गोंडा: खबर गोंडा से है जहां बैराजों से डिस्चार्ज किए गए लाखो क्यूसेक पानी से गोंडा में घाघरा और सरयू नदी खतरे के निशान से लगभग 75 -93 सेंटीमीटर ऊपर बहने से दो तहसील क्षेत्रों में बाढ़ जैसे हालात हैं| नदियों के जलस्तर में लुका छुपी के खेल के चलते बाढ़ प्रभावित लोगों की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है|
कर्नलगंज तहसील क्षेत्र के नकहारा गांव के कई मजरे बाढ़ की चपेट में हैं| नदी के तलहटी पर बसे गांव के कई घरों में पानी भरा हुआ है और कई लोग विस्थापित होकर ऊंचे स्थान या बान पर शरण लेने को मजबूर है| 1 दर्जन से अधिक मजरे सहित लगभग 2000 की आबादी प्रभावित लोग आने जाने के लिए जिला प्रशासन द्वारा दी गई नावो का सहारा ले रहे हैं| जहां एक तरफ लोगों को बाढ़ में जीवन व्यतीत करने पर भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है तो पशु के लिए चारे की भी किल्लत है| जिला प्रशासन बाढ़ पीड़ितों को राशन के तिरपाल व अन्य जरूरी सामान मुहैया कराने के दावे कर रहा है लेकिन बाढ़ में फंसे लोग कुछ और ही बता रहें है।
बाढ़ ग्रस्त इलाकों के घरों में जो नदी के तलहटी पर बसा हुआ है पूरे घर में पानी है चाहे घर का रखा सामान या अन्य जरूरी सामान हर जगह पानी ही पानी है बाढ़ जैसे हालात होने के बाद अभी तक जिला प्रशासन का कोई भी अधिकारी या कर्मचारी नहीं पहुंचा है जो भी लेखपाल व अन्य कर्मचारी पहुंचते हैं बस केवल बांध पर ही पहुंच कर वहां से निकल जाते हैं जहां तक कोई नहीं पहुंचा है।
कर्नलगंज तहसील क्षेत्र के नकहारा गांव का बाढ़ ग्रस्त इलाका है जहाँ चारों तरफ पानी भरा है और जो पानी का सैलाब जो आप देख रहे हैं यह कोई नदी नहीं है बल्कि घाघरा नदी का जलस्तर ऊपर होने के चलते यहां पर बाढ़ जैसे हालात हैं| कई घर टापू में तब्दील है और कई घरों में बाढ़ का पानी घुस गया है| लोग आने जाने के लिए नाव का सहारा ले रहे हैं हर तरफ पानी ही पानी है| फसलें जलमग्न है शौचालय में पानी भरा है घरों तक पानी भरा है| घरों में रखा सामान जल मग्न है तो लोग छतों पर डेरा डालकर रहने को मजबूर है|
लोगों का कहना है कि जब से यहां बाढ़ जैसे हालात हैं कोई भी अधिकारी कर्मचारी यह नहीं आया है| बस केवल बांध पर ही आकर सर्वे करके चले जा रहे हैं,' हम लोगों को अभी तक सरकार से कोई मदद नहीं मिली है| हम चाहते हैं कि जिला प्रशासन का कोई अधिकारी लेखपाल यहां आए और हमारा दुख दर्द जाने रात में अंधेरा रहता है ना ही किसी तरह की कि सौर ऊर्जा हम लोगों को दिया गया है और कई जहरीले जंतु भी रात में घूमा करते हैं जिससे हम लोग दहशत में हैं| सारे पशु को बांध पर रहने के लिए छोड़ दिया गया। जो ग्राम प्रधान है वह अधिकारियों को यहां तक लेकर नहीं आते हैं ना ही कोई जांच करवाते हैं छतों पर रहते हैं तो रात में पानी बरसने लगता है लोगो को बहुत दिक्कत है।
वही पूरे मामले पर अपर जिला अधिकारी गोंडा राकेश सिंह का कहना है कि सरयू और घाघरा नदी खतरे के निशान से ऊपर बहने के चलते नकहारा गांव में बाढ़ जैसे हालात हैं और सभी को आने जाने के लिए नाव की व्यवस्था करा दी गई है राहत सामग्री बांटी जा रही है और त्रिपाल की व्यवस्था कराई गई जिससे लोग बांध पर रह सके जिला प्रशासन लगातार बाढ़ पीड़ितों की मदद करने में जुटा हुआ है। जिन लोगों को राहत सामग्री नहीं मिल पाई है उनको भी राहत सामग्री मुहैया कराई जाएगी।
रिपोर्ट-अतुल कुमार यादव