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‘भारत जोड़ो यात्रा’ — “ भय और नफरत, आर्थिक असमानता, बेरोजगारी और महंगाई के खिलाफ है”: राहुल गांधी

  • by: news desk
  • 08 January, 2023
‘भारत जोड़ो यात्रा’ — “ भय और नफरत, आर्थिक असमानता,  बेरोजगारी और महंगाई के खिलाफ है”: राहुल गांधी

नई दिल्ली: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और सांसद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की अगुवाई में तमिलनाडु के कन्याकुमारी से शुरू हुई कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ का आज 114वां दिन है। राहुल गांधी ने आज रविवार सुबह 8 बजे हरियाणा के डोडवा-तरावड़ी क्रॉसिंग से भारत जोड़ो यात्रा की शुरुआत की। यह यात्रा डोडवा-तरावड़ी क्रॉसिंग से होते हुए धर्मक्षेत्र कुरूक्षेत्र पहुंची। यहाँ रविवार दोपहर करीब 1 बजे राहुल गांधी ने प्रेस कांफ्रेस की| प्रेस कांफ्रेस के बाद राहुल गांधी ने दोपहर 3:30 बजे पुनः यह यात्रा कुरुक्षेत्र के जिरबारी से शुरू करेंगे| यह यात्रा शाम साढ़े छह बजे जिरबारी से कुरुक्षेत्र पुराना बस स्टैंड पहुंचेगी| इसके के बाद शाम को करीब 7 बजे राहुल गांधी ब्रह्म सरोवर की आरती में शामिल होंगे|



कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने रविवार को कहा कि ‘भारत जोड़ो यात्रा'को देश में हर जगह लोगों की शानदार प्रतिक्रिया मिली है| उन्होंने जोर देकर कहा कि,' पदयात्रा भय और नफरत के खिलाफ है, जो समाज में फैलाई जा रही है| साथ ही उन्होंने कहा कि यह यात्रा बेरोजगारी और महंगाई के खिलाफ भी है|



कुरुक्षेत्र में प्रेस कांफ्रेस में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने यात्रा के आलोचकों पर हमला करते हुए  कहा, ‘‘अब यात्रा कन्याकुमारी से हरियाणा तक पहुंची है और बहुत कुछ सीखने को मिला। बहुत लोगों से हम मिले और देश के दिल में जो है, वो डायरेक्टली सुनने को मिला है, हम सबको। हरियाणा में आपका रेस्पांस देखा, बहुत अच्छा रेस्पांस है। एनर्जेटिक, एंथुसियास्टिक रेस्पांस है। शुरुआत की थी, तो लोगों ने कहा कि देखिए, केरल में जो रेस्पांस मिलेगा, जो केरल में रेस्पांस मिला, वो कर्नाटक में नहीं मिलेगा, बीजेपी के स्टेट में नहीं मिलेगा। पता लगा कर्नाटक में केरल से भी बेहतर रिस्पोंस। फिर कहा कि भाई, साउथ में मिला है, अब जब हम महाराष्ट्र में पहुंचेंगे, तो रेस्पांस नहीं होगा, महाराष्ट्र में साउथ से भी अच्छा और फिर जब हिंदी बेल्ट में जा रहे थे, फिर कहते हैं कि हिंदी बेल्ट में तो बिल्कुल नहीं होगा, महाराष्ट्र में रेस्पांस बहुत अच्छा है, पर हिंदी बेल्ट में नहीं होगा। मध्यप्रदेश में देखा तो और भी इम्प्रूवमेंट और फिर जब हम हरियाणा में आ रहे थे, कहने लगे- नहीं, बीजेपी की सरकार है, वो रेस्पांस नहीं मिलेगा और भी इम्प्रूवमेंट । मतलब जहाँ हम जितना आगे बढ़ते जा रहे हैं, रेस्पांस इम्प्रूव करता जा रहा है। तो मैं हरियाणा के युवाओं से, हरियाणा की जनता से, माताओं, बहनों से दिल से धन्यवाद करना चाहता हूं कि आपने इतना प्यार किया, आपने इतनी शक्ति दी। इसके लिए हम बहुत-बहुत आभारी हैं। यहाँ पर लोगों ने किसानों ने हमें हरियाणा की सच्चाई बताई। सड़कों पर हम चलें हैं, वो भी हमने देखा, तो रियलिटी हमारे और आपके सामने है। 



