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Farmer Protests: केंद्र और किसान संगठनों के बीच सातवें दौर की वार्ता समाप्त,अगली वार्ता 8 जनवरी को

  • by: news desk
  • 04 January, 2021
Farmer Protests: केंद्र और किसान संगठनों के बीच सातवें दौर की वार्ता समाप्त,अगली वार्ता 8 जनवरी को

नई दिल्ली:दिल्ली की कई सीमाओं समेत हरियाणा के कई जिलों में चल रहे किसान आंदोलन का 40वां दिन है। बीते 40 दिनों से किसान कृषि कानूनों को रद्द कराने के लिए ठंड, बारिश, कोहरे और शीतलहर का प्रकोप झेल कर भी डटे हुए हैं। आज सरकार और अन्नदाताओं के बीच सातवें दौर की वार्ता होने वाली है|


देश के किसानों का ये आंदोलन दिनोंदिन बढ़ता ही जा रहा है। जहां रविवार को यूपी गेट(दिल्ली-यूपी बॉर्डर) के अलावा किसानों नेे ज्ञानी बॉर्डर पर भी कब्जा कर लिया। वहीं राजस्थान से दिल्ली की ओर आ रहे किसानों पर देर रात हरियाणा पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे और पानी की बौछारें भी कीं। यह घटना गुरुग्राम से मात्र 16 किलोमीटर दूर रेवाड़ी अलवर मार्ग पर हुआ।


किसान नेता और केंद्र के बीच सातवें दौर की वार्ता LIVE Updates:



हमने बताया कि पहले कृषि क़ानूनों को वापिस किया जाए, MSP पर बात बाद में करेंगे। 8 तारीख तक का समय सरकार ने मांगा है। उन्होंने कहा कि 8 तारीख को हम सोचकर आएंगे कि ये क़ानून वापिस हम कैसे कर सकते हैं, इसकी प्रक्रिया क्या हो: किसान नेता, सरकार के साथ मुलाकात के बाद



8 तारीख (8 जनवरी 2021) को सरकार के साथ फिर से मुलाकात होगी। तीनों कृषि क़ानूनों को वापिस लेने पर और MSP दोनों मुद्दों पर 8 तारीख को फिर से बात होगी। हमने बता दिया है क़ानून वापसी नहीं तो घर वापसी नहीं : किसान नेता राकेश टिकैत, सरकार के साथ किसान नेताओं की मुलाकात के बाद



कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने बताया कि,''किसानों के साथ MSP पर बात हुई लेकिन निर्णय नहीं निकला| अगली वार्ता 8 जनवरी को होगी...अगली बैठक में समाधान निकलने की उम्मीद|किसानों का सरकार पर भरोसा है| कुल मिलाकर चर्चा ठीक वातावरण में हुई; सरकार के मन में किसानों के लिए संवेदना है; सारे देश को ध्यान में रखकर ही कोई निर्णय करेगी सरकार| किसानों के समग्र हित को ध्यान में रखकर क़ानून बनाया; ऐसे मसलों पर कई दौर की बातचीत होती है; रास्ता निकलने के लिए दोनों ओर से ताली बजती है|



कृषि कानूनों के महत्वपूर्ण मुद्दे पर केंद्र सरकार औऱ किसान नेताओं के बीच सोमवार को हुई सातवें दौर की बातचीत बेनतीजा रही| आज केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच सातवें दौर की वार्ता समाप्त हो गई है| 




आज सरकार और किसानों के बीच बातचीत का 7वां दौर है। सरकार ने कुछ सकारात्मक संदेश दिए हैं। हमें आशा हैं कि सरकार और किसान किसी नतीजे पर पहुंचेंगे ताकि किसानों को राहत मिल सके: के.सी. त्यागी, जेडीयू



अगर बिचौलिए हटेंगे तो किसान की आय बढ़ेगी, अब किसान को आर्थिक आज़ादी मिली है, इसलिए पूरे देश का किसान मोदी जी के साथ है। अगर किसान नेता चाहते हैं कि किसान का भला हो, तो वो इस क़ानून का समर्थन करेंगे: मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री कमल पटेल, किसान नेताओं की सरकार से वार्ता पर



