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लक्षद्वीप की शांति और सांस्कृतिक पर हमला कर रही भाजपा: अजय माकन

  • by: news desk
  • 25 May, 2021
लक्षद्वीप की शांति और सांस्कृतिक पर हमला कर रही भाजपा: अजय माकन

नई दिल्ली: कांग्रेस के नेता अजय माकन ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि,'' कोई भी इलाका या क्षेत्र केवल भौगोलिक क्षेत्र नहीं होता है, यह जीते जागते इंसानों की विरासत होता है। जो कई पीढ़ियों से अपनी सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा करते हैं और किसी भी सरकार को, किसी भी व्यक्ति को कोई अधिकार, कोई हक नहीं है कि ये सांस्कृतिक धरोहर, वहाँ पर रहने वाले कई पीढ़ियों से संजो करके रहने वाले लोगों से उसको छीना जाए। 



कांग्रेस नेता अजय माकन ने कहा कि,''मैं बात करना चाह रहा हूं, सुदूर लक्षद्वीप की। मात्र 30 वर्ग किलोमीटर की आबादी में रहने वाले 10 हमारे छोटे-छोटे द्वीप, 36 में से केवल 10 द्वीपों में 30 वर्ग किलोमीटर में रहने वाले 65 हजार लोगों की मैं बात कर रहा हूं। इनकी सांस्कृतिक धरोहर पर आज हमला हो रहा है।




माकन ने कहा कि,' आज हम इसकी बात करना चाहते हैं। बेशक हमारे इतने बड़े देश के अंदर भौगोलिक तौर पर और पॉपुलेशन के तौर पर भी इतने बड़े देश के अंदर मात्र 65 हजार, मात्र 30 वर्ग किलोमीटर आपको बहुत छोटा लगेगा। लेकिन यह संप्रभुता के इस हिसाब से, हमारे देश के सामरिक क्षेत्र के हिसाब से, स्ट्रैटेजी के हिसाब से ये बहुत महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं, जिसकी बात आज मैं आप लोगों के बीच में कर रहा हूं। लेकिन सबसे पहले वहाँ पर जो एडमिनिस्ट्रेटर हैं, प्रफुल्ल खोड़ा पटेल, जो लक्षद्वीप और दादर नगर हवेली दोनों के एडमिनिस्ट्रेटर हैं। इनके बारे में सबसे पहले मैं आप लोगों से चर्चा करना चाहूंगाऔर इसके अंदर मैं बात करूंगा, पूर्व गृह राज्य मंत्री होने के नाते। 




कांग्रेस नेता ने कहा कि,'प्रफुल्ल खोड़ा पटेल लक्षद्वीप के 35 वें एडमिनिस्ट्रेटर हैं और आजादी के बाद से लेकर अब तक इनसे पहले 34 और प्रशासक, एडमिनिस्ट्रेटर में से ये पहले एडमिनिस्ट्रेटर हैं, जो कि सिविल सर्विस के या आर्मी बैकग्राउंड के नहीं हैं। जो विश्व तौर के ऊपर पॉलिटिशियन हैं, पॉलिटिकल आदमी हैं और वहाँ पर एडमिनिस्ट्रेटर लगाए गए हैं। ये अमित शाह साहब के बाद में गृह मंत्रालय हमारे गुजरात के अंदर संभालते थे और वहाँ से फिर उसके बाद दादर नगर हवेली गए, जहाँ पर पासा रेगुलेशन के तहत हमारे एक मेंबर ऑफ पार्लियामेंट ने जब धमकी उनसे मिली और आत्महत्या फरवरी में की, तो ये चर्चा में उस वक्त भी आए थे। 




लेकिन आज प्रश्न ये उठता है कि एक गृहमंत्री रहे हुए व्यक्ति कैसे एडमिनिस्ट्रेटर लक्षद्वीप के रह सकते हैं, जो कि ज्वाइंट सेक्रेटरी को मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर को रिपोर्ट करते हैं और इसी वजह से इससे पहले जितने भी एडमिनिस्ट्रेटर, चाहे लक्ष्य द्वीप, चाहे दादर नगर हवेली के लगाए गए, वो सब के सब या तो रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट होते थे या वो ब्यूरोक्रेट होते थे, जो ज्वाइंट सेक्रेटरी गवर्मेंट ऑफ इंडिया से नीचे के पद पर रहते थे, क्योंकि वो ज्वाइंट सेक्रेटरी को सीधे के सीधे रिपोर्ट करते थे।