‘भारत जोड़ो यात्रा’ भय और नफरत के है खिलाफ
एक प्रश्न पर कि ये एक जन आंदोलन है या राजनीतिक यात्रा है, इस यात्रा के बाद आपका लक्ष्य क्या होगा? श्री गांधी ने कहा कि ये जो यात्रा है, जो हिंदुस्तान की आवाज को दबाया जा रहा है और जो हिंदुस्तान में डर फैलाया जा रहा है, हिंदुस्तान को जो बांटा जा रहा है, एक जाति को दूसरी जाति से, एक धर्म दूसरे धर्म से जो लड़ाया जा रहा है, उसके खिलाफ ये यात्रा है। इस यात्रा का एक और लक्ष्य है और मेरा पर्सनल लक्ष्य है और जो हमारे साथ लोग चल रहे हैं, उनका भी लक्ष्य है कि हम इस यात्रा को तपस्या जैसे देख रहे हैं। हम अपने देश से प्यार करते हैं, देश की जनता से प्यार करते हैं, किसानों से, गरीब लोगों से प्यार करते हैं और उनके साथ हम चलना चाहते हैं। तो यात्रा का लक्ष्य पर्सनल है, यात्रा का लक्ष्य देश की जनता को देश की सच्ची आवाज सुनाने का है। 



उन्होंने कहा, ‘‘उससे (यात्रा से) राजनीतिक फायदा हो, नुकसान हो, उसके बारे में मैं नहीं कह सकता हूं, मगर यात्रा का लक्ष्य अवेयरनेस का है और जो मुख्य तीन बातें हैं, जो हम सब जगह कहते हैं. - भारत जोड़ो, डर के खिलाफ खड़े हो, नफरत मत करो, ये एक मुद्दा है। दूसरा मुद्दा, जो हिंदुस्तान में इकोनॉमिक इनइक्वैलिटी हो रही है, जो सारा का सारा धन, मीडिया, दूसरे इंस्टीट्यूशन्स, दो, तीन, चार लोगों के हाथ में है इसके खिलाफ और उसके जो नतीजे हैं, भयंकर जो अनएम्प्लॉयमेंट हो रहा है, तेजी से जो महंगाई बढ़ रही है, उसके खिलाफ ये यात्रा है और लोगों को ये मालूम है कि हिंदुस्तान में बेरोजगारी बढ़ रही है, तो उसका कारण है कि पूरा का पूरा धन तीन, चार, पांच लोगों के हाथ में है, सबको मालूम है। लोगों को ये भी मालूम है कि जो धन का कंसन्ट्रेशन हो रहा है, पूरी की पूरी आर्थिक शक्ति तीन, चार लोगों के हाथ में जा रही है, उसका नतीजा बेरोजगारी है, उसका नतीजा महंगाई है, लोगों को कनेक्शन मालूम है। तो हम ये बात रखना चाहते हैं और बहुत सक्सेसफुली ये बात यात्रा ने रखी है। इसलिए मैं कह रहा हूं कि जहाँ भी हम जा रहे हैं, यात्रा इम्प्रूव हो रही है। तो अब ये हमारा लक्ष्य था....| तुम काम करो, जो होना है, होगा। ध्यान काम पर रखो। तो वही थिंकिंग है यात्रा की भी। आपका सवाल अच्छा है, यात्रा के बाद एक और काम होगा, उसके बाद शायद एक और काम होगा, फिर आपको जवाब मिल जाएगा।



एक अन्य प्रश्न पर कि आगामी विधानसभा चुनावों में हरियाणा में सीएम का चेहरा कौन होगा? श्री गांधी ने कहा कि देखिए, मैंने प्रेस वार्ता में तीन, चार बार कहा है कि हमारा लक्ष्य यात्रा का है और आप लोग डाइवर्ट करने की कोशिश करते हैं। पता नहीं, आप यात्रा को दिखाते ही नहीं हैं, आपको कहा गया है कि भाई, यात्रा को दिखाओ मत। सोशल मीडिया में मतलब बवाल मचा हुआ है, तूफान आया हुआ , मगर नेशनल मीडिया में कुछ नहीं दिखाया जाता है और फिर आप प्रेस वार्ता में आते हैं, कहते हैं, चलो भाई एक डिस्ट्रैक्शन मारते हैं। सीएम कौन होगा, पीएम कौन होगा, अगला सवाल होगा पीएम कौन होगा, देख लेना। आएगा, पक्का आएगा, डिस्ट्रैक्ट करना है, सीएम कौन होगा, पीएम कौन होगा, फिर उसके बाद आएगा सवाल अपोजिशन यूनिटी नहीं है, वो भी आएगा। तो आप करिए जो आपको करना है, मुझे भी करना है काम। थैंक्यू ।


हरियाणा में संगठन नहीं है, ये कहना बिल्कुल गलत...