BJP की सरकार पर किसानों को बिल्कुल भरोसा नहीं है। मंडी बंद कर दी, मंडी बेच दी, कितने किसानों पर आंसू गैस के गोले चलाए गए, कितनों की हत्या हो गई, कितनों ने आत्महत्या कर ली और कितनों की जानें चली गई लेकिन सरकार को परवाह नहीं है: अखिलेश यादव, SP




दिल्ली: विरोध प्रदर्शन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के लिए केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, पीयूष गोयल, सोमप्रकाश ने किसान नेताओं के साथ विज्ञान भवन में दो मिनट का मौन रखा।



मुख्य एजेंडा है कि तीन कानूनों को वापस लेना और MSP को कानूनी दर्जा देना है। इसमें कोई कानूनी समस्या नहीं है। यह राजनीतिक इच्छा का सवाल है। अगर सरकार कॉर्पोरेट के साथ है तो वापस नहीं लेगी और अगर किसान के साथ है तो जरूर वापस लेगी: अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्नान मोल्लाह



कानून वापस हों, MSP पर कानून बने, स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट लागू हो। हमें बिन्दुवार वार्ता(कानूनों पर) करने में कोई दिलचस्पी नहीं है: राकेश टिकैत, भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता



दिल्ली: केंद्र सरकार के साथ होने वाली सातवें दौर की वार्ता के लिए किसान नेता विज्ञान भवन पहुंचे। 




-किसानों के आंदोलन के बीच एक बार फिर कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने सराकार पर निशाना साधा है। उन्होंने ट्विटर पर एक वीडियो शेयर करते हुए लिखा कि सरकार एक तरफ तो किसानों को बातचीत के लिए बुलाती है दूसरी तरफ इस कड़कड़ाती ठंड में उन पर आंसू गैस के गोले बरसा रही है। इसी अड़ियल और क्रूर व्यवहार की वजह से अब तक लगभग 60 किसानों की जान जा चुकी है। किसान कैसे विश्वास करे इस क्रूर सरकार पर?



-ठंड और बारिश में भी अपनी मांगों को लेकर दिल्ली की सीमा पर डटे अन्नदाताओं की दशा और सरकार के रवैये पर राहुल गांधी ने एक बार फिर ट्वीट कर सवाला उठाया है। उन्होंने लिखा, सर्दी की भीषण बारिश में टेंट की टपकती छत के नीचे जो बैठे हैं, सिकुड़-ठिठुर कर वो निडर किसान अपने ही हैं, गैर नहीं। सरकार की क्रूरता के दृश्यों में अब कुछ और देखने को शेष नहीं।



-कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने किसानों के साथ होने वाली बैठक से पहले कहा है कि उन्हें आशा है कि आज समस्या का कोई समाधान जरूर निकलेगा। हम बैठक में हर मुद्दे पर चर्चा करेंगे।


दिल्ली: केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी के साथ अपने आवास से रवाना हुए। केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा, "आज की बैठक में जो विषय बचे हुए हैं उन पर चर्चा होगी। मुझे आशा है कि सभी सकारात्मक हल निकालने में मदद करेंगे और हम सफल भी होंगे।




-हरियाणा में बीती रात किसानों पर छोड़े गए आंसू गैस के गोलों की घटना के बाद आम आदमी पार्टी ने हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर पर निशाना साधा है। आप विधायक राघव चड्ढा ने कहा है कि, 'सीएम खट्टर जनरल डायर की तरह हैं जो किसानों पर फायर करवा रहे हैं, आंसू गैस के गोले उन पर प्रयोग करवा रहे हैं। क्या देश के किसान हमारे दुश्मन हैं? क्या वो चीन या पाकिस्तान के सैनिक हैं? यह बेहद शर्मनाक है।'



गाजीपुर बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने आज कहा कि, अब तक 60 किसान अपनी जिंदगियां गंवा चुके हैं। हर 16 घंटे में एक किसान मर रहा है। यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वह जवाब दे। आज सरकार के साथ होने वाली बैठक पर राकेश टिकैत ने आज कहा कि,उम्मीद है कि सरकार बात मान ले, अगर मांगें पूरी नहीं होती तो आंदोलन चलेगा|




-कृषि कानूनों के खिलाफ सिंघु बॉर्डर पर चल रहे किसानों के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए बॉर्डर पर सुरक्षा बल तैनात है। आज किसानों और केंद्र सरकार की बैठक होगी। 




