नई दिल्ली: कांग्रेस ने मंगलवार को पेश केंद्रीय बजट 2024-25 को ‘नकलची’ तथा ‘कुर्सी बचाओ’ बजट करार दिया और कहा कि मोदी सरकार ने युवाओं के लिए कांग्रेस की योजना कॉपी-पेस्ट की और नाम बदल दिया। सारा देश महंगाई से जूझ रहा है, लेकिन बजट में महंगाई के खिलाफ कदम उठाने की बात नहीं की गई। इस बजट में सिर्फ कुर्सी बचाने के लिए कुछ लोगों को खुश किया गया है।
राज्य सभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि,''कांग्रेस के न्याय के एजेंडे को ठीक तरह से कॉपी भी नहीं कर पाया मोदी सरकार का "नकलची बजट" ! मोदी सरकार का बजट अपने गठबंधन के साथियों को ठगने के लिए आधी-अधूरी "रेवड़ियां" बाँट रहा है, ताकि NDA बची रहे। ये "देश की तरक्की" का बजट नहीं, "मोदी सरकार बचाओ" बजट है !―10 साल बाद उन युवाओं के लिए सीमित घोषणाएं हुईं हैं, जो सालाना दो करोड़ नौकरियों के जुमले को झेल रहे हैं।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “Kursi Bachao” Budget. ”सहयोगियों को खुश करने के लिए अन्य राज्यों की कीमत पर उनसे खोखले वादे किए गए. अपने मित्रों को खुश किया गया। ‘AA’ को लाभ दिया गया, लेकिन आम भारतीय को कोई राहत नहीं दी गई।” राहुल गांधी ने आरोप लगाया, ”कांग्रेस का घोषणापत्र और पिछले कुछ बजट का ‘कॉपी-पेस्ट’ किया गया है।”
कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, ”यह देखकर काफी खुशी हुई कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कांग्रेस के न्याय पत्र को बड़ी तल्लीनता से पढ़ा है। उनका ये 'कुर्सी बचाओ बजट' एक तरह से कांग्रेस के न्याय पत्र का कॉपी-पेस्ट है। हमें आशा और विश्वास है कि आने वाले दिनों में वह हमारे घोषणा पत्र से और भी अच्छी चीजें उठाएंगी, जिससे देश के लोगों को लाभ मिलेगा।”
उन्होंने कहा, ”बजट से हमारी उम्मीद और हमारा रिस्पॉन्स-
1. बेरोजगारी देश के सामने सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी है। यह देश की सबसे बड़ी चुनौती है। हमें आशा थी कि इस बजट में रोजगार के अवसर दिए जाएंगे, बेरोजगारी की समस्या का अंत होगा। बजट में कहा गया है कि 3 तरह की योजनाओं में करीब 2.90 करोड़ लोगों को फायदा होगा। ऐसा नहीं होने वाला है। इस बजट में रोजगार सृजन का एक बड़ा मौका खो दिया गया है।
2. महंगाई यह देश कमर तोड़ महंगाई से जूझ रहा है। आज WPI करीब 3.4% है और Food inflation 9.50% है। उसके बाद भी इकोनॉमिक सर्वे में 1.7% के एक मैन्युफैक्चरिंग डिफ्लेटर की बात की गई है। लेकिन विश्व के बड़े-बड़े अर्थशास्त्री इस डिफ्लेटर के नंबर पर यकीन नहीं रखते हैं। यहां ये भी मानना मुश्किल है कि अगर 8.2% GDP ग्रोथ हो रही है, तो कृषि सिर्फ 1.4% पर और उपभोग सिर्फ 4% पर कैसे आगे बढ़ रहा है। वित्त मंत्री ने महंगाई पर मात्र 10 शब्द बोले हैं। इस बजट में महंगाई को कम करने की कोई राहत दिखाई नहीं दे रही है।
