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किसान आंदोलनों में खालिस्तानी घुसपैठ के आरोपों पर हलफनामा दाखिल करेगी केंद्र, SC ने कहा- आरोप लगा रहे हो तो आपको पुष्टि करनी होगी

  • by: news desk
  • 12 January, 2021
किसान आंदोलनों में खालिस्तानी घुसपैठ के आरोपों पर हलफनामा दाखिल करेगी केंद्र, SC ने कहा- आरोप लगा रहे हो तो आपको पुष्टि करनी होगी

नई दिल्ली: कृषि कानूनों और दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई की है|कृषि कानूनों पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा आदेश सुनाते हुए इन कानूनों को लागू किे जाने पर रोक लगा दी है| कोर्ट के अगले आदेश तक ये कानून लागू नहीं होंगे| शीर्ष अदालत ने इन कानूनों पर चर्चा के लिए एक समिति का गठन भी किया है|



 तीन कृषि कानूनों को चुनौती देने और दिल्ली की सीमाओं से किसानों को हटाने की कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि,'' हमारे सामने एक याचिका है, जिसमें कहा गया है कि एक प्रतिबंधित संगठन है जो इस विरोध प्रदर्शन में मदद कर रहा है।CJI ने पूछा क्या अटार्नी जनरल इसे स्वीकार या अस्वीकार कर सकते हैं?



इस पर अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि,'' हमने कहा है कि खालिस्तानियों ने विरोध प्रदर्शनों में घुसपैठ की है। भारत के मुख्य न्यायाधीश ने अटार्नी जनरल से कहा कि,'' यदि किसी प्रतिबंधित संगठन द्वारा घुसपैठ हो रही है और कोई हमारे सामने यहां आरोप लगा रहा है, तो आपको इसकी पुष्टि करनी होगी। कल तक हलफनामा दाखिल करें..




अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि,'' हम इस संबंध में एक हलफनामा दाखिल करेंगे और आईबी रिकॉर्ड रखेंगे|




सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस के उस आवेदन पर नोटिस जारी किया जिसमें गणतंत्र दिवस पर किसानों के विरोध में प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली को रोकने की मांग की गई थी। CJI ने कृषि कानूनों पर सुनवाई के दौरान कहा,''हम इस आदेश में कहेंगे कि रामलीला मैदान या अन्य स्थानों पर विरोध प्रदर्शन के लिए किसान दिल्ली पुलिस आयुक्त की अनुमति के लिए आवेदन कर सकते हैं|




 केंद्र सरकार द्वारा संसद में पास किए गए तीनों कृषि कानून के लागू होने पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले को सुलझाने के लिए कमेटी का गठन किया है। इस कमेटी में कुल 4 लोग शामिल होंगे, जिनमें भारतीय किसान यूनियन के जितेंद्र सिंह मान, डॉ. प्रमोद कुमार जोशी, अशोक गुलाटी (कृषि विशेषज्ञ) और अनिल धनवत (शिवकेरी संगठन, महाराष्ट्र) शामिल हैं। अटॉर्नी जनरल की ओर से कमेटी बनाने का स्वागत किया गया। इसपर हरीश साल्वे कहा कि सुप्रीम कोर्ट यह स्पष्ट कर सकता है कि ये किसी पक्ष के लिए जीत नहीं होगी, बल्कि कानून की प्रक्रिया के जरिए जांच का प्रयास ही होगा। चीफ जस्टिस की ओर से इस पर कहा गया कि ये निष्पक्षता की जीत हो सकती है।



सीजेआई बोबडे ने कहा कि हम कानूनों की वैधता के बारे में चिंतित हैं और विरोध प्रदर्शनों से प्रभावित नागरिकों के जीवन और संपत्ति की रक्षा के बारे में भी। हम अपने पास मौजूद शक्तियों के अनुसार समस्या को हल करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्हीं  शक्तियों में से एक है कि हम कानून को निलंबित करें और एक समिति बनाएं। समिति इस मामले में न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा है। अधिवक्ता एमएल शर्मा ने कहा कि किसान कह रहे हैं कि कई व्यक्ति चर्चा के लिए आए थे, लेकिन मुख्य व्यक्ति, प्रधानमंत्री नहीं आए। इस पर सीजेआई ने कहा कि हम प्रधानमंत्री को जाने के लिए नहीं कह सकते, वह इस मामले में पक्षकार नहीं हैं।



सुनवाई के दौरान एक याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि हमें विरोध प्रदर्शन के लिए बड़ी जगह दी जाए। इस पर सीजेआई ने कहा कि हम इस आदेश में कहेंगे कि रामलीला मैदान या अन्य स्थानों पर विरोध प्रदर्शन के लिए किसान दिल्ली पुलिस आयुक्त की अनुमति के लिए आवेदन कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस के उस आवेदन पर नोटिस जारी किया जिसमें गणतंत्र दिवस पर किसानों के विरोध में प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली को रोकने की मांग की गई थी।








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