नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट नागरिकता संशोधन नियम 2024 पर रोक लगाने की मांग वाली याचिकाओं पर 19 मार्च को सुनवाई करने के लिए सहमत है। सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए), 2019 पर रोक लगाने की मांग वाली याचिकाओं पर 19 मार्च को सुनवाई करने के लिए सहमत हो गया।
वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के समक्ष इस मुद्दे का उल्लेख किया जिन्होंने कहा कि मामला अगले सप्ताह सूचीबद्ध किया जाएगा।
2019 से शीर्ष अदालत में दायर दो सौ से अधिक संबंधित याचिकाओं में विभिन्न सीएए प्रावधानों को चुनौती दी गई है। इस कानून का उद्देश्य गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को तेजी से नागरिकता प्रदान करना है, जो 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से धार्मिक उत्पीड़न के कारण भारत आए थे।
सीएए को दिसंबर 2019 में संसद द्वारा पारित किया गया था, लेकिन केंद्र सरकार ने सोमवार (11मार्च, 2024) को इसके लिए नियम जारी किए।
CAA के चेहरे पर धर्म-आधारित बहिष्कार स्पष्ट रूप से स्पष्ट है, जो इसे संवैधानिक रूप से संदिग्ध बनाता है। केवल पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के इस्लामी देशों के गैर-मुस्लिम ही इस कानून के लाभार्थी हैं। रोहिंग्या शरणार्थी, जो पड़ोसी देश म्यांमार में अपने ख़िलाफ़ हो रहे नरसंहार के कारण भागकर भारत आ गए, उनको इसमें शामिल नहीं किया गया। भारत में शरण लेने वाले श्रीलंकाई तमिल शरणार्थियों को CAA का लाभ नहीं मिलेगा।
CAA के कार्यान्वयन पर TMC नेता शशि पांजा ने कहा, "CAA और नागरिकता वाली बात पश्चिम बंगाल में काम नहीं करेगी। पश्चिम बंगाल में रहने वाला हर कोई नागरिक है... उनके(भाजपा) पास चुनाव से पहले भारत की समस्याओं का समाधान नहीं है। इसलिए वे CAA के साथ खेल रहे हैं। केरल ने हमारा समर्थन किया क्योंकि वे भी समझते हैं कि उनके राज्य में रहने वाला हर कोई इस देश का नागरिक है..."