कांग्रेस नेता ने कहा कि,'गृहमंत्री गुजरात जैसे प्रदेश का, ज्वाइंट सेक्रेटरी गवर्मेंट ऑफ इंडिया को कैसे रिपोर्ट कर रहा है और कैसे अपने जो प्रोटोकॉल हैं, उन सब चीजों को छोड़ करके इस जगह के ऊपर आए हैं, सिर्फ दो कारण से। एक तो अपनी राजनीतिक आकाओं की जो सोच है, उसको पूरा करने के लिए और दोनों जगह के ऊपर जो कॉमन चीज है कि दोनों जगहों के ऊपर भाजपा के वहाँ पर कोई भी लोकसभा जीते नहीं हैं, ना भाजपा के वहाँ पर अभी लोकसभा के सदस्य हैं। लेकिन जो सबसे खराब चीज है। जो हमारे यहाँ पर जिस तरीके से जो तीसरा पहिया हमारी डेमोक्रेसी का है। हमारे जिला स्तर के ऊपर, जिला पंचायत और ग्राम पंचायत, उनके पास जो पॉवर थी, वो इन्होंने और इनके पहले
वर्ती प्रशासकों ने 5 जो मुख्य चीजें हैं, जिनके अंदर डिपार्टमेंट एनिमल हसबैंडरी, फिशरीज, एग्रीकल्चर, हेल्थ और एजुकेशन। 




ये पांचों के पांचों विभाग हमारे वहाँ से जिला पंचायतों और ग्राम पंचायत से छिन लिए। तो आप सोचिए जब एनिमल हसबेंडरी नहीं, फिशरीज नहीं, एग्रीकल्चर नहीं, हेल्थ नहीं और एजुकेशन नहीं, जो इससे पहले वहाँ पर था और वहाँ पर कोई और चुने हुए सीधे के सीधे वहाँ पर व्यवस्था नहीं है, तो वहाँ पर सीधे जो चुन कर आए लोग हैं, उनके ऊपर सीधे के सीधे ये हमला है। 




लक्षद्वीप का जैसे मैंने कहा 36 छोटे - छोटे द्वीप हैं, जिसमें से केवल 10 द्वीपों पर लोग बसते हैं और लक्षद्वीप के अंदर नशाबंदी है। जहाँ पर लोग रहते हैं, वहाँ पर नशाबंदी है, वहाँ पर आप शराब ना तो खरीद सकते हैं, ना वहाँ पर आप शराब पी सकते हैं। तो नशाबंदी है। जहाँ पर, जिन जगहों के ऊपर लोग नहीं रहते हैं. जो इन्हेबिटेड आइलैंड हैं. वहाँ पर नशाबंदी नहीं हैं. वहाँ पर सकते हैं। लेकिन जहाँ पर लोग रहते हैं, वहाँ पर उनके कल्चर की रक्षा करने के लिए, उनकी संस्कृति की रक्षा करने के लिए वहाँ पर इस चीज को सुनिश्चित किया गया कि वहाँ पर नशाबंदी रहे। लेकिन हमारे वो एडमिनिस्ट्रेटर जो गुजरात से आते हैं, जहाँ पर खुद नशाबंदी है, उन्होंने आते ही यहाँ पर जो 10 ऐसे द्वीप हैं, उनमें से 3 बड़े द्वीपों में से नशाबंदी हटा दी। 




सब के सब लोग वहाँ पर परेशान हैं. दखी हैं. प्रदर्शन कर रहे हैं। लेकिन जो प्रदर्शन करता है. उनके खिलाफ उठाकर केस दायर कर दिए जाते हैं और साथ में जनवरी के अंदर प्रिवेंशन ऑफ एंटी सोशल एक्टिविटी का पासा रेगुलेशन का वहाँ पर नोटिफिकेशन करके ड्राफ्ट नोटिफिकेशन करके उसको शुरु किया जा रहा है। अब हैरानी की बात है कि वहाँ पर अभी कोई क्राइम नहीं है अभी। मैंने अभी प्रेस वार्ता से पहले एनसीआरबी का लेटेस्ट डेटा निकाला। हिंदुस्तान में सबसे कम अगर क्राइम रेट अगर कहीं पर है तो वो लक्षद्वीप पर है। ऑलमोस्ट जीरो, नेगलिजेबल। 2015 का मैंने पता किया वहाँ पर पूरे साल में मात्र 17 शिकायत सिर्फ हुई हैं। 




आप सोचिए कि एक ऐसी जगह जहाँ पर इतने शांति प्रिय लोग रहते हैं, जहाँ पर कोई क्राइम रेट नहीं है। एनसीआरबी की खुद की फिगर ऑलमोस्ट जीरो कहती है। वहाँ पर इन्होंने जनवरी 2021 के अंदर प्रिवेंशन ऑफ एंटी सोशल एक्टिविटी का ड्राफ्ट रेगुलेशन करके उसको फाइनल स्टेज के ऊपर ला रहे हैं। वहाँ पर गुंडा एक्ट लागू कर रहे हैं, तो क्यों कर रहे हैं? जहाँ पर किसी भी प्रकार की कोई क्राइम एक्टिविटी नहीं है, वहाँ पर आप क्यों कर रहे हैं- केवल इस वजह से कि वहाँ पर अपने राजनैतिक मकसदों को साधा जा सके, सिर्फ इस वजह से और इस 




