नई दिल्ली: भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की चैयरमैन माधबी पुरी बुच पर पद के दुरुपयोग का आरोप लगा है| सेबी की चैयरमैन रहते हुए माधबी बुच ने ICICI बैंक से भी 2017 से 2024 तक 16 करोड़ 80 लाख रुपये वेतन लिया, साथ ही उन्हें सेबी से ₹33 करोड़ का वेतन भी मिला। कांग्रेस ने सोमवार को भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की अध्यक्ष माधवी पुरी बुच पर आईसीआईसीआई बैंक में लाभ का पद संभालने और बैंक तथा उसकी सहायक कंपनियों से 16.8 करोड़ रुपये का भारी लाभ प्राप्त करने का आरोप लगाया।
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने आरोप लगाया कि 2017 से 2024 के बीच, बुच को आईसीआईसीआई बैंक से ₹12.63 करोड़, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल से ₹22.41 लाख, कर्मचारी स्टॉक स्वामित्व योजनाओं (ईएसओपी) से ₹2.84 करोड़ और आईसीआईसीआई से टीडीएस भुगतान में ₹1.10 करोड़ मिले, इसके अलावा उन्हें सेबी से ₹33 करोड़ का वेतन मिला।......बुच के सेबी अध्यक्ष की भूमिका संभालने के बाद भी।
देश में शतरंज का खेल चल रहा है- पवन खेड़ा
दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए, कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि, "देश में शतरंज का खेल चल रहा है। आज हम उसी शतरंज के खेल के एक मोहरे के बारे में आपको बताएंगे और वो नाम है: माधबी पुरी बुच।
SEBI की पूर्णकालिक सदस्य होते हुए रेगुलर इनकम ICICI बैंक से ले रही थीं बुच
• माधबी पुरी बुच 5 अप्रैल, 2017 से 4 अक्टूबर, 2021 तक SEBI में पूर्णकालिक सदस्य थीं।
• फिर 2 मार्च, 2022 को माधबी पुरी बुच SEBI की चेयरपर्सन बनीं।
• SEBI की चेयरपर्सन को नियुक्त करने वाली कैबिनेट में PM मोदी और अमित शाह शामिल हैं।
• माधबी पुरी बुच SEBI की पूर्णकालिक सदस्य होते हुए रेगुलर इनकम ICICI बैंक से ले रही थीं, जो कि 16.80 करोड़ रुपए था।
• वे ICICI प्रूडेंशियल, ESOP और ESOP का TDS भी ICICI बैंक से ले रही थीं।
उन्होंने कहा, "यह सिर्फ अनुचितता नहीं है; यह अवैधता है।" पवन खेड़ा ने कहा कि, "इसलिए हम जानना चाहते हैं कि आप SEBI की पूर्णकालिक सदस्य होने के बाद भी अपना वेतन ICICI से क्यों ले रही थीं? इन भुगतानों के बदले में बुच ने आईसीआईसीआई को क्या सेवाएं प्रदान कीं ?।
माधबी पुरी बुच अपने पद से इस्तीफा दे
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा, " यह सीधे-सीधे SEBI के सेक्शन-54 का उल्लंघन है। इसलिए अगर माधबी पुरी बुच में थोड़ी भी शर्म होगी तो उन्हें अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।
ICICI बैंक से वेतन कैसे ले सकती हैं माधबी बुच
खेड़ा ने कहा, "माधबी बुच मार्केट की रेगुलेटर हैं, SEBI की चेयरपर्सन हैं, तब भी वे ICICI बैंक से वेतन कैसे ले सकती हैं? 2017-2024 के बीच इन्होंने ICICI प्रूडेंशियल से 22,41,000 रुपए क्यों लिए? आखिर वह ICICI को क्या सेवाएं दे रही थीं?
खेड़ा ने कहा, "सवाल सिर्फ़ सेबी, अध्यक्ष या आईसीआईसीआई से नहीं पूछे जाने चाहिए; सवाल प्रधानमंत्री के खिलाफ़ भी उठाए जाने चाहिए।" उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, जो कि कैबिनेट की नियुक्ति समिति (एसीसी) के दोनों सदस्य हैं, से पूछा कि क्या प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली एसीसी को इन वित्तीय संबंधों के बारे में पता था।
खेड़ा ने प्रधानमंत्री के खिलाफ़ कई सवाल उठाए:
प्रधानमंत्री मोदी से सवाल:
1. प्रधानमंत्री जी, आप जब रेगुलेटरी बॉडी के प्रमुखों की नियुक्ति करते हैं, तो उनके लिए क्या उचित मानदंड रखते हैं?
2. क्या प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली ACC के सामने SEBI चेयरपर्सन की नियुक्ति से पहले/बाद में उनके बारे में ये चौंकाने वाले तथ्य आए थे? 3. क्या प्रधानमंत्री को पता था कि माधबी पुरी बुच SEBI के कार्यकाल में लाभ के पद पर होने के बावजूद ICICI से सैलरी ले रही थीं?
4. क्या प्रधानमंत्री को मालूम है कि SEBI की चेयरपर्सन/पूर्णकालिक सदस्य के रूप में ICICI के खिलाफ शिकायतों का निपटारा कर रही थीं और साथ ही ICICI से इनकम ले रहीं थीं?
5. SEBI की चेयरपर्सन/पूर्णकालिक सदस्य को ESOP प्रॉफिट ICICI छोड़ने के बाद भी क्यों मिलता रहा, क्या इस बारे में प्रधानमंत्री जानते थे?
6. प्रधानमंत्री को बताना चाहिए कि SEBI की चेयरपर्सन के बारे में इतने खुलासे होने के बाद भी उन्हें कौन बचा रहा है और क्यों?
