एक घंटा पहले
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक दुनिया में हर पांच में से तीन नवजातों को जन्म के पहले घंटे में मां का पहला पीला दूध नहीं मिल पा रहा है। भारत में यह आंकड़ा 40 फीसदी है। दुनिया में हर साल 8 लाख मौतें सिर्फ ब्रेस्टफीडिंग न होने के कारण हो रही हैं। इनमें सबसे ज्यादा 6 महीने से कम के बच्चे शामिल हैं। ऐसे मामलों में कमी लाने के लिए डब्ल्यूएचओ और यूनिसेफ हर साल 120 देशों के साथ 1-7 अगस्त तक स्तनपान सप्ताह मनाता है। स्तनपान में लापरवाही और अधूरी जानकारी मां और बच्चे की जान जोखिम में डाल सकती है। कोरोनाकाल में संक्रमित मां को ब्रेस्टफीडिंग कराना चाहिए या नहीं, ऐसे तमाम सवालों का जवाब जानने के लिए, पढ़िए रिपोर्ट-
क्या कोरोना संक्रमित महिला बच्चे को ब्रेस्टफीड करा सकती है?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) कहता है- हां, वह ऐसा कर सकती है लेकिन कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है, जैसे ब्रेस्टफीड कराते समय मास्क पहनें, बच्चे को छूने से पहले और बाद में हाथ जरूर धोएं। अगर कोरोना से संक्रमित हैं और बच्चे को ब्रेस्टफीड कराने की स्थिति में नहीं है तो एक्सप्रेसिंग मिल्क या डोनर ह्यूमन मिल्क का इस्तेमाल कर सकती हैं।
क्यों नवजात तक नहीं पहुंच रहा मां का दूध और यह कितना जरूरी है
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने नवजात और मां के दूध के बीच बढ़ती दूरी के कई कारण गिनाए हैं। डब्ल्यूएचओ और यूनिसेफ की संयुक्त रिपोर्ट के मुताबिक, ज्यादातर मामले निचले और मध्यम आमदनी वाले देशों में सामने आ रहे हैं। दूसरी सबसे बड़ी वजह भारत समेत कई देशों में फार्मा कंपनियों का ब्रेस्टमिल्क सब्सटीट्यूट का आक्रामक प्रचार करना भी है।
कब न कराएं ब्रेस्टफीडिंग
अगर मां एचआईवी पॉजिटिव, टीबी की मरीज या कैंसर के इलाज में कीमोथैरेपी ले रही है तो ब्रेस्टफीडिंग नहीं करानी चाहिए। अगर नवजात में गैलेक्टोसीमिया नाम की बीमारी पाई गई है तो मां को दूध नहीं पिलाना चाहिए। यह एक दुर्लभ बीमारी है जिसमें बच्चा दूध में मौजूद शुगर को पचा नहीं पाता। इसके अलावा अगर माइग्रेन, पार्किंसन या आर्थराइटिस जैसे रोगों की दवा पहले से ले रही हैं तो डॉक्टर को जरूर बताएं।
ब्रेस्टफीडिंग से जुड़े 5 भ्रम और सच
#1) भ्रम: स्तन का आकार छोटा होने पर पर्याप्त दूध नहीं बनता है।
सच: ब्रेस्टफीडिंग में इसका आकार मायने नहीं रखता, अगर मां स्वस्थ है तो बच्चों को पिलाने के लिए पर्याप्त दूध बनता है।
#2) भ्रम: ब्रेस्ट फीडिंग सिर्फ बच्चे के लिए फायदेमंद है मां के लिए नहीं।
सच: ऐसा नहीं है। अगर महिला शिशु को रेग्युलर ब्रेस्टफीड कराती है तो उसमें ब्रेस्ट और ओवेरियन कैंसर का खतरा कम हो जाता है। साथ ही ऑस्टियोपोरोसिस की आशंका भी कम होती है।
#3) भ्रम: रेग्युलर ब्रेस्टफीडिंग कराने से इसका साइज बिगड़ जाता है।
सच: ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। ब्रेस्टफीडिंग के दौरान मां में प्रोलैक्टिन हार्मोन रिलीज होता है जो मां को रिलैक्स और एकाग्र करने में मदद करता है। कई स्टडीज में पाया गया है कि स्तनपान से मां को टाइप-2 डायबिटीज, रुमेटाइड आर्थराइटिस और हृदय रोगों से बचाव होता है।
#4) भ्रम: मां की तबियत खराब होने पर बच्चे को ब्रेस्टफीड नहीं कराना चाहिए।
सच: मां की तबियत खराब होने पर भी बच्चे की ब्रेस्टफीडिंग बंद नहीं करनी चाहिए। इससे बच्चे की सेहत पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। अगर पहले से कोई दवा ले रही हैं तो डॉक्टर को जरूर जानकारी दें।
#5) भ्रम: पाउडर वाला मिल्क ब्रेस्ट मिल्क से बेहतर होता है।
सच: ये बिल्कुल गलत है। मां का दूध शिशु के लिए कंप्लीट फूड होता है। यह विटामिंस, प्रोटीन और फैट का सही मिश्रण होता है और बच्चे में आसानी से पच भी जाता है।
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