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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल के निधन पर सोनिया गांधी ने जताया शोक, कहा- मैंने एक वफादार सहयोगी और एक दोस्त खो दिया

  • by: news desk
  • 25 November, 2020
 कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल के निधन पर सोनिया गांधी ने जताया शोक, कहा- मैंने एक वफादार सहयोगी और एक दोस्त खो दिया

नई दिल्ली:  कांग्रेस के दिग्गज नेता अहमद पटेल (Ahmed Patel) नहीं रहे| आज (बुधवार) सुबह 3:30 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली| अहमद पटेल के निधन पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने दुख जताया है| कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा, 'मैंने एक अपरिवर्तनीय कॉमरेड, एक वफादार सहयोगी और एक दोस्त खो दिया है|



कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने कहा,''श्री #AhmedPatel, मैंने एक सहयोगी को खो दिया है, जिसका पूरा जीवन कांग्रेस को समर्पित था। मैं एक वफादार सहयोगी और एक दोस्त खो चुकी हूं, उनके परिवार के प्रति मेरी गहरी संवेदना है|




सोनिया गांधी ने लिखा, 'अहमद पटेल के रूप में मैंने एक सहयोगी को खो दिया है, जिसका पूरा जीवन कांग्रेस पार्टी को समर्पित था|उनकी ईमानदारी और समर्पण, अपने कर्तव्य के प्रति उनकी प्रतिबद्धता, वह हमेशा मदद करने के लिए तैयार रहते थे|उनकी उदारता दुर्लभ गुण थे, जो उन्हें दूसरों से अलग करते थे|




उन्होंने आगे लिखा, 'मैंने एक अपरिवर्तनीय कॉमरेड, एक वफादार सहयोगी और एक दोस्त खो दिया है| मैं उनके निधन पर शोक व्यक्त करती हूं और मैं उनके शोक संतप्त परिवार के लिए संवेदनाएं व्यक्त करती हूं|बता दें कि अहमद पटेल ने वर्षों तक सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार के तौर पर काम किया और माना जाता है कि वह उनके द्वारा लिए गए हर महत्वपूर्ण निर्णय का हिस्सा थे|




दिग्गज कांग्रेस नेता अहमद पटेल का आज सुबह साढ़े तीन बजे निधन हो गया| वे गुड़गांव के मेदांता अस्पताल की गहन चिकित्सा इकाई (ICU) में भर्ती थे| उनके निधन की जानकारी उनके बेटे फैसल पटेल ने दी| 71 वर्षीय अहमद पटेल ने एक अक्टूबर को ट्वीट किया था कि वह कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए हैं|




उनके बेटे फैसल पटेल ने ट्वीट करके जानकारी दी कि ''बहुत दुख के साथ यह सूचना दी जा रही है कि आखिरकार मेरे पिता अहमद पटेल का 25 नवंबर को रात 3:30 बजे देहावसान हो गया|करीब एक माह पहले उनके कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद से उनकी तबीयत बहुत खराब थी. उनके शरीर के कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था| अल्लाह उन्हें जन्नत में जगह दे| फैसल ने अपने सभी शुभचिंतकों को सलाह दी है कि कोविड-19 के मद्देनजर सभी नियमों का पालन करें| भीड़ न लगाएं और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें|





गुजरात के भरूच जिले के अंकलेश्वर में पैदा हुए अहमद पटेल तीन बार (1977, 1980,1984) लोकसभा सांसद और पांच बार (1993,1999, 2005, 2011, 2017 से वर्तमान तक) राज्यसभा सांसद रह चुके थे। पटेल ने अपना पहला चुनाव 1977 में भरूच से लड़ा था, जिसमें वो 62,879 वोटों से जीते। 1980 में उन्होंने फिर यहीं से चुनाव लड़ा और इस बार 82,844 वोटों से जीते थे। 1984 के अपने तीसरे लोकसभा चुनाव में उन्होंने 1,23,069 वोटों से जीत दर्ज की थी। 1993 से अहमद राज्यसभा सांसद थे और 2001 से सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार भी थे।