CICI बैंक से भी पूछे सवाल
खेड़ा ने पूछा कि क्या आईसीआईसीआई ने बुच को लाभ प्रदान करने के लिए अपने स्वयं के ईएसओपी नियमों को दरकिनार कर दिया, जबकि वह सेबी की सदस्य थीं और पूछा कि क्या यह जानकारी लिस्टिंग, दायित्व और प्रकटीकरण आवश्यकताओं (एलओडीआर) के अनुसार उनकी वार्षिक रिपोर्टों में प्रकट की गई थी।
• क्या ICICI ने किसी भी जगह SEBI के मेंबर को वेतन देने की बात सार्वजनिक की?
• ICICI सेबी की चेयपर्सन को सैलरी देने की आड़ में वह क्या सुविधा ले रहे थे?
• आखिर ICICI बैंक ने सालाना रिपोर्ट में यह जानकारी क्यों नहीं दी?
• ICICI बैंक ने ESOP के नियम का उल्लंघन कर इनको लाभ क्यों दिए?
खेड़ा ने कहा, "SEBI से मैं पूछना चाहता हूं- क्या ऐसी और भी कंपनियां हैं, जिससे आप और आपके परिवार के सदस्य इस तरह के लाभ उठा रहे हैं।
खेड़ा ने सवाल उठाया कि एक नियामक संस्था का शीर्ष अधिकारी नैतिक रूप से उस इकाई (ICICI बैंक) से आय कैसे ले सकता है जिसे वह नियंत्रित करता है, और खेड़ा ने कहा, "इस खुलासे के बाद थोड़ी भी शर्म रखने वाला कोई भी व्यक्ति इस्तीफा देने का इंतजार नहीं करेगा।"
खेरा ने सेबी को चुनौती दी कि वह बताए कि क्या कोई अन्य कंपनी सेबी सदस्यों या उनके परिवार के सदस्यों को इसी तरह का लाभ दे रही है|उन्होंने पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग की, न केवल सेबी और आईसीआईसीआई से बल्कि सरकार के उच्चतम स्तर के अधिकारियों से भी जवाब मांगा।
SEBI चेयरपर्सन को तत्काल बर्ख़ास्त करना चाहिए-खड़गे
इस खुलासे पर, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, "10 वर्षों से आपने चंद पूँजीपति मित्रों की मदद करने के लिए भारत की संस्थानों की स्वायत्तता व स्वतंत्रता को कुचलने की भरपूर कोशिश की है।''
मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, "हमने CBI, ED, RBI, CEC - ये सब में देखा, अब हम SEBI में भी यही झेल रहे हैं। जो SEBI की पहली lateral entry वाली चेयरपर्सन को बिना किसी तफ्तीश के आपने नियुक्त किया है, उससे SEBI की साख़ पर बदनुमा धब्बा लग गया है।''
SEBI मध्यम वर्ग व छोटे निवेशकों की गाढ़ी कमाई सुरक्षित करती है, आपके मित्र प्रेम और शायद जानबूझकर की गई इस नियुक्ति से देश के Market Regulator पर भरोसा कम होगा !
मल्लिकार्जुन खड़गे ने माँग की —
1-माननीय सुप्रीम कोर्ट को इन नये ख़ुलासों का अब संज्ञान लेना होगा।
2-SEBI चेयरपर्सन को तत्काल बर्ख़ास्त करना चाहिए।
3-अडानी महाघोटाले की JPC जाँच होनी चाहिए।
चूँकि SEBI चेयरपर्सन की नियुक्ति मोदी-शाह के नेतृत्व वाली समिति द्वारा की गई थी, इसलिए वे भ्रष्टाचार के आरोपों से जुड़े इन नए ख़ुलासों से बच नहीं सकते !
बुच दंपती पर अडानी समूह द्वारा संचालित ऑफशोर फंड्स में निवेश करने का आरोप.....
10 अगस्त को हिंडेनबर्ग रिसर्च ने एक रिपोर्ट जारी की जिसमें दावा किया गया कि सेबी प्रमुख और उनके पति ने स्टॉक मूल्य हेरफेर और वित्तीय धोखाधड़ी के लिए अडानी समूह द्वारा संचालित ऑफशोर फर्मों से जुड़े निवेश किए थे। रिपोर्ट के अनुसार- नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) प्रमुख माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच पर ऑफशोर फंड्स में निवेश करने का आरोप है, जिनका इस्तेमाल अदाणी समूह के शेयरों में तेजी लाने के लिए किया गया था।
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सेबी की चेयरपर्सन बुच और उनके पति धबल बुच ने बरमूडा और मॉरीशस में अस्पष्ट विदेशी कोषों में अघोषित निवेश किया था। फर्म ने कहा कि ये वही कोष हैं जिनका कथित तौर पर विनोद अदाणी ने पैसों की हेराफेरी करने और समूह की कंपनियों के शेयरों की कीमतें बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया था। विनोद अदाणी, अदाणी समूह के चेयरपर्सन गौतम अदाणी के बड़े भाई हैं।
बुच दंपती ने मॉरीशस की उसी ऑफशोर कंपनी में निवेश किया है, जिसके जरिए भारत में अदाणी ग्रुप की कंपनियों में निवेश करवाकर अदाणी ने लाभ उठाया था। संस्था ने कहा कि इसे व्यापार का गलत तरीका माना जाता है। सेबी को अदाणी मामले से संबंधित फंडों की जांच करने का जिम्मा सौंपा गया था, जिसमें बुच द्वारा भी निवेश किया गया था। यही पूरी जानकारी रिपोर्ट में उजागर की गई है। यह स्पष्ट है कि सेबी प्रमुख और अदाणी ग्रुप के हित एक-दूसरे से जुड़े हुए थे। यह हितों का एक बड़ा टकराव है।