नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जन औषधि केंद्र के मालिकों और योजना के लाभार्थियों से बातचीत की।लोगों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि, हमने तय किया है कि प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में आधी सीटों पर सरकारी मेडिकल कॉलेज के बराबर ही फीस लगेगी| उन्होंने कहा कि,हमारी सरकार ने कैंसर, टीबी, डायबिटीज, हृदयरोग जैसी बीमारियों के इलाज के लिए जरूरी 800 से ज्यादा दवाइयों की कीमत को भी नियंत्रित किया है। सरकार ने ये भी सुनिश्चित किया है कि स्टंट लगाने और Knee Implant की कीमत भी नियंत्रित रहे|
प्रधानमंत्री ने कहा कि,''आपने देखा होगा, अभी कुछ दिन पहले ही सरकार ने एक और बड़ा फैसला लिया है, जिसका बड़ा लाभ गरीब और मध्यम वर्ग के बच्चों को मिलेगा। हमने तय किया है कि प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में आधी सीटों पर सरकारी मेडिकल कॉलेज के बराबर ही फीस लगेगी, उससे ज्यादा पैसे फीस के नहीं ले सकते हैं। इससे गरीबों और मध्यम वर्ग के बच्चों के करीब-करीब ढाई हजार करोड़ रुपए बचेंगे। इतना ही नहीं, वो अपनी मातृभाषा में मेडिकल एजुकेशन कर सके, टेक्निकल एजुकेशन ले सके, इसके कारण गरीब का बच्चा भी, मध्यम वर्ग का बच्चा भी, निम्न-मध्यम वर्ग का बच्चा भी, जिसके बच्चे स्कूल में अंग्रेजी में नहीं पढ़े हैं, वो बच्चे भी अब डॉक्टर बन सकते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज देश में साढ़े आठ हजार से ज्यादा जन-औषधि केंद्र खुले हैं। ये केंद्र अब केवल सरकारी स्टोर नहीं, बल्कि सामान्य मानवी के लिए समाधान केंद्र बन रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने कैंसर, टीबी, डायबिटीज, हृदयरोग जैसी बीमारियों के इलाज के लिए जरूरी 800 से ज्यादा दवाइयों की कीमत को भी नियंत्रित किया है। सरकार ने ये भी सुनिश्चित किया है कि स्टंट लगाने और घुटना प्रत्यारोपण की कीमत भी नियंत्रित रहे।
उन्होंने नागरिकों को चिकित्सा सुविधा पाने में समर्थ बनाने के संबंध में आंकड़े दिए। उन्होंने कहा कि 50 करोड़ से ज्यादा लोग आयुष्मान भारत योजना के दायरे में हैं। 3 करोड़ से अधिक लोगों ने योजना का लाभ उठाया है, जिससे गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों के 70 हजार करोड़ रुपये की बचत हुई है। पीएम नेशनल डायलिसिस प्रोग्राम से 550 करोड़ रुपए की बचत हुई है। घुटना प्रत्यारोपण और दवा मूल्य नियंत्रण से 13 हजार करोड़ रुपये की बचत हुई।
ये केंद्र अब केवल सरकारी स्टोर नहीं, बल्कि सामान्य मानवी के लिए समाधान और सुविधा के केंद्र बन रहे हैं। महिलाओं के लिए 1 रुपए में सैनिटरी नैपकिन्स भी इन केन्द्रों पर मिल रहे हैं। 21 करोड़ से ज्यादा सैनिटरी नैपकिन्स की बिक्री ये दिखाती है कि जन-औषधि केंद्र कितनी बड़ी संख्या में महिलाओं का जीवन आसान कर रहे हैं।