द इंडिया एंप्लॉयमेंट रिपोर्ट 2024: PM मोदी के कुप्रबंधन के कारण कृषि क्षेत्र में श्रमिकों की संख्या लगातार बढ़ रही है- जयराम रमेश

नई दिल्ली: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के महासचिव (संचार) जयराम रमेश का जारी बयान-
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा,''अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन और इंस्टीट्यूट फॉर ह्यूमन डेवलपमेंट द्वारा कल जारी द इंडिया एंप्लॉयमेंट रिपोर्ट 2024, पिछले 10 साल के अन्याय काल में भारत के श्रम बाजार को लेकर कुछ चिंताजनक तथ्य प्रस्तुत करती है:
1) रोज़गार के पर्याप्त अवसर उत्पन्न करने में विफलता
a. हर साल लगभग 70-80 लाख युवा श्रम बल में शामिल होते हैं, लेकिन 2012 और 2019 के बीच, रोज़गार में वृद्धि लगभग न के बराबर हुई - केवल 0.01% !
b. 2022 में शहरी युवाओं ( 17.2%) के साथ-साथ ग्रामीण युवाओं ( 10.6% ) के बीच भी बेरोज़गारी दर बहुत अधिक थी। शहरी क्षेत्रों में महिला बेरोज़गारी दर 21.6% के साथ काफी ज़्यादा थी।
2) विपरीत दिशा में आर्थिक आधुनिकीकरण
a. ILO की इस रिपोर्ट से पता चलता है कि मोदी सरकार ने कम वेतन वाले अनौपचारिक क्षेत्र के रोज़गार का प्रतिशत बढ़ा दिया है, जिनमें किसी तरह की सामाजिक सुरक्षा नहीं होती है। 2019- 22 तक औपचारिक रोज़गार 10.5% से घटकर 9.7% हो गया।
b. प्रधानमंत्री मोदी के कुप्रबंधन के कारण कृषि क्षेत्र में श्रमिकों की संख्या लगातार बढ़ रही है। ऐसा होना आर्थिक आधुनिकीकरण की मूल अवधारणा के विपरीत है, जिससे दुनिया भर में हर विकसित देश गुज़रते हैं।
3) अप्रेंटिसशिप के लिए अवसर पैदा करने और युवाओं को कुशल और हुनरमंद बनाने में विफलता a. स्नातक की डिग्री वाले लगभग तीन में से एक युवा (29.1%) बेरोजगार हैं।
b. नेशनल अप्रेंटिसशिप प्रमोशन स्कीम पोर्टल पर पंजीकृत 125,000 संस्थानों में से दरअसल केवल 20% ही अप्रेंटिसशिप प्रदान करते हैं
4) वेतन बढ़ाने में नाकामी
a.2012 और 2022 के बीच नियमित रूप से काम करने वाले श्रमिकों की वास्तविक आय या तो स्थिर रही है या उसमें गिरावट आई है। महंगाई अनियंत्रित हो गई है और श्रमिक अब 10 साल पहले की तुलना में कम ख़र्च कर पाते हैं, वस्तुओं और सेवाओं को खरीदने कि उनकी शक्ति घट गई है।
b. न्यूनतम वेतन कानून लागू नहीं किया गया है। 2022 में, 62% अकुशल कैजुअल कृषि श्रमिकों और निर्माण क्षेत्र के 70% श्रमिकों को न्यूनतम वेतन से कम मिला।
5) युवा महिलाओं को काम के लिए सशक्त बनाने में विफलता
- 10% युवा पुरुषों की तुलना में लगभग आधी युवा महिलाएं भी रोज़गार, शिक्षा या प्रशिक्षण में नहीं हैं।
कांग्रेस महासचिव जयराम र??ेश ने कहा,''कांग्रेस पार्टी ने इन मुद्दों को लगातार उठाया है, और बड़े पैमाने पर व्याप्त बेरोज़गारी, स्थिर मजदूरी और श्रम बल भागीदारी के संकट से निपटने के लिए पांच न्याय पचीस गारंटी को देश के समक्ष रखा है:
1) रोजगार सृजन और युवाओं को कुशल और हुनरमंद बनाना
a. भर्ती भरोसा: केंद्र सरकार के सभी विभागों में खाली पद भरने समेत 30 लाख नौकरियां दी जाएगी।
b. पहली नौकरी पक्की: सभी ग्रैजुएट्स और डिप्लोमा धारकों को एक साल की वेतन वाली नौकरी की गारंटी। ऐसा होने से वे नौकरी के दौरान प्रशिक्षण प्राप्त कर सकेंगे और अपने लिए प्रोफेशनल नेटवर्क बना सकेंगे।
c. युवा रोशनी: युवाओं के उद्यमशीलता (एंटरप्रेन्योरशिप) के सपनों को सरकार करने के लिए 5,000 करोड़ का स्टार्ट-अप फंड ।
d. शहरी रोजगार गारंटी: शहरी क्षेत्रों के लिए एक रोज़गार गारंटी अधिनियम लाई जाएगी। इसके श्रम बल का इस्तेमाल सार्वजनिक इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने में, शहरों को जलवायु परिवर्तन के अनुसार ढालने में और सामाजिक सेवाओं में गैप को पाटने के लिए किया जाएगा।
2) वेतन में वृद्धि
a. श्रम का सम्मान: मनरेगा श्रमिकों सहित सभी के लिए 400 रुपए की न्यूनतम राष्ट्रीय मजदूरी तय की जाएगी।
b. शक्ति का सम्मान: आशा, आंगनवाड़ी और मिड डे मील कार्यकर्ताओं का वेतन दोगुना होगा ।
c. गिग इकोनॉमी में सामाजिक सुरक्षा: गिग श्रमिकों के लिए बेहतर कामकाजी माहौल और सामाजिक सुरक्षा |
3) वर्क फोर्स में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाई जाएगी
a.आधी आबादी, पूरा हक: केंद्र सरकार की नई नौकरियों में महिलाओं के लिए 50% आरक्षण |
b. सावित्री बाई फुले हॉस्टल : देश में कामकाजी महिलाओं के लिए सावित्री बाई फुले हॉस्टल की संख्या दोगुनी की जाएगी।
प्रधानमंत्री चाहे जितना भी ध्यान भटकाने और मुद्दों को घुमाने की कोशिश कर लें, युवाओं के बीच बेरोज़गारी 2024 के लोकसभा चुनाव का बेहद महत्वपूर्ण मुद्दा है। कांग्रेस पार्टी ने इसे लेकर एक ठोस कार्ययोजना पेश की है। पकौड़ा-नोमिक्स के दिन जल्द ही ख़त्म होने वाले हैं।
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