पासा एक्ट के तहत एक साल के लिए कैद हो सकती है बगैर किसी ट्रायल के और नॉन बेलेबल, सीआरपीसी भी उसके ऊपर लागू नहीं होगी। अगर एडमिनिस्ट्रेटर या उसकी कमेटी की ये इच्छा हुई कि किसी आदमी को जेल भेजना है, तो एक साल बगैर बेल करे, बगैर किसी ट्रायल के, बगैर सीआरपीसी के लागू करे, उसको सीधे उठाकर जेल में डाला जा सकता है, तो ऐसा क्यों वहाँ पर हो रहा है? पासा एक्ट के साथ-साथ में एक ड्राफ्ट लक्षद्वीप डेवलपमेंट अथॉरिटी रेगुलेशन 2021 का अभी अप्रैल के अंदर उसको लाया गया है और उसकी 19 मई की लास्ट डेट खत्म हो गया है, लोगों के ओबजेक्शन मांगे गए और लोगों को ओबजेक्शन उसके अंदर कहा गया और इसके अंदर किसी भी व्यक्ति को जहाँ पर एडमिनिस्ट्रेटर की इच्छा हो, तो उसको उसके घर से बेघर किया जा सकता है, उसकी जमीन एक्वायर की जा सकती है और वहाँ पर कहीं भी उसके ऊपर कोई भी कार्यवाही हो सकती है। कोई भी उसको पकड़ने वाला नहीं है, कोई भी उसको पूछ भी नहीं सकता है। ये ड्राफ्ट लक्षद्वीप डेवलपमेंट अथॉरिटी एक्ट ये कहता है और जैसे मैंने कहा कि ये मात्र 30 वर्ग किलोमीटर एरिया है और 30 वर्ग किलोमीटर एरिया के लिए 186 पेज का ये ड्राफ्ट लक्षद्वीप डेवलपमेंट अथॉरिटी रेगुलेशन बनाया गया है, जिसकी कोई वहाँ पर जरुरत नहीं है, वहाँ पर इसके खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। वहाँ पर जबरदस्ती लोगों को उठाकर उन सबके खिलाफ केस दायर किए जा रहे हैं और ऊपर से पासा एक्ट की और धमकी सब लोगों को दी जा रही है। 




यही नहीं वहाँ पर पूरी कोशिश ही कि लोगों की किसी प्रकार से उन लोगों की संस्कृति धरोहर को बदला जाए, लोगों की सोच को बदला जाए। ये पूरी तरीके से उनकी एक कोशिश है। ये बड़े दुख की बात है। हमारे जो मछुआरे वहाँ पर हैं, ये बेपोर पोर्ट जो कि केरल के अंदर लगता है, वहाँ से लगातार कई सालों से, कई दशकों से बल्कि कई सेंचुरी से वहाँ पर, वहीं से उसी जगह से बेपोर पोर्ट से सब के सब व्यापार करते हैं। अब प्रशासन ये कह रहा है कि बेपोर पोर्ट छोड़ दीजिए केरल के साथ में, अब उसके साथ में मंगलौर पोर्ट से जाकर करें और इसके अंदर छुपी हुई साजिश है, जो कि वहाँ के मछुआरों को तंग करने के लिए।



 2,000 कॉन्ट्रैक्ट लेबर को वहाँ से हटा दिया गया है सरकार के द्वारा और ये पहला कदम है कि वहाँ पर लोकल लोगों को हटा दिया जाए और इसके लिए वहाँ पर बहुत बड़ी लोगों के अंदर नाराजगी है। हमारे जो छोटे-छोटे मछुआरे हैं, उन लोगों ने अपनी छोटी झोपडियां और छोटे सामान, नेट और दूसरे और एक्विपमेंट रखने के लिए मछुआरों के लिए उन्होंने जो लगाए हुए थे, कोस्टल एरिया के नजदीक पर। प्रशासन उनको एक-एक करके उनको हटा रहा है।





तो ये वहाँ के मछुआरे भी शोर मचा रहे हैं, आवाज उठा रहे हैं, लेकिन उनके खिलाफ भी लगातार कोशिश की जा रही है, उनको भी दबाने की कोशिश की जा रही है। तो आज जब पूरे के पूरे साउथ के अंदर, केरल के अंदर मुख्यमंत्री समेत, हमारे खुद के एमएलए समेत, हमारे मेंबर ऑफ पार्लियामेंट समेत कल रात को केसी वेणुगोपाल जी ने, हमारे महासचिव, जो ऑर्गनाइजेशन के इंचार्ज हैं, उन्होंने खुद राष्ट्रपति जी को चिट्ठी लिखी है और उन्होंने कहा है कि एकदम से ये दोनों के दोनों ड्राफ्ट रेगुलेशन हैं, इनको वापस लिया जाए और साथ के साथ एडमिनिस्ट्रेटर को वहाँ से हटाया जाए। 




