग्रेस सांसद मिमी चक्रवर्ती ने कहा कि मैं सभी संबंधित मंत्रियों से अनुरोध करती हूं कि कृपया एक कानून को इतना मजबूत बनाएं कि कोई व्यक्ति बलात्कार करने से पहले 100 बार सोचें, लेकिन इससे पहले भी किसी महिला को गलत इरादे से देखें।राज्यसभा सांसद जया बच्चन के बयान(एसे लोगों को भीड़ के हवाले कर देना चाहिए) पर मिमी चक्रवर्ती ने कहा कि मैं इससे सहमत हूँ। मुझे नहीं लगता कि हमें बलात्कारियों को संरक्षण के साथ अदालतों में ले जाने और न्याय की प्रतीक्षा करने की आवश्यकता नही है। तत्काल सजा की जरूरत है।
बता दें कि हैदराबाद रेप-मर्डर केस पर समाजवादी पार्टी की राज्य सभा में सांसद जया बच्चन ने कहा कि हैदराबाद में जिस तरीके के घटना हुई है उसमें शामिल लोगों को पब्लिक के हवाले कर देना चाहिए| उन्होने कहा कि इस प्रकार के लोगों (बलात्कार के अभियुक्तों) को पब्लिक और लिंचिंग करने की आवश्यकता है| जया बच्चन ने कहा कि यदि आप सुरक्षा प्रदान करने में सक्षम नहीं हैं, तो निर्णय देने के लिए इसे जनता पर छोड़ दें। जो लोग सुरक्षा प्रदान करने में विफल रहे और जिन्होंने अपराध किया है, उन्हें सार्वजनिक रूप से उजागर किया जाना चाहिए, और फिर लोगों को निर्णय लेने दें।