3. शिक्षा आज बच्चे अपनी क्लास के हिसाब से पढ़ाई नहीं कर सकते हैं और यह भी माना जाता है कि उस तरह की स्किल नहीं है, इसलिए शिक्षा पर ध्यान देना काफी जरूरी था। आज देश में NEET काफी बड़ा मुद्दा है, लेकिन इस पर एक शब्द नहीं बोला गया। पिछली बार स्कूल बजट में 1,16,417 करोड़ रुपए खर्च करने की बात की गई थी, लेकिन 1,08,878 रुपए खर्च किया गया है।
4. स्वास्थ्य यह सबको पता है कि पब्लिक हेल्थ केयर का बुरा हाल है। सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर, नर्स, स्टाफ की भारी कमी है। माना जा रहा था कि सरकार इस बार स्वास्थ्य पर ज्यादा खर्च करेगी, लेकिन ज्यादा करने के बजाए इसको घटाया जा रहा है। पिछली बार बजट 88,956 करोड़ था, लेकिन खर्च 80,000 करोड़ से कम किया गया है। इसमें 8 हजार करोड़ से ज्यादा की कटौती की गई है।
5. आय 6 साल से लोगों की इनकम बढ़ नहीं रही है। वित्तीय वर्ष 2018-23 के बीच लोगों की आय- स्व-रोजगार वाले 12,800 रुपए प्रति माह दिहाड़ी मजदूर करीब 7,400 रुपए प्रति माह मजदूर 19,750 रुपए प्रति माह हमारी मांग रही है कि न्यूनतम आय 400 रुपए प्रतिदिन की होनी चाहिए। लेकिन सच्चाई यही है कि दिहाड़ी मजदूरों को कोई भी राहत नहीं दी गई है।
6. कृषि किसान MSP की कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार ने अपने बजट में एक शब्द नहीं बोला है। इसके साथ ही कृषि का बजट घटा दिया गया है।
7. शिक्षा लोन हमारी मांग थी कि एक बार आउटस्टैंडिंग शिक्षा लोन माफ कर दिया जाए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इस बजट में शिक्षा लोन देने की बात हुई, लेकिन जो लोग शिक्षा लोन लेकर जूझ रहे हैं, उसे माफ करने की बात नहीं की गई।
8. अग्निपथ हमारी मांग थी कि अग्निपथ स्कीम को खत्म किया जाए, लेकिन अग्निपथ स्कीम पर भी एक शब्द नहीं बोला गया।”
कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, ”Budget का कच्चा चिठ्ठा
”देश की मूल समस्याओं में आज बेरोज़गारी, महंगाई, आर्थिक असमानता, ग़रीबी है - इस बजट में रोज़गार सृजन, महंगाई को कम करने, ग़रीबी को हटाने और आर्थिक असमानता की खाई को पाटने के लिए कुछ नहीं है''
1) कुर्सी बचाओ की क़वायद
अलबत्ता यह हर क़ीमत पर कुर्सी बचाओ बजट है. जिन बैसाखियों के भरोसे मोदी जी चल रहे हैं, उन्होंने अपना हिस्सा लेकर ही दम लिया बाक़ी सारे राज्य सोच रहे हैं, हमने क्या ग़लत किया. जहां BJP चुनाव हारी वहाँ तो चलो बदले की भावना से नहीं दिया लेकिन जहाँ जीते उनका क्या?
2) कॉपी पेस्ट:इंटर्नशिप स्कीम
कांग्रेस की स्कीम को कॉपी पेस्ट करने के लिए भी अक्ल चाहिए. कांग्रेस की ‘पहली गारंटी स्कीम’ को कॉपी तो कर लिया लेकिन यह समझना ज़रूरी है कि हमारी स्कीम एक साल के लिए ₹8500 प्रति महीना और हर डिग्री डिप्लोमा धारक के लिए थी. इस सरकार ने स्कीम को ₹5000 प्रति महीना, 500 टॉप कंपनियों और 1 करोड़ लोगों तक ही सीमित रखा है. पर सवाल यह है कि 1 करोड़ लोग अगर 500 कंपनियों में इंटर्नशिप करेंगे तो क्या एक कंपनी 20,000 इंटर्न रखेगी?