एक अन्य प्रश्न पर कि यात्रा चल रही है, बहुत चर्चाएं हो रही है, लेकिन प्रदेश कांग्रेस संगठन की भी उतनी ही चर्चा हो रही है कि प्रदेश में संगठन नहीं बन पा रहा है? श्री गांधी ने कहा कि' ,सबसे पहले ये कहना कि संगठन नहीं है, ये तो बिल्कुल गलत है। संगठन तो मतलब आपको सड़कों पर दिख रहा है, सब जगह दिख रहा है। खरगे जी प्रेसीडेंट हैं, मैं कांग्रेस पार्टी का प्रेसीडेंट नहीं हूं। तो ये सवाल आपको खरगे जी से पूछना पड़ेगा कि एग्जेक्टली हरियाणा के संगठन में इंप्रूवमेंट कैसे लाई जाएगी।



एक अन्य प्रश्न पर कि श्री गांधी ने कहा कि नहीं, सबसे पहली बात ये है, देखने की बात है कि ये जो आपने मेरे सामने सवाल रखा है, ये आप नरेन्द्र मोदी जी के सामने रख सकते हैं क्या? सबसे पहली बात ये है। एक व्यक्ति के सामने सवाल रखना और कवरेज करना में बहुत फर्क होता है। प्रधानमंत्री जी ने ऐसी कितने प्रेस वार्ताएं की हैं, जहाँ पर कोई भी पत्रकार उनसे ऐसा सवाल पूछे? सबसे पहली बात ये है । 



दूसरी बात ये है कि मैं कह रहा हूं कि देश की जनता को बांट कर उनमें नफरत फैलाई जा रही है। हिंदू-मुस्लिम, अलग-अलग जाति के लोगों को लड़ाया जा रहा है। क्या कांग्रेस पार्टी ये करती है? कांग्रेस पार्टी ने कभी कहा है कि एक जाति के व्यक्ति को दूसरी जाति के व्यक्ति की हत्या करनी चाहिए? क्या कांग्रेस पार्टी ने कभी कहा है कि एक धर्म को दूसरे धर्म से लड़ाया जाना चाहिए, कभी नहीं कहा है। हिस्ट्री में कभी नहीं कहा है, दूसरी बात ये है।



तीसरी बात ये है कि वहाँ पर जो डर का माहौल है, उसके बारे में आपने हमें बताया है, हम जाकर उसको देखेंगे और अगर वहाँ पर हम उसके बारे में बोल सकते हैं, मैं बोलूंगा, ठीक है और अगर वहाँ पर कुछ गलत हो रहा है, तो मैं पर्सनली जाकर उसको देखकर उस पर मेरी जो राय होगी, मैं रखूंगा, ठीक है। मगर मुख्य बात ये है कि जो देश में आज नफरत फैलाई जा रही है, जो हिंसा की जा रही है|