तो जब वहाँ पर इतनी बड़ी तादाद के अंदर लोग इस बात को उठा रहे हैं, आज एआईसीसी के माध्यम से मैं आप सब लोगों के माध्यम से हम लोग, कांग्रेस पार्टी ये कहना चाहती है कि इस एडमिनिस्ट्रेटर को, प्रफुल्ल पटेल को एकदम से वहाँ से वापस लिया जाए और ये जो दोनों ड्राफ्ट रेगुलेशन हैं, इन दोनों ड्राफ्ट रेगुलेशन को निरस्त किया जाए, क्योंकि ये हमारे उस इलाके के अंदर रहने वाले लोगों की सांस्कृतिक धरोहर पर एक तरीके से हमला है और इस हमले को हम कांग्रेस पार्टी कभी भी सहन नहीं करेगी। ये हम कहना चाहते हैं। 




तो इस मुख्य महत्वपूर्ण विषय के ऊपर ये प्रेस वार्ता बुलाई है। बेशक ये सदूर इलाका है, बेशक ये छोटा सा इलाका है, मात्र 65 हजार लोग रहते हैं, मात्र 10 द्वीप समूह में से 30 वर्ग किलोमीटर का एरिया है लेकिन जैसे मैंने कहाँ कि सामरिक दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण इलाका है और हम सबका फर्ज बन जाता है कि यहाँ पर हमारे लोगों की सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा की जाए और बहत सारे आइलैंड के अंदर हमारे लोग ऐसे रहते हैं, जिनकी रक्षा करना भी हम लोगों के लिए बहुत जरुरी है। ऐसे समय में हम, कांग्रेस पार्टी तत्काल प्रभाव से हमारे एडमिनिस्ट्रेटर को वापस बुलाया जाए, इसकी मांग करती है और साथ में दोनों ड्राफ्ट रेगुलेशन हैं, इनको वापस लिया जाए। इसकी मांग करती है। 




एक प्रश्न पर कि लक्षद्वीप पर सास्कृतिक हमला किस प्रकार से हो रहा है,, श्री अजय माकन ने कहा कि सांस्कृतिक हमला इस प्रकार से हो रहा है कि जैसे मैंने कहा और आपने भी इस बात को बहुत अच्छे से पकड़ा है और दोहराया है आपने कि जहाँ पर नशाबंदी है, प्रोहिब्शन है, वहाँ पर आप प्रोहिब्शन खोल रहे हैं और साथ में जहाँ पर आलरेडी क्राइम रेट लोअस्ट है कंट्री का वहाँ पर आप पासा जैसे ड्रैकोनियन लॉ ला रहे हैं, ताकि लोगों को और तंग किया जा सके तो आप तो खुद क्राइम को और इतना कम क्राइम रेट है उसको बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं और सांस्कृतिक हमला इसलिए है कि वहाँ के लोग खुद नहीं चाहते कि वहाँ पर प्रोहिब्शन हटे। 




तो जब आप जो लोग खुद नहीं चाहते प्रोहिब्शन हटे, आप वहाँ पर खुद जहाँ पर लोग रह रहे हैं वहाँ पर आप प्रोहिब्शन को शुरु कर रहे हैं तो यही उनकी सांस्कृतिक विरासत पर हमला है और जब कई पीढ़ियों से ये संजो कर बैठे हुए हैं तो मेरी समझ से जो काम वहाँ पर कभी भी नहीं हुआ, वो अब किया जा रहा है। इसके साथ में जैसे मैंने कहा लक्षद्वीप डेवलपमेंट रेगुलेशन जो लेकर आया जा रहा है, जिस तरीके से लोग रह रहे हैं, वहाँ पर जैसे रहते हैं, उनके घरों पर भी हमला है, उसके तहत उनको बताया जाएगा कि आप ऐसा मकान बनाइए और ऐसा मत बनाइए, तो आप, जब लोगों के कि क्या वो खा पी रहे है, उसको आप डिक्टेट कर रहे हैं। कैसे वो रह रहे हैं, उसको आप डिक्टेट कर रहे हैं, तो ये उनकी सांस्कृतिक विरासत पर हमला ही है और इसलिए हम लोग इसके खिलाफ हैं।



 एक अन्य प्रश्न पर कि इस तरीके के पूरे मॉड्यूल में ये देखा जाता है कि एलजी अपने तरीके से काम करते हैं, उसको कैसे देखते हैं और साथ ही दिल्ली के लोगों के लिए सरकार कौन रह गई है, चाहे कानूनन तौर पर एलजी हों और जो चुनी हुई सरकारें हैं, वो बेबस दिखाई दे रही हैं तो ऐसे में दिल्ली के लोग क्या करें, श्री माकन ने कहा कि आपने दो चीजें पूछी हैं। एक तो लक्षद्वीप की बात है, लक्षद्वीप के अंदर जो एडमिनिस्ट्रेटर हैं, वो सिविल सर्वेट ही नहीं है और ऐसा पहली बार हुआ है इतिहास में कि एक फॉर्मर मिनिस्टर सीधे के सीधे उठाकर उसको एडमिनिस्ट्रेटर बना दिया गया है, जो ज्वाइंट सेक्रेटरी को, गवर्मेंट ऑफ इंडिया को रिपोर्ट करता है, ऐसा कभी भी नहीं हआ, प्रोटोकॉल रीजन्स की वजह से ऐसा कभी नहीं हुआ।



