गोंडा: सरकार प्रदूषण से देश को बचाने की लाख कोशिशें कर ले कितने भी कानून बना ले लेकिन लेकिन गोंडा जिले में तैनात अधिकारियों और कर्मचारियों तथा नगर निकायों के चुने हुए पदाधिकारी सरकार द्वारा बनाये गए नियम कानूनों की धज्जियां उड़ाते नज़र आ रहे हैं। गोंडा में नगर पालिका परिषद को एन जी टी के नियमो का जरा भी खयाल नही है। शहर से सटे पूरे शिवा बख्तावर स्थित डंपिंग ग्राउंड में शहर के डंप कूड़े को जलाने का काम किया जा रहा है।
जी हां गोण्डा जिले के ग्राम पंचायत पुरेशिवा बख्तावर में गोंडा अयोध्या हाईवे के ठीक बगल पूरे शहर के कूड़े कचरे के ढेर जो कि नगर पालिका परिषद के द्वारा कई वर्षों से फेंक जा रहा है। इन कूड़ो कचरो की सड़न से तमाम प्रकार की बीमारियां फैल रही हैं यही नही इन कचरों में आग लगा दी गई है जिससे निकलने वाला धुआं पूरे शहर को अपनी आगोश में ले रहा है|
हालांकि एन जी टी द्वारा कूड़ों को जलाने पर रोक भी लगाई गई है और ऐसा करने वालों के ऊपर जुर्माने लगाने का भी प्रावधान है लेकिन नगर पालिका परिषद एक सरकारी तंत्र है इसलिए यहाँ के अधिकारी जुर्माने से नहीं डर रहे है, हैरत की बात तो ये है कि नगर पालिका परिषद इस तरह से लोगो के जीवन के खिलवाड़ करने में जुटा है कि वह शहर के मरे हुए जानवरो को मिट्टी में दफन करने के बजाय इसी कूड़े के ढेर में फिकवा देता है जिसकी सड़न से और भयंकर बीमारी फैलने का खतरा लगातार बना हुआ है ।
इस समस्या से परेशान होकर आस पास के लोगो ने पिछले साल पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार, मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश, मंडलायुक्त देवीपाटन मंडल गोंडा जिलाधिकारी को लिखित शिकायत भी की थी। उसके बावजूद अभी तक नगर पालिका परिषद इस समस्या पर अमल करने को तैयार नही है। वही जब इस पूरे मामले पर नगर पालिका के अधिकारियों, व ई ओ से बात की गई तो वे कैमरे पर कुछ भी बोलने से परहेज करते दिखे।
आपको बता दें गोंडा में नगर पालिका खड़ाऊ राज के सहारे चल रहा है यहां से निर्वाचित पालिका अध्यक्षा उजमा राशिद हैं। लेकिन उनकी जगह पर उनके पिता कमरुद्दीन जो पूर्व में पालिका अध्यक्ष रह चुके हैं सारा कार्यभार देख रहे हैं। उजमा राशिद केवल कुछ कार्यक्रमों में ही गोंडा में नजर आती हैं अध्यक्ष की कुर्सी पर भी उनके पिता कमरुद्दीन विराजमान नजर आते हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि जब उच्च पदों पर आसीन लोग ही खड़ाऊ राज के सहारे सब कुछ चला रहे हैं तो फिर आम जनता का भला कैसे होगा।
रिपोर्ट-अतुल कुमार यादव