अहमद पटेल 1977 से 1982 तक पटेल गुजरात की यूथ कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे। सितंबर 1983 से दिसंबर 1984 तक वो ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के ज्वाइंट सेक्रेटरी रहे। 1985 में जनवरी से सितंबर तक वो प्रधानमंत्री राजीव गांधी के संसदीय सचिव रहे। उनके अलावा अरुण सिंह और ऑस्कर फर्नांडिस भी राजीव के संसदीय सचिव थे। सितंबर 1985 से जनवरी 1986 तक पटेल ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के जनरल सेक्रेटरी रहे। कांग्रेस के तालुका पंचायत अध्यक्ष के पद से राजनीति की शुरुआत करने वाले पटेल जनवरी 1986 में गुजरात कांग्रेस के अध्यक्ष बने, जो वो अक्तूबर 1988 तक रहे। 1991 में जब नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री बने, तो पटेल को कांग्रेस वर्किंग कमेटी का सदस्य बनाया गया, जो वो अब तक थे।



1996 में पटेल को ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी का कोषाध्यक्ष बनाया गया था। उस समय सीताराम केसरी कांग्रेस के अध्यक्ष थे। हालांकि, साल 2000 सोनिया गांधी के निजी सचिव वी जॉर्ज से तकरार होने के बाद उन्होंने ये पद छोड़ दिया था और अगले ही साल से सोनिया के राजनीतिक सलाहकार बन गए थे। संगठन में इन पदों के अलावा वो सिविल एविएशन मिनिस्ट्री, मानव संसाधन मंत्रालय और पेट्रोलियम मंत्रालय की मदद के लिए बनाई गईं कमेटी के सदस्य भी रह चुके थे। 2006 से वो वक्फ संयुक्त संसदीय समिति के सदस्य थे। अहमद गुजरात यूथ कांग्रेस कमेटी के सबसे युवा अध्यक्ष तो थे ही, वो अहसान जाफरी के अलावा दूसरे ऐसे मुस्लिम थे, जिन्होंने गुजरात से लोकसभा चुनाव जीता।




मंत्रीपद को ठुकरा कर पार्टी संगठन में काम को दी थी प्राथमिकता: पहले इंदिरा और फिर राजीव, राजीव ने भी 1984 चुनाव के बाद अहमद को मंत्रीपद देना चाहा, लेकिन अहमद ने फिर पार्टी को चुना। राजीव के रहते उन्होंने यूथ कांग्रेस का नेशनल नेटवर्क तैयार किया, जिसका सबसे ज्यादा फायदा सोनिया को मिला। अहमद के आलोचक कहते हैं कि गांधी परिवार के प्रति उनकी न डिगने वाली निष्ठा ही हैं, जिस पर कोई सवाल नहीं उठा सकता। अहमद के राजीव के साथ मतभेद चाहे जैसे रहे हों, लेकिन वो राजीव को कितना एडमायर करते थे, इस पर कोई संदेह नहीं है।




कांग्रेस के पास पटेल जैसा दूसरा कोई नेता नहीं: अहमद पटेल को 10 जनपथ का चाणक्य भी कहा जाता था। वो कांग्रेस परिवार में गांधी परिवार के सबसे करीब और गांधियों के बाद ‘नंबर 2’ माने जाते थे। बेहद ताकतवर असर वाले अहमद लो-प्रोफाइल रखते थे, साइलेंट और हर किसी के लिए सीक्रेटिव थे। गांधी परिवार के अलावा किसी को नहीं पता कि उनके दिमाग में क्या रहता था। पटेल की कोशिश रहती थी कि दिल्ली और देश के मीडिया में उनकी जरा भी प्रोफाइल न हो, वो कभी टीवी चैनलों पर नहीं दिखते, लेकिन उन पर खबरें कंट्रोल करने का आरोप लगता रहा। गांधी परिवार और प्रधानमंत्रियों से लगातार मिलते रहने के बावजूद उनके साथ पटेल की तस्वीरें बेहद चुनिंदा हैं।







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