 दूसरा, जो आपने दिल्ली का मसला बोला है, दिल्ली के अंदर हर तरीके से दिल्ली की सरकार सक्षम है। जिस वक्त पेट्रोल और डीजल के ऊपर वैट 20 प्रतिशत से कानून में बदलाव करके 30 प्रतिशत करना होता है, जब तो केजरीवाल कर देते हैं और उपराज्यपाल साहब की मदद भी उनकी हो जाती है। तो जो-जो चीजें उनको करनी हैं, जब लोगों की जेब पर डाका डालना है, तब तो दोनों एक हो जाते हैं, और जब फेल्यर हो जाता है तो दोनों के दोनों एक दूसरे के ऊपर ब्लेम गेम करना शुरु कर देते हैं, ये सब सोची समझी साजिश है और कुछ नहीं। 



आप मुझे बताइए जब हमारे राजस्थान के अंदर हाइएस्ट वैक्सीनेशन की दर 18 से 45 साल के बीच में हो सकती है, तो दिल्ली में क्यों नहीं हो सकती। दिल्ली के अंदर ये कहते हैं कि हमारे पास पैसे की कोई कमी नहीं है, तो जब पैसे की कमी नहीं है तो आपने क्यों नहीं वैक्सीनेशन खरीदी? आपके मोहल्ला क्लीनिक क्या कर रहे हैं? इस वक्त सारे के सारे मोहल्ला क्लीनिक आपके बंद क्यों पड़े हुए हैं। 



आप कह रहे हैं, कल आपका बयान मैंने देखा, जिसमें आपने कहा है कि हमने ब्लैक फंगस से मुकाबला कर लिया है, सब सेंटर बना दिये हैं, लेकिन दवा नहीं है। जब दवा नहीं है आपके पास तो क्या आपने सेंटर्स बना लिए और क्या आपने तैयारी कर ली और फुल पेज एडवर्टिजमेंट आती है, उससे नीचे आती ही नहीं है।




मैं जो बोलूंगा, वो दिखाएंगे नहीं, आप लोग चलाएंगे नहीं अखबारों के अंदर क्योंकि एडवर्टिजमेंट आपकी खत्म हो जाएगी, मैं तो बड़ा स्पष्ट बोलता हूँ। जिस-जिस अखबार के अंदर सिटी के पेजेस में अजय माकन छप जाता है तो अगले दिन इनके सीएम हाउस से धमकी आ जाती है, कि आपके एडवर्टिजमेंट बंद हो जाएंगे। और कई एग्जाम्पल हो चुके हैं। नेशनल डेलीज से अंदर हो चुके हैं। ये मैं आप सब लोगों के सामने एआईसीसी की प्रेस वार्ता से मैं सीधे के सीधे कहना चाहता हूँ। 




एक अन्य प्रश्न पर कि जिस तरह से कश्मीर में किया है, भाजपा ने, क्या उसी प्रकार से लक्षद्वीप में भी करने का इरादा है, भाजपा का, क्या कहेंगे, , श्री माकन ने कहा कि कभी भी आप एक प्रदेश को दूसरे से कंपेयर नहीं कर सकते। दोनों के अलग-अलग हालात हैं, अलग-अलग मसले हैं, अलग-अलग मुद्दे हैं, दोनों जगह पर। हम तो इस वक्त बड़ा लिमिटेड लक्षद्वीप के अंदर जिस तरीके से हालात हमारे एडमिनिस्ट्रेटर ने प्योरली पॉलिटिकल तरीके से काम करने की वजह से हआ है, उस चीज को हम लोगों ने इस बात को उठाया है और हमारी ये मांग है कि इस एडमिनिस्ट्रेटर को वापस लिया जाए और ये दोनों, जो ड्रेकोनियन रेगुलेशन्स हैं, इन दोनों ड्रेकोनियन रेगुलेशन्स को वापस लिया जाए, हमारी ये तीन मुख्यतः मांगे हैं और जहाँ तक राजस्थान की बात है, वहाँ पर हमारे स्टेट युनिट और स्टेट के लीडर्स सब के सब लोग सब के संपर्क में हैं और मैं नहीं समझता कि किसी भी किस्म की कोई दिक्कत है, एक परिवार का मसला है और हम सब के सब लोग परिवार के लोग, सब लोग राजस्थान में ही बैठकर इसको सुलटा लेंगे। 



एक अन्य प्रश्न पर कि क्या कांग्रेस पार्टी अपोजिशन पार्टियों से मदद लेगी, श्री माकन ने कहा कि सभी अपोजीशन पार्टियों ने इसको अपने-अपने तरीके से उठाया है। जैसे जो लक्षद्वीप के लोकसभा के एमपी हैं, वो एनसीपी के हैं। जैसे मैंने कहा कि हमारे केरल के मुख्यमंत्री जो सीपीएम के हैं, उन्होंने इस बात को उठाया है और हमारे कांग्रेस के एमपीज ने इस बात को उठाया है और कल केसी वेणुगोपाल जी ने राष्ट्रपति जी को लिखा है तो अपने-अपने तरीके से सभी के सभी विपक्षी पार्टियों ने इस चीज को उठाया है और मेरे ख्याल से सभी के सभी इसमें आहत हैं और जिस तरीके से मैंने कहा कि संस्कृति के ऊपर हमला है, सांस्कृतिक धरोहर पर हमला है और पॉलीटिकल आदमी को काबिज कर दिया गया है. जिसको हटाया जाना जरूरी है और जिस पर हम सब के सब एकमत हैं. सभी अपोजीशन पार्टियाँ।





