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HC ने केंद्र को ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित करने के दिए निर्देश: बेड की कमी पर भी जताई चिंता, कहा-आम आदमी को भूल जाओ यदि मैं अपने लिए कहूं तो मेरे लिए भी बेड उपलब्ध नहीं होगा

  • by: news desk
  • 22 April, 2021
HC ने केंद्र को ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित करने के दिए निर्देश: बेड की कमी पर भी जताई चिंता, कहा-आम आदमी को भूल जाओ यदि मैं अपने लिए कहूं तो मेरे लिए भी बेड उपलब्ध नहीं होगा

नई दिल्ली: ऑक्सिजन संकट को लेकर गुरुवार को भी दिल्ली हाईकोर्ट में लंबी सुनवाई चली। दिल्ली हाईकोर्ट की बेंच रोहिणी के सरोज सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल की ऑक्सीजन की आपूर्ति करने की मांग वाली तत्काल याचिका पर सुनवाई की| HC ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि आवंटन आदेश के अनुसार दिल्ली को ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित की जाए और बाधा के बिना परिवहन किया जाए| साथ ही HC ने कहा कि,''कुछ राज्यों द्वारा ऑक्सीजन के आपके आवंटन का सम्मान नहीं किया जा रहा है; इसे तत्काल आधार पर देखें और तुरंत हल करें| हाईकोर्ट ने केंद्र को निर्देश दिया है कि वह ऑक्सीजन का परिवहन करने वाली लॉरी को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करे और निर्धारित गलियारे (dedicated corridors) बनाए|




दिल्ली हाईकोर्ट ने राजधानी दिल्ली में COVID-19 रोगियों के इलाज के लिए अस्पतालों में बेड की कमी को लेकर चिंता व्यक्त की। न्यायमूर्ति विपिन सांघी ने दिल्ली के COVID-19 अस्पतालों में बेड की कमी को लेकर कहा कि, "आम आदमी को भूल जाओ, अगर मैं अपने लिए बेड के लिए कहूं तो मेरे लिए भी बेड उपलब्ध नहीं होगा।" न्यायमूर्ति विपिन सांघी ने जोर देकर कहा कि लोगों की जरूरतों को तत्काल पूरा किया जाना चाहिए। न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि केंद्र COVID बेड की आवश्यकताओं पर ध्यान देगा और बेड की संख्या बढ़ाने पर काम करेगा।




दिल्ली हाईकोर्ट की बेंच रोहिणी के सरोज सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल की ऑक्सीजन की आपूर्ति करने की मांग वाली तत्काल याचिका पर सुनवाई कर रही थी। बेंच ने विभिन्न अस्पतालों में ऑक्सीजन की खरीद, परिवहन और वितरण पर कई सिफारिशें करने के अलावा केंद्र से अस्पतालों में बेड की उपलब्धता बढ़ाने के लिए भी कहा है।



बता दें कि गुरुवार को सरोज अस्पताल गंभीर रूप से बीमार COVID-19 रोगियों के इलाज के लिए ऑक्सीजन की तत्काल आपूर्ति के लिए दिल्ली HC का रुख किया था| हाईकोर्ट ने साफ कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में कोरोना से हालात गंभीर हैं और कई अस्पतालों में ऑक्सिजन खत्म हो रही है। कोर्ट ने केंद्र को निर्देश दिया कि वह सुनिश्चित करे कि शहर को आवंटित की गई मात्रा के अनुरूप बिना रुकावट ऑक्सिजन की आपूर्ति हो। न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने आगे कहा, ‘हम सब जानते हैं कि इस देश को भगवान चला रहे हैं।’




कोर्ट ने कहा कि प्राणवायु (ऑक्सिजन) के परिवहन में आने वाली हर बाधा को दूर किया जाना चाहिए। HC ने कहा कि सरकार अगर चाहे तो वह कुछ भी कर सकती है, यहां तक कि ‘जमीन और आसमान भी एक कर सकती है।’ अदालत ने कहा कि केंद्र के ऑक्सिजन आवंटन आदेश का कड़ा अनुपालन होना चाहिए और ऐसा न करने पर आपराधिक कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।




पीठ ने कहा कि हरियाणा जैसे दूसरे राज्यों के संयंत्रों से दिल्ली को ऑक्सिजन आवंटन के केंद्र के फैसले का स्थानीय प्रशासन द्वारा सम्मान नहीं किया जा रहा है और इसे तत्काल सुलझाने की जरूरत है। अदालत ने केंद्र को निर्देश दिया कि वह ऑक्सिजन ला रहे वाहनों को पर्याप्त सुरक्षा उपलब्ध कराए और इसके लिए निर्धारित कॉरिडोर बनाया जाए।




केंद्र ने अदालत को सूचित किया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को आदेश जारी किया है कि राज्यों के बीच चिकित्सीय ऑक्सिजन के परिवहन पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया जाना चाहिए और परिवहन अधिकारियों को तदनुसार निर्देश दिया जाएगा कि वे ऑक्सिजन आपूर्ति में लगे वाहनों का निर्बाध अंतर-राज्यीय आवागमन सुनिश्चित करें।मंत्रालय ने आदेश दिया कि ऑक्सीजन उत्पादकों और आपूर्तिकर्ताओं पर ऐसा कोई आदेश नहीं थोपा जाएगा कि वे जिस राज्य/केंद्रशासित प्रदेश में स्थित हैं, केवल वहीं के अस्पतालों को ऑक्सिजन की आपूर्ति करें।



अदालत ने यह टिप्पणी उस वक्त की जब दिल्ली सरकार ने उसे बताया कि हरियाणा के पानीपत से होने वाली ऑक्सीजन की आपूर्ति को वहां की स्थानीय पुलिस अनुमति नहीं दे रही है। दिल्ली सरकार ने अदालत को यह भी बताया कि उत्तर प्रदेश के कुछ संयंत्रों से भी ऑक्सिजन को लेकर नहीं आने दिया गया।



दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने कोर्ट को बताया कि भले ही केंद्र सरकार दावा करती है कि केंद्र द्वारा नियंत्रित कोविड अस्पतालों में बेड की संख्या बढ़ा दी गई है, लेकिन जमीनी स्तर पर ऐसा कुछ नहीं किया गया है।




वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा कहा ने कि बेड की बढ़ी हुई संख्या ऐप पर दिखाई नहीं दे रहा है। आगे कहा कि, "लोगों को कैसे पता चलेगा कि कितने बेड और कहां बेड उपलब्ध है? आईसीयू बेड और सामान्य बेड की कोई भी जानकारी नहीं है। कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कौन हैं। किसी को भी बेड नहीं मिल रहा है।"




अदालत ने बुधवार को केंद्र सरकार और निजी उद्योगों की कड़ी आलोचना की थी और केंद्र को आदेश दिया था कि वह कोविड-19 के उपचार में ‘प्राण वायु’ की कमी का सामना कर रहे यहां के अस्पतालों को ‘तत्काल’ ऑक्सिजन उपलब्ध कराए। इसने कहा था, ‘ऐसा लगता है कि सरकार के लिए मानव जीवन महत्वपूर्ण नहीं है।’




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