किसान पर आक्रमण हो रहा है, कांग्रेस पार्टी की सरकार आएगी, वो आक्रमण बंद होगा

एक अन्य प्रश्न पर कि आप हर स्पीच में किसान और जवान की बात करते हैं, लेकिन एमएसपी का मुद्दा अभी भी बरकरार है, अगर आपकी सरकार आ जाती है तो क्या आप स्वामीनाथन रिपोर्ट को लागू करेंगे? श्री गांधी ने कहा कि देखिए, ये जो चीजें होती हैं, ये ऐसे केजुअली नहीं कहा जा सकता है, ठीक है कि भईया, सबसे पहले मैं कांग्रेस पार्टी का मेंबर हूं, लीडर हूं, बहुत सारे और हैं। तो हम इस बात कि सीरियसली कहना चाहते हैं, तो ये डिस्कशन हम अपनी मेनिफेस्टो कमेटी में करते हैं और उसकी सिरियसली असेस करते हैं। उसके फाइनेंशियल इम्लिकेशन असेस करते हैं, उसके दूसरे इम्लिकेशन असेस करते हैं और फिर उस पर निर्णय लेते हैं। मैं यहाँ कह सकता हूं, हाँ कर सकते हैं, नहीं करेंगे, उसका कोई मतलब नहीं है। जो हमारे मेनिफेस्टो में आएगा, वो हमारा डिसीजन होगा और वो गारंटी करके हम करेंगे। जैसे हमने न्याय योजना के बारे में कहा था। हमने अलग-अलग स्टेट में कर्जा माफी की बात की थी। जब हमारे मेनिफेस्टो में आ जाता है, तो वो होगा ही होगा, पहली बात ये है। दूसरी बात ये है कि हम एक्सेप्ट करते हैं कि जो किसान है, उसको चारों ओर से घेरा जा रहा है। उसको डायरेक्टली मारा जा रहा है, फ्यूल प्राइस से लेकर डायरेक्ट डीजल, पेट्रोल के प्राइस तक डायरेक्ट मारा जा रहा है। उसको इनडायरेक्टली मारा जा रहा है। 



बीमा का वो (किसान) पैसा देता है, तूफान आता है, आंधी आती है, उसको पैसा नहीं मिलता। उसको डायरेक्टली खाद की प्राइस से मारा जा रहा है। तो हम इतना एक्सेप्ट करते हैं कि जो हमारे देश की जो रीढ़ की हड्डी है, जो रीढ़ की हड्डी प्रोडक्शन करता है, जो हमें भोजन देता है, उस पर आक्रमण हो रहा है। वो जो किसान के तीन काले कानून थे, वो कानून नहीं थे, वो किसान को मारने के हथियार थे। जैसे डिमोनेटाइजेशन और गलत जीएसटी छोटे व्यापारियों को मारने के हथियार हैं, वो पॉलिसी नहीं हैं। तो हम समझते हैं कि उनको प्रोटेक्शन की जरुरत है और एक और बात एक्सपोर्ट पॉलिसी भी उनको मारने का, उनसे चोरी करने का एक तरीका है, ठीक है। तो हम जानते हैं किसान पर आक्रमण हो रहा है और मैं आपको एक बात की गारंटी दे दूंगा कि कोई भी कांग्रेस पार्टी की सरकार आएगी, वो आक्रमण बंद होगा, किसान की रक्षा होगी, उसकी प्रोटेक्शन होगी और अगर हम अरबपतियों का लाखों-करोड़ रुपए कर्जा माफ कर सकते हैं, तो हम किसानों की भी मदद कर सकते हैं। ये मैं आपको गारंटी करके दे सकता हूं। एमएसपी बहुत जरुरी मुद्दा है, उस पर हम चर्चा करेंगे, इंटरनल डिस्कशन करेंगे और उस पर हम निर्णय लेंगे। मगर मैं ऐसे प्रेस वार्ता में इन चीजों के बारे में फ्रिक्वेंटली नहीं बोल सकता हूं।


जो रोजगार दे सकते हैं, जो सपने पूरे कर सकते हैं, उनकी हत्या हो रही है

एक अन्य प्रश्न पर कि युवाओं में बेरोजगारी की बहुत समस्या है, आपकी सरकार आएगी, तो सरकारी या प्राईवेट नौकरी में ऐसा क्या रोडमैप होगा, जो आप फॉलो करेंगे, श्री गांधी ने कहा कि देखिए, ये देश अपने युवाओं से झूठ बोल रहा है, ठीक है। झूठ क्या है? मैं अब 3,000 किलोमीटर चला हूं। युवाओं सें मैं पूछता हूं, बच्चों से पूछता हूं, क्या करना चाहते हो? पांच जवाब मिलते हैं। इंजीनियर, डॉक्टर, लॉयर, आर्मी, एडमिनिस्ट्रेशन और सारे के सारे मतलब हजारों बच्चों ने मुझे ये पांच जवाब दिए है। रियलिटी ये है कि इनमें से 10 परसेंट को इंजीनियर, डॉक्टर, लॉयर ये जॉब्स मिल जाएंगी, बाकी को नहीं मिलेगी तो इन सबके सपने टूटेंगे। 



