नई दिल्ली:कृषि कानूनों पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि,ऐतिहासिक कृषि सुधार से उन लोगों के पैरों तले जमीन खिसक गई है जो लोग किसानों के नाम पर अपने निहित स्वार्थ साधते थे। उनका धंधा खत्म हो जायेगा इसलिए जानबूझ कर देश के कुछ हिस्सों में एक गलतफहमी पैदा की जा रही है कि हमारी सरकार MSP की व्यवस्था खत्म करना चाहती है|
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि,MSP खत्म करने का इरादा इस सरकार का ना तो कभी था, ना है और ना रहेगा। मंडी व्यवस्था भी कायम रहेगी। कोई भी माँ का लाल किसानों से उनकी जमीन नहीं छीन सकता|
हिमाचल प्रदेश सरकार के तीन साल पूरे होने पर आयोजित कार्यक्रम में राजनाथ सिंह ने कहा कि,''ये दुष्प्रचार किया गया कि किसानों की जमीन कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के माध्यम से छीन ली जाएगी| मैं पुन: कहना चाहूंगा कि कोई भी मां का लाल किसानों से उनकी जमीन नहीं छीन सकता है। ये मुकम्मल व्यवस्था कृषि कानूनों में की गई है| किसानों से जो भी करार होगा वह उनकी उपज का होगा उनकी जमीन का नही। और जो करार करेगा यदि वह तय की गई राशि से कम भुगतान करेगा तो किसान उसके खिलाफ कानूनी कारवाई के लिए सरकार की मदद ले सकता है|
जनाथ सिंह ने कहा कि,',''किसान अपनी फसल को जहां चाहें जैसे चाहे और जिसको भी चाहें बेचने के लिए आजाद है। यदि किसान द्वारा बेची फसल पर कारोबारी को अधिक लाभ होता है तो उसे उस लाभ के अनुपात में किसानों को बोनस भी देना होगा| अब इस देश का किसान मंडी में अपनी मेहनत गिरवी रखने के लिए मजबूर नहीं है। इन कृषि कानूनों के बन जाने के बाद देश का हर किसान पूरे देश में कही भी, जहां उसे बेहतर कीमत मिले, अपनी फसल बेचने के लिए आजाद होगा|
राजनाथ सिंह ने कहा कि,'जब भी देश में व्यापक सुधार हुए हैं उनका असर दिखने में थोड़ा समय लगा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि क्षेत्र में सुधार की शुरुआत की है, मैं किसान भाईयों से अपील करता हूं कि कम से कम डेढ़-दो साल इन कृषि सुधारों के असर को देख लीजिए| यदि इसके बाद किसानों को लगता है कि ये कृषि कानून किसानों के हित में नही हैं तो सरकार इन कानूनों के बारे में पुन: चर्चा करके जो किसान कल्याण के लिए आवश्यक होगा, वह करेगी|
राजनाथ सिंह ने कहा कि,पहले क्या होता था कि हिमाचल प्रदेश, कम आबादी वाला एक छोटा पहाड़ी राज्य है इसलिए वहां संसाधनों की कोई खास जरूरत नहीं है। इस सोच के कारण केंद्र से हिमाचल को दी जाने वाली धनराशि काफी कम होती थी|जब केंद्र में मोदी जी के नेतृत्व वाली सरकार आई तो हमने यह सोच बदली। हम सभी राज्यों को बराबरी की नज़र से देखते हैं। हमने हिमाचल को उसके आकार के हिसाब से नहीं, बल्कि उसके आर्थिक और सामरिक महत्व के हिसाब से देखना प्रारंभ किया|