 ट्विटर को लेकर पूछे एक अन्य प्रश्न पर कि आपने दिल्ली पुलिस को शिकायत की थी, वो मामला दिल्ली पुलिस जांच मे कहाँ तक पहुंचा और साथ ही ट्विटर पर मेनिपुलेटेड मीडिया को लेकर जो 11 मंत्रियों की शिकायत की है, वो जांच कहाँ तक पहुंची है, श्री माकन ने कहा कि जो सबसे पहला आपका प्रश्न है. हम लोगों ने दिल्ली पलिस को भी कंप्लेंट की थी. छत्तीसगढ़ में भी की थी और राजस्थान में भी की थी। तो छत्तीसगढ़ पुलिस ने सबसे पहले एफआईआर लॉज की और छत्तीसगढ़ पुलिस ने जहाँ पर एफआईआर सबसे पहले लॉज की है, जाहिर बात है कि वहीं पर ही सबसे पहले कार्यवाही होनी चाहिए। 



इससे पहले सुप्रीम कोर्ट की ये रूलिंग रही है और कई केसेस में अभी सुशांत राजपूत के केस में भी सुप्रीम कोर्ट की रुलिंग ये रही है कि जहाँ पर एफआईआर पहले लॉज हो जाएं, वहीं पर पुलिस उसको छानबीन करेगी, तो जाहिर बात है कि छत्तीसगढ़ पुलिस ने एफआईआर लॉज की है सबसे पहले तो वहाँ पर ही होगा और छत्तीसगढ़ पुलिस ने जब नोटिस भेजा, संबित पात्रा जी को तो हैरानी की बात ये है कि संबित पात्रा जी का जवाब उसमें ये आया कि वो इस वक्त कोविड की सेवा में व्यस्त हैं, जबकि उनकी पूरे ट्विटर लाइन में कहीं पर भी कोविड की सेवा का एक रत्तीभर भी शब्द कहीं पर भी नहीं है, न उनको किसी ने भी, उनको क्या बीजेपी के किसी भी आदमी को कोविड के ऊपर जो पीड़ित लोग हैं, उनकी सेवा में कहीं पर भी किसी ने भी नहीं देखा। 




अब जहाँ तक दिल्ली पुलिस की बात है, हैरानी की बात है कि कांग्रेस ने कंप्लेन की संबित पात्रा और जो दूसरे लोग हैं, जिन्होंने मैनुपुलेट किया मीडिया को और उनको पकड़ने की जगह दिल्ली पुलिस ट्विटर के ऑफिस में पहुंच गई वो भी तब पहुंची जबकि पिछले एक साल से वहाँ पर ऑफिस ही बंद था, तो इससे दिल्ली पुलिस की कार्यशैली के ऊपर और क्यों वो वहाँ पर गए, इसी से साबित हो जाता है, इसमें कुछ और ऐड करने की जरुरत नहीं है। 



तीसरी बात जो आपने कही कि ट्विटर को जो हमे कंप्लेन किया है, 11 मिनिस्टर के बकायदा एआईसीसी की तरफ से रणदीप सुरजेवाला जी ने उनके लीगल हैड को लिखा है और 11 मिनिस्टर टेवटर हैडल के लिंक्स साथ में उसकी यआरएल अपनी चिट्री के अंदर साथ में लगाई है और ट्विटर को ये निवेदन किया है कि जैसे मैनिपुलेटेड मीडिया संबित पात्रा के मसले के ऊपर लिखा गया है और कार्यवाही की गई है, वैसे ही इन 11 मिनिस्टर्स की करी जानी चाहिए और उसका कारण ये है कि सभी ब्लू टिक वाले हैं और सभी सरकार के मिनिस्टर्स हैं। 




तो जब ट्विटर के द्वारा दी गई ब्लू टिक की तरफ से और वो भी अगर भारत सरकार के अंदर मिनिस्टर हैं, उनकी तरफ से अगर कोई मीडिया, जो कि अब सब लोग मानते हैं कि ये मैनिपुलेटेड मिडिया है, तो जब वो किया जाता है तो लोगों में कहीं न कहीं वो छाप छोड़कर जाता है, इसलिए हमारा मानना है कि ट्विटर को एकदम से ये 11 के 11 के खिलाफ भी कार्यवाही करनी चाहिए और उसी संबंध में हमने लिखा है और हमको पूरी उम्मीद है कि ट्विटर इसके ऊपर कार्यवाही करेगा और सख्त से सख्त कार्यवाही जो ट्विटर की पॉलिसी में है वो किया जाएगा क्योंकि मैनिपुलेटेड मीडिया ट्विटर को किसी भी कीमत के ऊपर उसको सहना नहीं चाहिए क्योंकि लोगों के अंदर ये अविश्वास न केवल जो गलत बातें और अफवाहें फैलाने की कोशिश इनके द्वारा होती है, बल्कि ट्विटर की विश्वसनीयता के ऊपर भी प्रश्न चिन्ह लगेगा और हम ये पूरी उम्मीद करते हैं कि ट्विटर अपनी विश्वसनीयता को कायम रखने के लिए इसके ऊपर कार्यवाही जरुर करेंगे और ये 11 मंत्रियों के ऊपर कार्यवाही होगी।




एक अन्य प्रश्न पर कि जो आपने पासा की बात की है, उसकी क्या फुल फॉर्म है, वो कैसे लोगों को प्रभावित करेगा और दूसरा दिल्ली में वैक्सीनेशन को लेकर आप क्या सलाह देंगे,, श्री माकन ने कहा कि ये पासा का फुल फॉर्म है, प्रिवेशन ऑफ एंटी सोशल एक्टीविटीज। ये रेगुलेशन के फॉर्म में, ड्राफ्ट रेगुलेशन नोटिफाई किया था जनवरी में और ये फाइनल स्टेजेस के ऊपर है, क्योंकि ड्राफ्ट के ऊपर जब लोगों से इसके बारे में कमेंट्स मांगे गए थे, पूरा टाइम पीरियड पूरा हो गया है और ये ड्राफ्ट रेगुलेशन था और ये कभी भी हमको लगता है कि नोटिफाई हो सकता है, क्योंकि ड्राफ्ट का टाइम पीरिएय खत्म। 



दूसरी बात जो आपने पूछी है कि दिल्ली में 18 से 45 साल के बीच में, तो मैं समझता हूँ कि केजरीवाल साहब को, अशोक गहलोत जी को फोन करके उनसे सलाह लेनी चाहिए और उनसे पूछना चाहिए, सीखना चाहिए कि कैसे उन्होंने मैनेज किया है। बेहतर वैक्सीनेशन की ड्राइव और सीधे के सीधे आरोप-प्रत्यारोप के अंदर पड़े बगैर इनको पॉजिटिव राजनीति अपनानी चाहिए और कांग्रेस शासित प्रदेशों से पूछना चाहिए, मेरे ख्याल से ये बेहतर होगा, दिल्ली के लिए। 



बाबा रामदेव को लेकर पूछे एक अन्य प्रश्न के उत्तर में श्री माकन ने कहा कि सबसे पहले तो हम लोग ये कहना चाहेंगे कि हम लोग भी योग के ऊपर हम लोगों को बहुत भरोसा है। आयुर्वेद के ऊपर हम सब लोगों को बहुत भरोसा है, लेकिन योग और आयुर्वेद की ठेकेदारी लाला रामदेव की नहीं है। योग और आयुर्वेद हमारे ऋषि-महर्षि की धरोहर है, जो कि कई पीढ़ियों से, कई हजारों सालों से हमारे तक ये पहुंची है और ये हमारे ऋषि और हमारे महर्षियों की जो धरोहर है, और जो ये विज्ञान है, साइंस है, ये ऋषियों और महर्षियों ने किसी और दूसरी पद्धति को नीचा गिराकर अपने आप को ऊंचा नहीं किया है, बल्कि खुद ये ज्ञान आगे बांटते-बांटते आगे किया और इस धरोहर के ऊपर लाला रामदेव की कोई ठेकेदारी या बपौती नहीं है, हम बड़ा स्पष्ट ये कहना चाहते हैं और दूसरा इसके अंदर पूरी तरीके से नजर आता है कि ये डॉक्टर्स को और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन को सबक सिखाने की एक तरीके से मोदी सरकार की साजिश है। 



आप लोगों को ध्यान होगा लगभग 10 दिन पहले आइएमए ने एक बड़ी कड़ी चिट्ठी हमारे मोदी सरकार को लिखी थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि मोदी सरकार पूरी तरीके से विफल हो गई है। जिसके अंदर आइएमए ने कहा था कि 902 डॉक्टर्स कोरोना से लड़ते-लड़ते एक तरीके से शहीद हुए हैं। ये हमारे फ्रंट लाइन वॉरियर्स हैं और पूरा का पूरा विश्व इनकी इज्जत करता है, लेकिन मोदी सरकार के बगैर शह के क्या आपको लगता है कि लाला रामदेव इस प्रकार के प्रश्न ठीट की तरह उठा सकते हैं और उसके बाद भी हर्षवर्धन के कहने के बाद भी कोई खेद के शब्द उनके मुंह से निकल नहीं रहा है, आपको लगता है कि ये बगैर सरकार के, बगैर मोदी जी की शह के वो कर सकते हैं, कह सकतें हैं ऐसा? तो हमारा पूरी तरीके से मानना ये है कि ये लाला रामदेव जी जो हैं, ये इसी वजह से कर रहे हैं, ताकि आईएमए को सबक सिखाया जाए क्योंकि आइएमए ने हिम्मत दिखाई है सरकार से प्रश्न पूछने की, सरकार को आईना दिखाने की। और आईएमए कोई छोटी-मोटी संस्था नहीं है।


