नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के जवानों पर हुए आतंकी हमले की दूसरी बरसी पर कांग्रेस पार्टी ने शहीद जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की।साल 2019 के फरवरी महीने की 14 तारीख ने देश को झकझोर कर रख दिया था। इस दिन हुए आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे। इस दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व रक्षा मंत्री ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि देश पाकिस्तान और चीन दोनों मोर्चों पर युद्ध जैसी स्थिति का सामना कर रहा है। इसके इतर मोदी सरकार ने सेना का मनोबल कम किया है।
नई दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेन्स में कांग्रेस नेता और पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी ने कहा कि,''मोदी सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता नहीं दे रही है। देश पाकिस्तान और चीन दोनो मोर्चों पर युद्ध जैसे हालात का सामना कर रहा है। जब सभी को उम्मीद थी कि रक्षा बजट बढ़ेगा लेकिन सरकार ने रक्षा बजट पिछले साल की तुलना में बहुत कम बढ़ाया गया|
एंटनी ने कहा कि एक ओर पाकिस्तान हमारे देश में आतंकवादियों को भेज रहा है, दूसरी चीन अरुणाचल से लेकर लद्दाख तक कई प्वाइंट्स पर अतिक्रमण कर रहा है और जवानों की भारी तैनाती किए हुए है। हमारी सेना 24 घंटे वहां मुस्तैद है, लेकिन सरकार सेना का समर्थन नहीं कर रही है, सेना का मनोबल नहीं बढ़ा रही है जबकि इस वक्त सेना को इसकी जरूरत है। चीन की नौसेना भी हमारी सीमा में घुसपैठ कर रही है। इस सबके बावजूद केंद्र सरकार ने सीमाओं की सुरक्षा के लिए जरूरी बजट में मामूली बढ़ोतरी की है। उन्होंने कहा कि थल सीमा ही नहीं जल सीमा पर भी चीन का खतरा बढ़ा हुआ है, लेकिन सरकार बजट में बढ़ोतरी नहीं करके सेना का मनोबल गिरा रही है।
उन्होंने मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि देश के वीर जवानों की शहादत को अपने चुनावी प्रचार में उपयोग करने वाली सरकार ने रक्षा बजट में नाम मात्र वृद्धि कर भारत के सैनिकों को आत्मनिर्भर होने को मजबूर किया। वर्तमान सरकार सेना को कमजोर बनाने में जुटी हुई। हमारे वीर जवानों का मनोबल तोड़ रही है।
कांग्रेस पार्टी की ओर से की गई प्रेस कांफ्रेस में पूर्व रक्षा मंत्री ने चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सेना को पीछे हटाने के लिए हुए समझौते पर भी सवाल उठाए। पूर्व रक्षा मंत्री ने कहा कि गलवान घाटी कभी भी विवादित नहीं था। वर्ष 1962 में भी नहीं। ये हमेशा भारत का हिस्सा था, लेकिन पहली बार वहां हमारी सेना को शहादत देनी पड़ी है। भारत सरकार चीन के सामने झुक गई, जिसके चलते हमारी सेना को पीछे हटना पड़ा है। देश की कमजोर सरकार सेना को कमजोर बनाने पर तुली हुई है। उन्होंने कहा कि डिसइंगेजमेंट के साथ अपने पेट्रोलिंग प्वाइंट को छोड़ना और बफ़र ज़ोन बनाने का समझौता घुटने टेकने जैसा है।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार कैलाश रेंज छोड़ना भी चौंकाने वाला फैसला है। फिंगर चार से आठ तक विवादित रहा है, लेकिन भारत ने फिंगर 8 तक अपना दावा कभी नहीं छोड़ा। पूर्व रक्षा मंत्री ने कहा कि जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में बयान देकर कहा कि हमारी सेना फिंगर 3 तक रहेगी, तब भारत का एक पोस्ट फिंगर 4 पर था।
प्रेस कांफ्रेस में कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा,'' मोदी सरकार देश की सुरक्षा को खतरे में डाल रही है। मोदी सरकार ने देश की भूभागीय अखंडता से समझौता व खिलवाड़ किया है| मोदी सरकार ने भारत माता की सरजमीं को चीन के कब्जे में दे दिया है। भारतीय क्षेत्र को चीन को सरेंडर किया है। इससे बड़ा खतरा देश की अखंडता के लिए नहीं हो सकता|
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा,''मोदी सरकार ने हमारी सेना के शौर्य व पराक्रम को कमजोर करने की कोशिश क्यों की है|पूरा देश शांति चाहता है, परंतु शांति किस कीमत पर? क्या देश की सरजमीं को चीन को सौंप कर शांति स्थापित की जा सकती है? इसका जवाब मोदी सरकार को देना पड़ेगा|
मोदी सरकार ने गलवान घाटी और पैंगोंग त्सो इलाके के अंदर हमारी सरजमीं को चीन को सौंप दिया। इसलिए चीन के साथ कोई समझौता राष्ट्रीय अखंडता व भूभागीय अखंडता से खिलवाड़ कर नहीं हो सकता| मोदी सरकार बताये कि उन्होंने गलवान घाटी में जहाँ हमारे सैनिकों ने भारत की सरजमीं की सुरक्षा करते हुए शहादत दी, वहां पर पेट्रोलिंग प्वाइंट 14 के पीछे हमारी सेना को क्यों हटाया है और भारत की सीमा के अंदर बफर जोन क्यों बनाया है?
सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण और सेना के पराक्रम और शौर्य की पहचान बना कैलाश रेंज, जिस पर हमारी सेना चीन से बहुत ऊपर थी, जिससे चीन घबराता था। मोदी सरकार ने इस समझौते में पैंगोंग लेक के दक्षिणी किनारे पर से हमारी सेना को हटाने का दुर्भाग्यपूर्ण निर्णय क्यों लिया?
क्या मोदी सरकार भूल गई है कि पैंगोंग त्सो झील के उत्तरी किनारे पर फिंगर-4 पर हमारी सेना की पोस्ट है; मोदी सरकार भूभागीय अखंडता से खिलवाड़ करते हुए फिंगर-4 से फिंगर-3 तक पीछे क्यों हट रही है?
भारत के मुताबिक सदैव हमने फिंगर-8 तक हमारी LAC को माना है, तो फिर भारत की सरजमीं के अंदर ही फिंगर-8 और फिंगर-3 के अंदर बफर जोन स्थापित कर देश की भूभागीय अखंडता से घिनौना समझौता और जमीन का सरेंडर मोदी सरकार क्यों कर रही है? मोदी सरकार चीन को वापस धकेल कर अप्रैल 2020 की यथास्थिति कब स्थापित करेगी? इस बारे में मोदी सरकार का क्या रास्ता और दृष्टि है?