3) कॉपी पेस्ट: Angel Tax
अच्छी बात है कि हमारे घोषणापत्र में Angel Tax को ख़त्म करने वाली बात पर भी अमल किया गया है - काश कुछ और बातें भी सीख ली होतीं
4) महंगाई से मुँह मोड़ा
वित्त मंत्री ने महंगाई पर 10 शब्द बोले, और महंगाई घटाने के बारे में एक भी बात नहीं की, अलबत्ता यह बताने की कोशिश ज़रूर की कि खाने के सामान को छोड़कर बाक़ी सब तो बेहद सस्ता हो गया है
5) मध्यम वर्ग को छला
मिडिल क्लास की कमरतोड़ने में वित्त मंत्री ने कोई कसर नहीं छोड़ी है
―Short Term Capital Gains Tax 15% से बढ़ा कर 20% कर दिया है
―Long Term Capital Gains Tax 10% से बढ़ाकर 12.5% कर दिया है
―Dividend पर नया टैक्स लगेगा
―Indexation के फ़ायदे हट गये हैं.
ऐसे समझिये― साल 2000 में आपने ₹10,00,000 में एक घर ख़रीदा जिसको इस साल आपने ₹50,00,000 में बेच दिया Indexation के बाद cost ₹36,30,000 रुपये हुई आपका capital gain हुआ ₹13,70,000 इस पर आपको टैक्स देना पड़ता ₹2,74,000 का पर अब नये प्रावधान में आपको टैक्स देना पड़ेगा ₹5,00,000 का
6) कृषि बजट कटौती
किसानों को MSP की लीगल गारंटी तो नहीं दी गई, लेकिन कृषि का बजट ज़रूर घटा दिया गया. इस साल के बजट को टोटल बजट के अनुपात में और घटा कर 3.15% कर दिया गया है. यही नहीं, पिछले साल ₹1,44,214 करोड़ कृषि के लिए आवंटित किया गया था और खर्च मात्र ₹1,40,533 करोड़ ही किया गया.
7) शिक्षा पर कम खर्च
शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के बजाय शिक्षा पर खर्चा कम किया जा रहा है. पिछले साल 1,16,417 करोड़ शिक्षा के लिए आवंटित किया गया था और खर्च मात्र ₹1,08,878 करोड़ ही किया गया. आशय साफ़ है ‘ना पढ़ेगा भारत, ना बढ़ेगा भारत’
8) स्वास्थ्य बजट घटाया
कोरोना जैसी महामारी के बावजूद सरकार ने कुछ नहीं सीखा. लगातार बजट दर बजट स्वास्थ्य का बजट निरंतर घटाया जा रहा है. यही नहीं, पिछले साल ₹88,956 करोड़ स्वास्थ्य के लिए आवंटित किया गया था और खर्च मात्र ₹79,221 करोड़ ही किया गया
8) रक्षा बजट कटौती
एक तरफ़ जब चीन धृष्टता कर रहा है, उसको लाल आँख दिखाने के बजाय हम रक्षा बजट में कटौती क्यों कर रहे हैं. पिछले वित्तीय वर्ष में रक्षा बजट पूरे बजट का 9.6% था जो इस साल घटा कर 9.4% कर दिया गया है
9) Capital Expenditure कटौती
FY24 का capital expenditure बजट अनुमान (BE) ₹13,70,949 करोड़ था, लेकिन संशोधित अनुमान (RE) 12,71,436 करोड़ है. मतलब सरकार ने लगभग 1 लाख करोड़ capex में ही कम खर्चे
10) रेलवे की फ़िक्र नहीं
निरंतर हो रहे रेल हादसों के बावजूद बजट में कवच पर एक शब्द नहीं. असलियत यह है कि कवच लग ही नहीं रहा है, बात पैसे की नहीं नियत और प्राथमिकताओं की है. सरकारी आँकड़ों के अनुसार पूरे वित्तीय वर्ष 2023 में मात्र 20 किलोमीटर पर ही कवच लगाया गया
कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ”