Ram Bahal Chaudhary,Basti
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अभी कोई सबूत नहीं है कि अगर कोविड की अगली लहर आएगी तो बच्चों में ज्यादा गंभीर संक्रमण होगा

  • by: news desk
  • 08 June, 2021
अभी कोई सबूत नहीं है कि अगर कोविड की अगली लहर आएगी तो बच्चों में ज्यादा गंभीर संक्रमण होगा

नई दिल्ली: भारत का या विश्व का डेटा देखें तो अब तक ऐसा कोई डेटा नहीं आया जिसमें दिखाया गया है कि बच्चों में अब ज्यादा गंभीर संक्रमण है... अभी कोई सबूत नहीं है कि अगर कोविड की अगली लहर आएगी तो बच्चों में ज्यादा गंभीर संक्रमण होगा| यह जानकारी अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) दिल्ली के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने आज दिल्ली में आयोजित एक मीडिया ब्रीफिंग के दौरान दी।



अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) दिल्ली के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा, “यह गलत सूचना का एक हिस्सा है कि कोविड-19 महामारी की आने वाली लहरें बच्चों में गंभीर बीमारी का कारण बनने वाली हैं। आने वाली लहरों में बच्चे गंभीर रूप से संक्रमित होंगे, ये दिखाने के लिए न तो भारत और न ही वैश्विक स्तर पर कोई आंकड़े हैं।”




डॉ. गुलेरिया ने उल्लेख किया कि  भारत में दूसरी लहर के दौरान संक्रमित होने और अस्पतालों में भर्ती होने वाले 60 फीसदी से 70 फीसदी बच्चों में या तो सहरुग्णता थी या उनमें प्रतिरोधक क्षमता की कमी थी। उन्होंने आगे बताया कि जिन स्वस्थ बच्चों को संक्रमण के हल्के लक्षण थे, वे बिना अस्पताल में भर्ती हुए ठीक हो गए।



एम्स के निदेशक ने बताया कि किसी भी महामारी में कई लहरें क्यों आती हैं। इस तरह की लहरें आमतौर पर श्वसन वायरस के कारण होने वाली महामारियों के दौरान होती हैं। डॉ. गुलेरिया ने कहा, “1918 का स्पेनिश फ्लू, एच1एन1 (स्वाइन) फ्लू इसके उदाहरण हैं। 1918 के स्पेनिश फ्लू की दूसरी लहर सबसे बड़ी थी, जिसके बाद एक छोटी तीसरी लहर थी।"



और जैसा कि हम जानते हैं, सार्स-कोव-2 एक श्वसन वायरस है। -अतिसंवेदनशील जनसंख्या होने पर एक से अधिक लहरें पैदा होती हैं

जब जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा संक्रमण के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता प्राप्त कर लेता है तो वायरस स्थानिक और संक्रमण मौसमी हो जाता है - जैसे एच1एन1, जो आमतौर पर मानसून या सर्दियों के दौरान फैलता है।



वायरस में बदलाव के कारण लहरें आ सकती हैं (जैसे कि नए वेरिएंट), चूंकि नए म्यूटेशन अधिक संक्रामक हो जाते हैं, इसलिए वायरस के फैलने की आशंका अधिक होती है।



लहर के पीछे का एक कारण मानव व्यवहार हो सकता है,'''' डॉ. गुलेरिया ने सावधान किया: “जब भी मामले बढ़ते हैं, लोगों में डर होता है और मानव व्यवहार बदल जाता है। लोग कोविड उपयुक्त व्यवहार का सख्ती से पालन करते हैं और गैर-फार्मास्युटिकल हस्तक्षेप संचरण की श्रृंखला को तोड़ने में मदद करते हैं। लेकिन जब अनलॉक किया जाता है, तो लोग सोचते हैं कि ज्यादा संक्रमण नहीं होगा और वे कोविड उपयुक्त व्यवहार का पालन नहीं करते हैं। इसके चलते वायरस फिर से समुदाय में फैलने लगता है, जिससे संभावित रूप से एक और लहर पैदा हो जाती है।”




निदेशक ने कहा कि अगर हमें आने वाली लहरों को रोकना है, तो हमें उस समय तक आक्रामक रूप से कोविड उपयुक्त व्यवहार का पालन करने की जरूरत है, जब तक कि हम यह नहीं कह सकते कि हमारी जनसंख्या के एक बड़े हिस्से को टीके लग चुके हैं या हमने प्राकृतिक प्रतिरक्षा हासिल कर ली है। उन्होंने आगे कहा, “जब पर्याप्त लोगों को टीका लगाया जाएगा या जब हम संक्रमण के खिलाफ प्राकृतिक प्रतिरक्षा हासिल कर लेंगे, तो ये लहरें रुक जाएंगी। अभी एकमात्र तरीका यह है कि कोविड उपयुक्त व्यवहार का सख्ती से पालन किया जाए।”




संवाददाता सम्मेलन में स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा,  जहां 7 मई को देश में प्रतिदिन के हिसाब से 4,14,000 मामले दर्ज़ किए गए थे, वे अब 1 लाख से भी कम हो गए हैं। पिछले 24 घंटों में 86,498 मामले देश में दर्ज़ किए गए। यह 3 अप्रैल के बाद अब तक एक दिन के सबसे कम मामले हैं: 



स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा,''4 मई को देश में 531 ऐसे ज़िले थे, जहां प्रतिदिन 100 से अधिक मामले दर्ज़ किए जा रहे थे, ऐसे ज़िले अब 209 रह गए हैं| 3 मई को देश में रिकवरी रेट 81.8% था, अब रिकवरी रेट 94.3% हो गया है। पिछले 24 घंटों में देश में 1,82,000 रिकवरी हुई हैं। हर राज्य में अब रिकवरी की संख्या प्रतिदिन दर्ज़ किए जा रहे मामलों की संख्या से ज्यादा है|





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