आईएमए 1928 को स्थापित साढ़े तीन लाख डॉक्टर्स की संस्था है, जो कि हमारे देश की सबसे बड़े डॉक्टर्स की संस्था है और हमारे इन डॉक्टर्स को इस तरीके से बिहेव करने का, इस तरीके से इनके सामने पेश आने का किसी को भी कोई अधिकार नहीं है, लाला रामदेव को तो बिल्कुल नहीं है और हम फिर ये दोहराना चाहते हैं कि हम योग की और आयुर्वेद की बहुत इज्जत करते हैं, लेकिन ये योग और आयुर्वेद लाला रामदेव की ठेकेदारी नहीं है। ये हमारे ऋषि-महर्षियों की देन है, जो की हजारों साल से हमारे तक ये पहुंची है।




वैक्सीन को लेकर श्री पी. चिदंबरम जी के ट्वीट पर पर पूछे एक अन्य प्रश्न के उत्तर में श्री अजय माकन ने कहा कि हमारे देश में इससे पहले बहुत सारे वैक्सीनेशन के ट्रायल हुए हैं और सफल हुए हैं। चाहे पोलियो की हो, डीपीटी की हो, सब चीजों की और सबमें एक चीज कॉमन थी कि केन्द्र सरकार खरीदती थी और राज्य सरकारें लगाती थी। ये पहली बार ऐसा हो रहा है कि केन्द्र सरकार ने अपना पल्ला झाड़ दिया है। दूसरा हमेशा होता था कि ये फ्री में होता था। कभी भी किसी को एक




पैसा देने की जरुरत नहीं पड़ी और पहली बार ऐसा हो रहा है कि लोगों से पैसे मांगे जा रहे हैं। तो ये तो सबसे बड़ी यही दुख की बात है और गलत बात है। अब जब इंटरनेशनल जो कि मैंने पहले भी कहा है कि ये महामारी है। एक होता है कि छोटी-मोटी बीमारी। एक होती है एपिडेमिक। एक होता है पैंडेमिक। ये पैंडेमिक है जो कि पूरे के पूरे देशों के आगे-पीछे देशों के बॉर्डर से निकलता है और इसके अंदर जो वैक्सीन बनी है। इसके अंदर बहुत सारे मसले होते हैं। सबसे महत्वपूर्ण मसला लायबिलिटी का होता है। तो लायबिलिटी का मसला राज्य सरकारें दूर नहीं कर सकती, क्योंकि ये मसला केन्द्र सरकार दर करती है और इसलिए ये केन्द्र सरकार का कर्तव्य बनता है कि इस मुद्दे को रिजोल्व करके सीधे बात करके और सीधे वो वैक्सीनेशन की बनाने वाली कंपनी से बात करके उनसे वैक्सीनेशन प्रिक्योर करे। एक कारण तो लायबिलिटी के इशू हैं। 




दूसरा जब आप बल्क में परचेज करने जाओगे, तो आप बैटर नेगोशिएट कर सकते हो। तीसरा अब जो है हमारे विदेश मंत्री यूएस में गए हैं, तो वो वहाँ पर बात करेंगे। तो विदेश मंत्री भारत सरकार का है, जो कि जाकर वहाँ पर अपने काउंटर पार्ट से बात करके दबाव डाल सकता है और मनवा सकता है। तो क्या पंजाब राज्य का विदेश मंत्री कोई होगा क्या, क्या किसी राज्य के विदेश मंत्री होते हैं क्या, विदेश मंत्री तो केन्द्र का होता है, जो कि जिसका काम है कि जाकर अपने काउंटर पार्ट से बात करके इन सब चीजों को रिजोल्व करे। तो ये बडे दुख और हैरानी की बात है कि केन्द्र सरकार हर तरीके से इसके अंदर पूरे तरीके से फेल हुई है। 



जैसे मैंने पहले कहा कि इससे पहले केन्द्र सरकार प्रिक्योर करती थी, राज्य सरकार लगाती थी। जितने भी टीकाकरण अभियान हुए हैं हमेशा। दूसरा फ्री में होता था। तीसरा इसमें बाहर से जो लाया जाता है, इसके अंदर लायबिलिटी इशू आते हैं, जिसको कि केन्द्र सरकार रिजोल्व कर सकती थी। राज्य सरकार के अख्तियार में ये कानून ही नहीं है जो ये कर सकता है। तो ये सब चीजों पर केन्द्र सरकार को बात करके केन्द्र सरकार को ही इसको ठीक करने की जरुरत है। दुख की बात है कि केन्द्र सरकार ने इससे अपना पल्ला झाड़ लिया है। इससे बड़े दुख की बात नहीं हो सकती है।






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