मुंबई: एनआईए की विशेष अवकाश अदालत ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी(NIA) ने सचिन वाजे के सहयोगी आरोपी रियाज काजी को 16 अप्रैल तक एनआईए की हिरासत में भेज दिया| राष्ट्रीय जांच एजेंसी(NIA) ने आज ही सचिन वाजे के सहयोगी मुंबई पुलिस के API रियाज काजी को गिरफ़्तार किया था| मुंबई में संदिग्ध कार मामले में NIA ने दूसरी गिरफ्तारी की है| रियाज़ काजी सचिन वझे की टीम का सदस्य था| उस पर सबूत मिटाने का आरोप है| मनसुख हिरेन मौत मामले और एंटीलिया बम कांड का आरोपी है सचिन वाजे|
सुनवाई के दौरान NIA ने कोर्ट में बताया कि काजी मामले में साजिशकर्ता का सहयोगी है| अदालत ने रियाज काजी को 16 अप्रैल तक NIA की हिरासत में भेज दिया है| आठ मार्च को केस NIA के पास जाने के बाद सचिन वझे और रियाज काजी ने बाकी सबूत मिटाना शुरू कर दिया था| रियाज काजी को इस बात की जानकारी थी कि सचिन वझे ने कार खड़ी की थी|
NIA ने कोर्ट को बताया कि यह मामला जिलेटिन या फिर मनसुख हत्या तक सीमित नहीं है|इस साजिश के लिए फंडिंग किसने की? जिलेटिन कहां से लाई गई? और मकसद क्या था? वझे से आधी जानकारी मिली है पूरी जानकारी और अधूरी कड़ियों को जोड़ने के लिए रियाज काजी की NIA कस्टडी जरूरी है|
रियाज़ काजी के वकील ने NIA कस्टडी का विरोध करते हुए कहा कि रियाज काजी से 20 दिन तक पूछताछ हुई है. जो भी पता था सब बता दिया है| जब भी बुलाया गया तब गया, पूरा सहयोग किया है| एविडेंस एक्ट 27 के तहत सबूत बरामद करने में मदद की| जो भी किया सचिन वझे के आदेश पर किया| वझे की सोसायटी से DVR, सद्गुरु ऑटो पार्टस दुकान की डायरी और DVR, मुलुंड की दो दुकानों के DVR और CPU सब कुछ वझे के कहने पर किया और बरामदगी की डायरी भी बनाई है| विक्रोली कन्नमवार नगर के बंटी रेडियम शॉप का सीपीयू, रजिस्टर बरामद करने के बाद उसकी भी CIU के रजिस्टर में एंट्री की|
वकील ने आगे बताया कि रियाज़ काजी अगर साजिश में शामिल होता तो अपने खिलाफ ही सबूत क्यों जमा करता? उसकी डायरी एंट्री क्यों करता? NIA सचिन वझे को 26 दिन तक अपनी कस्टडी में रखने के बाद भी साजिश क्यों और कैसे की गई ये जानने में नाकामयाब रही है| अब मुझे बलि का बकरा बनाया जा रहा है| सब कुछ सुनने के बाद कोर्ट ने एपीआई रियाज काजी को 16 अप्रैल तक NIA हिरासत में भेज दिया|
क्या है मामला
मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया के बाहर 25 फरवरी को जिलेटिन की छड़ों से लदी एक स्कॉर्पियो मिली थी। इस स्कॉर्पियो के मालिक कथित तौर पर कारोबारी मनसुख हिरेन थे। बाद में मनसुख का ठाणे के क्रीक में शव मिला था। इसके बाद एंटीलिया मामले और मनसुख हिरेन की जांच एनआईए को सौंप दी थी। इस मामले में एनआईए ने मुंबई क्राइम ब्रॉन्च के निलंबित अधिकारी सचिन वाजे को को गिरफ्तार किया। बाद में वाजे को हिरेन की हत्या मामले में मुख्य आरोपी बनाया गया। बाद में इस मामले में पुलिसकर्मी विनायक शिंदे और सट्टेबाज नरेश गौर को भी गिरफ्तार किया।
इस मामले में राज्य सरकार ने कार्रवाई करते हुए मुंबई पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह को पद से हटा दिया। इसके बाद परमबीर सिंह ने महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख पर 100 करोड़ की उगाही कराने का सनसनीखेज आरोप लगाया। इससे महाराष्ट्र की राजनीति में बवाल मच गया।