नई दिल्ली: Pegasus Spying विवाद ने अब तूल पकड़ लिया है| एक के बाद एक नए खुलासे हो रहे हैं और केंद्र सरकार घिरती जा रही है| नए-नए खुलासों के बाद विपक्ष केंद पर लगातार हमलावर हैं और सरकार बार-बार इस मामले से पल्ला झाड़ती दिखाई दे रही है |Phone Taping विवाद इतना बढ़ गया है कि अब सरकार की मुश्किलें भी बढ़ती दिखाई दे रही हैं| द वायर की रिपोर्ट में इस इजरायली स्पाईवेयर से जुड़े अपने नए खुलासे में कहा है कि साल 2019 में Karnataka की Congress-JDS सरकार से जुड़े फोन नंबर संभावित टारगेट थे|
पेगासस स्पाईवेयर विवाद में एक नया खुलासा हुआ है| 'द वायर' ने इस इजरायली स्पाईवेयर से जुड़े अपने नए खुलासे में कहा है कि साल 2019 में कर्नाटक की कांग्रेस- जनता दल सेकुलर सरकार से जुड़े फोन नंबर संभावित टारगेट थे| 'द वायर' की रिपोर्ट के अनुसार जुलाई 2019 में जेडीएस-कांग्रेस की सरकार के गिरने और बीजेपी की सरकार बनने का इस कथित जासूसी से संबंध है|
इज़रायल के एनएसओ ग्रुप के अज्ञात भारतीय क्लाइंट की दिलचस्पी वाले फोन नंबरों के रिकॉर्ड की द वायर द्वारा की गई समीक्षा में सामने आया है कि कर्नाटक में विपक्ष की सरकार गिरने से पहले पूर्व उपमुख्यमंत्री जी. परमेश्वर और तत्कालीन मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के निजी सचिवों के फोन नंबर को संभावित हैकिंग के लिए बतौर टारगेट चुना गया था|
रिकॉर्ड्स दिखाते हैं कि वरिष्ठ नेताओं के नंबरों को तब चुना गया था जब साल 2019 में कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन की सरकार और भाजपा के बीच सत्ता की खींचतान चल रही थी और सत्तारूढ़ गठबंधन के 17 विधायकों ने अचानक इस्तीफ़ा देकर सदन को विश्वास मत के लिए मजबूर कर दिया|
संयोगवश, यह वही समय था जब राहुल गांधी ने अपना पुराना नंबर, जो 2018 से स्पायवेयर के निशाने वाली सूची में था, को बदलकर नया नंबर इस्तेमाल करना शुरू किया था और इसे भी निशाने पर लिया गया|
द वायर द्वारा लीक हुए डेटा के विश्लेषण में पाया गया कि 2019 के मध्य में कुमारस्वामी के निजी सचिव सतीश से जुड़े दो नंबरों को संभावित निगरानी के लिए चुना गया था|यह वही समय था जब कांग्रेस-जेडीएस बागी विधायकों को मनाने के प्रयास में लगी थीं| जब द वायर ने उन्हें इस बारे में जानकारी दी, तब उन्होंने इस बारे में कोई टिप्पणी करने से मना कर दिया|हालांकि उन्होंने यह पुष्टि की कि लीक हुए डेटाबेस में मिला नंबर 2019 में उनके द्वारा इस्तेमाल किया गया था|
इसी दौरान कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के निजी सचिव वेंकटेश के फोन नंबर को भी चुना गया था| पूर्व मुख्यमंत्री के करीबी सूत्र बताते हैं कि सिद्धारमैया कई सालों से कोई निजी फोन इस्तेमाल नहीं करते हैं और बातचीत आदि के लिए उनके सहयोगियों के फोन पर निर्भर रहते हैं| यही वजह है कि इस समय पर इस लिस्ट में वेंकटेश के नंबर का पाया जाना बेहद महत्वपूर्ण है|
सिद्धारमैया के साथ 27 वर्षों से अधिक समय से काम कर रहे वेंकटेश ने ''द वायर'' से पुष्टि की है कि लीक डेटाबेस में पाए गए नंबर को वे इस्तेमाल करते थे, साथ ही संभावित निगरानी को लेकर उन्होंने हैरानी भी जाहिर की|
बता दें, द वायर की रिपोर्ट में बताया गया है कि कांग्रस नेता राहुल गांधी, चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर, दो केंद्रीय मंत्री, टीएमसी नेता अभिषेक बनर्जी और 40 भारतीय पत्रकार जासूसी के संभावित टारगेट थे|यह लिस्ट भारत की एक अज्ञात एजेंसी की है, जो कि इयरायली कंपनी एनएसओ ग्रुप का स्पाइवेयर Pegasus यूज करती है|एनएसओ का कहना है कि यह अपना Pegasus स्पाइवेयर केवल 'जांची-परखी सरकारों' को ही आतंक से लड़ने के मकसद से देती है| किसी भी प्राइवेट कंपनी को यह स्पाइवेयर नहीं दिया जाता है|
हालांकि, सरकार ने इसमें अपनी भूमिका से साफ इनकार किया है| वहीं, कांग्रेस समेत विपक्षी पार्टियां इस मुद्दे को लेकर मोदी सरकार को घेर रही हैं| कांग्रेस ने सोमवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से इस्तीफे की मांग करते हुए पीएम मोदी की इसमें भूमिका की जांच की मांग भी की थी|