उन्होंने कहा, ‘‘कुछ दिनों पहले मेरे पास एक बच्ची आई, कहती है- मैं आईएएस में जाना चाहती हूं। मैने कहा- ठीक है, बेटा। आईएएस में हर साल कितने लोग जाते हैं? मुझे कहती है- पांच लाख लोग जाते हैं। मैंने उससे कहा- नहीं बेटा, पांच लाख लोग नहीं जाते हैं, 150 लोग जाते हैं, रोने लग गई। तो ये देश अपने बच्चों से, अपने भविष्य से झूठ बोल रहा है और ये इनका दिल तोड़ेगा। हर रोज इनका दिल टूटता है, इनके सपने टूटते हैं। क्यों टूटते हैं- क्योंकि जो लोग इस देश को रोजगार दे सकते हैं, उनकी हम मदद नहीं करते हैं, उनकी हम प्रोटेक्शन नहीं करते हैं, उनके स्ट्रक्चर के बारे में हम नहीं सोचते हैं। रोजगार कहां से आएगा? रोजगार अगर आप सेकेण्ड ग्रीन रेवोल्यूशन करोगे, एग्रीकल्चर को ट्रांसफोर्म करोगे, फूड प्रोसेसिंग फैक्ट्रीज़ के जाल बिछाओगे, रोजगार वहां से आएगा। करोड़ों लोगों को रोजगार मिल सकता है और रिस्पेक्टबल रोजगार मिल सकता है।



दूसरी बात जो स्मॉल और मीडियम इंडस्ट्रीज को डेस्ट्रॉय किया गया है और कोई शब्द ही नहीं है, डेस्ट्रा किया गया है। जीएसटी, डीमोनेटाईजेशन और कोविड के समय जो किया वो दूसरे लोग हैं जो रोजगार दे सकते हैं, करोड़ों लोगों को रोजगार दे सकते हैं। मैं आपसे सवाल पूछना चाहता हूं। आप मुझे वो नाम बता दीजिए जो छोटी कंपनी चलाता हो, स्मॉल और मीडियम साईज इंडस्ट्री चलाता हो, जो आज लाखों-करोड़ का मालिक हो गया है, नाम बता दो मुझे। आप ये होंडा गाड़ी चलाते हों, इस कंपनी का मालिक मैकेनिक था। ये टोयोटा गाड़ी चलाते हैं, इसका मालिक मैकेनिक था। आप मुझे मैकेनिक का नाम बता दो जो इस देश में बड़ा उद्योगपति बन गया है, बताओ। नहीं हैं। तो जो रोजगार दे सकते हैं, जो सपने पूरे कर सकते हैं, उनकी हत्या हो रही है।

ये देश तपस्वियों का देश है,,, 

एक अन्य प्रश्न पर कि आपने कहा कि अब लड़ाई तपस्या की है, राजनीतिक नहीं, तो क्या आप अब तपस्वी हो गए हैं? श्री गांधी ने कहा कि मैं तपस्वी था, अब भी तपस्वी हूँ। ये देश तपस्वियों का देश है। जैसे लोगों ने कहा कि देखो राहुल गांधी कितने किलोमीटर चल लिया। आप लोग ये क्यों नहीं कहते कि किसान कितने किलोमीटर चलता है? हिंदुस्तान का कोई भी किसान नहीं है, जो मुझसे कम चला हो। एक नहीं है। हिंदुस्तान का ऐसा एक मजदूर नहीं मिलेगा आपको, जो मुझसे कम चला है। हम ये क्यों नहीं कहते कि देखो-देखो मजदूर कितने किलोमीटर चला है? क्योंकि हम तपस्या की रेस्पेक्ट नहीं करते हैं। मैं करता हूँ। तो ये चेंज लाना है और ये देश तपस्वियों का है, ये देश पुजारियों का नहीं है, रियलिटी ये है और जैसे मैंने कहा कि इस देश को सुपर पावर बनना है, जैसा कि आप कहते रहते हो, तो तपस्वी की रेस्पेक्ट करनी पड़ेगी, उत्पादक की रेस्पेक्ट करनी पड़ेगी। उससे गले मिलना पड़ेगा, बैंक के दरवाजे उसके लिए खोलने पड़ेंगे, उसकी प्रोटेक्शन करनी पड़ेगी।





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