नई दिल्ली: कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों के आंदोलन का आज 18वां दिन है। कड़कड़ाती ठंड और घने कोहरे के बीच दिल्ली की तमाम सीमाओं पर किसान डटे हुए हैं| अपने आंदोलन को तेज करते हुए संयुक्त किसान आंदोलन के नेता कमल प्रीत सिंह पन्नू ने सिंघु बॉर्डर पर 14 दिसंबर को भूख हड़ताल पर बैठने की घोषणा की है।
कृषि कानूनों के खिलाफ सिंघु बॉर्डर पर किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है। किसानों के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए बॉर्डर पर सुरक्षा बल तैनात है। सिंघु बॉर्डर से किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि,''कल सारे संगठनों के मुखिया सुबह 8 बजे से शाम पांच बजे तक एक दिन के लिए भूख हड़ताल रखेंगे|
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि,''न्यूनतम समर्थन मूल्य(MSP), तीन कानून और किसान के जितने भी मुद्दे हैं उन पर सरकार बातचीत करे और इनका समाधान करे। जब तक ये(कानून) वापस नहीं होते किसान यहां से नहीं जाएगा| राकेश टिकैत ने कहा कि 14 तारीख को किसान एक दिन के लिए भूख हड़ताल पर बैठेंगे सुबह आठ बजे से लेकर शाम पांच बजे तक और धरना प्रदर्शन भी चलेगा।
कृषि कानूनों के खिलाफ टिकरी बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे एक किसान ने केक काटकर अपनी बेटी का जन्मदिन मनाया। उन्होंने बताया, "मेरी बेटी का पहला जन्मदिन है, शादी के 9 साल बाद बेटी का जन्म हुआ। ये संघर्ष चाहे छह महीने चले या साल, हम वापस नहीं मुडेंगे।"
किसान जयसिंहपुर खेड़ा बॉर्डर(राजस्थान-हरियाणा) पर दिल्ली कूच करने के लिए और लोगों के आने का इंतजार कर रहे हैं। राष्ट्रीय किसान महासभा राजस्थान के संयोजक ने बताया, "राजस्थान के और संगठन और कार्यकर्ता आ रहे हैं। अधिक लोग आएंगे तो हम दिल्ली कूच करेंगे।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस कर किसानों को अपना समर्थन देने और एक दिन का अनशन करने की बात कही है। केजरीवाल ने कहा कि किसानों ने कल एक दिन का उपवास रखने की अपील की है। मैं भी एक दिन का उपवास रखूंगा। मैं आम आदमी पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं से कहूंगा कि वो भी किसानों के समर्थन में एक दिन का उपवास करें।
केजरीवाल ने कहा कि,''मैं ऐसे लोगों को जानता हूं जो दिल से किसान आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं और उनके साथ है। ऐसे सब लोग अपने-अपने घरों में एक दिन का उपवास रखें। मैं देख रहा हूं कि कई दिनों से भाजपा के लोग किसानों को देशद्रोही कह रहे हैं। केजरीवाल आगे बोले कि बॉर्डर पर हजारों की संख्या में सेवानिवृत्त सेना के जवान जो वहां बैठे हैं, वह क्या देशद्रोही हैं? सैकड़ों खिलाड़ी जिन्होंने देश के लिए न सिर्फ राष्ट्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मेडल जीते वैसे कितने किसान वहां किसानों के साथ बैठे हैं।