-कृषि कानूनों के खिलाफ बुराड़ी के निरंकारी समागम ग्राउंड में किसानों का प्रदर्शन जारी है। फरीदकोट के ज़िला प्रधान बिंदर सिंह गोले वाला ने बताया, "आज की बैठक में तीन कानूनों को रद्द करने की बात चलेगी। उम्मीद है कि बैठक में कुछ हल निकलेगा, अगर नहीं निकला तो हमारा संघर्ष चलता रहेगा।"



गाज़ीपुर बॉर्डर पर कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है। प्रदर्शन में बौध भिक्षुओं ने हिस्सा लिया। एक बौध भिक्षु ने बताया, "हम लखनऊ से आए हैं।किसान सड़क पर है इसलिए हम मठों को छोड़ किसानों के साथ आए हैं।जब तक कानून वापस नहीं होंगे हम नहीं जाएंगे।



-अगर आज तीनों कानूनों को निरस्त करने की बात नहीं बनती और MSP गारंटी का कानून नहीं आता तो हमारे अगले कार्यक्रम पहले से ही तैयार हैं। 6 जनवरी को ट्रैक्टरों पर मार्च किया जाएगा, 7 जनवरी को देश को जगाने की कवायद शुरू होगी: सुखविंदर सिंह सभरा, किसान मज़दूर संघर्ष कमेटी



-किसान संगठनों के साथ सातवें दौर की वार्ता से पहले कृषिमंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने रविवार को रक्षामंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात कर गतिरोध समाप्त कराने की रणनीति पर चर्चा की। इस दौरान तोमर ने संकट पर बीच का रास्ता निकालने के लिए सभी संभव विकल्पों पर चर्चा की। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में कृषि मंत्रालय संभाल चुके राजनाथ किसानों के साथ मौजूदा गतिरोध समाप्त करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। पर्दे के पीछे राजनाथ इस मुद्दे को निपटाने के लिए निरंतर प्रयास कर रहे हैं।



-सिंघु बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसान नेता मनजीत सिंह राय ने कहा, हम इस बार 13 जनवरी को लोहड़ी पर नए कृषि कानूनों की प्रतियां जलाएंगे। इसके अलावा 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती को आजाद हिंद किसान दिवस के रूप में मनाया जाएगा। राय ने लोगों से 6-20 जनवरी तक किसानों के समर्थन में प्रदर्शन करने की अपील की।



-सोमवार को होने वाली वार्ता असफल होने पर किसान केेएमपी व केजीपी पर कब्जा कर लेगा। 6 जनवरी को ट्रैक्टर रैली निकाली जाएगी। किसान केएमपी-केजीपी के रास्ते सिंघु बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर व चिल्ला बॉर्डर पर चल रहे धरने में शामिल होंगे। रैली के लिए 5 जनवरी को गांवों में जनसंपर्क अभियान चलाया जाएगा। पाल व खापों के हिसाब से जिम्मेदारी तय की जाएगी। भारतीय किसान मजदूर महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवकुमार शर्मा उर्फ कक्का ने इस संबंध में किसानों से वार्ता भी की।




-पिछले 40 दिनों से चल रहे किसान आंदोलन की नजर अब सोमवार को केंद्र सरकार के साथ होने वाली वार्ता पर टिकी हुई है। वार्ता असफल रही तो निर्णायक आंदोलन किया जाएगा। वहीं अब तक अपने खेतों में सिंचाई करने वाले किसान भी बारिश के बाद राहत में हैं। सोमवार से वे भी धरने में शामिल होंगे। वहीं छह जनवरी से लेकर 26 जनवरी तक के कार्यक्रम को लेकर किसान बैठकों में व्यस्त हैं।



-भाकियू अंबावता के प्रदेश अध्यक्ष सचिन शर्मा ने बताया कि सैकड़ों की संख्या में किसान ट्रैक्टर ट्रॉली लेकर यहां पर पहुंचे हैं। उन्होंने बताया कि मेरठ, मुजफ्फरनगर, शामली, अलीगढ़, गाजियाबाद समेत उत्तराखंड के किसानों ने उनके साथ यहां पर पहुंचकर ज्ञानी बॉर्डर पर कब्जा किया है।






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