नई दिल्ली: नई दिल्ली में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जीएसटी काउंसिल बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में MoS अनुराग ठाकुर, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के वित्त मंत्रियों तथा केंद्र सरकार और राज्यों के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल रहे| बैठक के बाद वित्तमंत्री सीतारमण ने प्रेसवार्ता की।
जीएसटी परिषद की बैठक के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि,''मुआवजे का भुगतान करने के लिए उपकर का संग्रह अपर्याप्त है। यह देखने के लिए सभी के लिए बिल्कुल स्पष्ट है और क्योंकि यह ऐसी चीज़ है जिसकी कभी परिकल्पना नहीं की गई थी, कमी अब उधार लेकर पूरी होगी केंद्र ने उधार कैलेंडर जारी किया है। यदि मैं कैलेंडर से परे जाती हूं, तो यह तुरंत बॉन्ड सौदों को जैक कर देगा।
वित्त मंत्री ने कहा कि राज्यों के जीएसटी राजस्व में कमी की भरपाई के लिए केंद्र सरकार बाजार से कर्ज नहीं उठा सकती है क्योंकि इससे बाजार में कर्ज की लागत बढ़ सकती है। निर्मला सीतारमण ने कहा कि,'इस मामले पर कोई सहमति नहीं बनी, जिस पर मतभेद मौजूद हैं। जीएसटी काउंसिल निश्चित रूप से उपकर, उपकर के संग्रह, उपकर को एकत्रित करने की अवधि को बढ़ा सकता है। यह दोहराया गया था|
वित्त मंत्री ने कहा कि सदस्यों के बीच एक सवाल था क्या जीएसटी काउंसिल यह आदेश दे सकती है कि या तो केंद्र उधार ले या राज्य ऐसा करें ’क्योंकि हर राज्य का व्यवसाय ऐसा है जो वह अपने स्वयं के उधार के बारे में चाहता है। जीएसटी काउंसिल ने सर्वसम्मति से पांच साल से अधिक सेस बढ़ाने पर सहमति जताई है|
निर्मला सीतारमण ने कहा कि उधार ली गई लागत कुछ ऐसी चीज नहीं है जिसे हम ऐसे समय में वहन कर सकते हैं जब भारत निवेश करने और व्यापार करने के लिए उधार लेने के लिए अधिक पैसा देख रहा हो। राज्यों के कर्ज लेने पर प्रभाव उतना गंभीर नहीं होगा| उधार लेने वाले राज्यों का मतलब अराजक स्थिति नहीं है, हम राज्यों को सुविधा प्रदान करेंगे ताकि कुछ राज्य उच्च-ब्याज दरों का भुगतान करें, जबकि अन्य लोग उचित दर पर ऋण प्राप्त करें|
सीतारमण ने कहा कि हम एक आम सहमति पर पहुंचने में सक्षम नहीं हो पाए| मैंने सभी राज्यों से अपील की, हमें उन राज्यों को जल्दी से जवाब देना होगा जो जमीन पर COVID19 से लड़ रहे हैं और जो अपने हाथों में पैसा चाहते हैं। आज जीएसटी काउंसिल की बैठक इसी तरह समाप्त हुई| उन्होंने कहा कि,''हम किसी भी (राज्य) के लिए खुले हैं जो हमें किसी भी ऋण की सुविधा देना चाहता है। बहुत से लोगों ने विकल्प 1 चुना है, और कुछ कल सुबह हमसे संपर्क करेंगे। हम इससे निपटने के लिए तैयार हैं|
वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि ऐसे समय में जब देश व्यापार के लिए निवेश और उधार लेने के लिए अधिक राशि की ओर देख रहा है, हम उधार की बढ़ी लागत वहन नहीं कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि अगर राज्य उधार लेते हैं तो स्थिति इतनी गंभीर नहीं होगी।उन्होंने कहा कि राज्यों के उधार लेने का मतलब यह नहीं है कि स्थिति अफरा-तफरी वाली हो जाएगी। वित्तमंत्री ने कहा कि हम राज्यों को सुविधा देंगे जिससे कुछ राज्यों को उच्च दर पर ब्याज का भुगतान करना पड़ेगा और बाकी राज्यों को तार्किक दर पर उधार मिल सकेगा।