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अर्थव्यवस्था को लेकर राहुल गांधी का मोदी सरकार पर हमला, कहा- इकोनॉमी तीन कार्यों से नष्ट हुई है

  • by: news desk
  • 28 August, 2020
अर्थव्यवस्था को लेकर राहुल गांधी का मोदी सरकार पर हमला, कहा- इकोनॉमी तीन कार्यों से नष्ट हुई है

नई दिल्ली: अर्थव्यवस्था को लेकर कांग्रेस पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला बोला है।।वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बयान पर कांग्रेस पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि,भारत की अर्थव्यवस्था ''डिमोनेटाइजेशन, ग़लत जीएसटी और नाकाम लॉकडाउन के कारण नष्ट हो गई है और इसके अलावा बाकी सब झूठ है|




राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में लिखा है, भारत की अर्थव्यवस्था तीन कार्यों से नष्ट हो गई है:

1. डिमोनेटाइजेशन

2. जीएसटी की उड़ाई धज्जियां 

3. लॉकडाउन विफल| और इसके अलावा बाकी सब झूठ है






बता दे कि,''राज्यों को राजस्व में कमी की भरपाई के मुद्दे पर चर्चा के लिये जीएसटी परिषद की महत्वपूर्ण बैठक बृहस्पतिवार को हुई|जीएसटी काउंसिल की करीब 5 घंटों तक चली विशेष बैठक में राज्यों के राजस्व की भरपाई के मुद्दे पर गंभीर चर्चा की गई। काउंसिल का आकलन है कि इस साल के लिए राज्यों को राजस्व का कुल घाटा 2 लाख 35 हजार करोड़ का हो सकता है।वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण  ने कहा कि COVID19 महामारी के कारण इस साल जीएसटी संग्रह बुरी तरह प्रभावित हुआ है।





काउंसिल में इस मुद्दे पर साफ चर्चा हुई कि  ये घाटा केवल जीएसटी की वजह से नहीं हुआ है बल्कि कोविड की वजह से भी राज्यों को काफी नुकसान हुआ है। जीएएसटी का असर समझें तो इस साल के लिए ये घाटा 97,000 करोड़ रूपए का हो सकता है। चर्चा के बाद राज्यों के सामने दो विकल्प दिए गए हैं। वे चाहें तो जीएसटी राजस्व घाटे के 97000 करोड़ के लिए आरबीआई से कम ब्याज दर पर कर्ज ले सकते हैं। इस विकल्प में उन्हें कम उधार लेना पड़ेगा और साल 2022 के बाद कंपन्सेशन सेस के जरिए जो संग्रह किया जाएगा उससे घाटे की भरपाई की जाएगी।





दूसरे विकल्प में राज्य कुल 2,35,000 करोड़ की राशि के घाटे की भरपाई के लिए आरबीआई से उधार ले सकते हैं जिसमें कोविड की वजह से नुकसान भी शामिल है। गुरुवार की चर्चा के बाद एक बात साफ हो गई कि जीएसटी के नुकसान के लिए उधार केन्द्र सरकार को नहीं लेना होगा। अब ये विकल्प राज्यों के ऊपर छोड़ दिया गया है। दोनों विकल्पों पर चर्चा के लिए राज्यों को 7 दिनों का वक्त दिया गया है और परिषद सात दिनों के बाद फिर से इन विकल्पों पर अंतिम फैसला लेगी। 









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