गोंडा: यूपी के गोंडा जिले से एक ऐसी तस्वीर निकल कर आई है जिसे देखकर आप भी हैरान हो जाएंगे। जी हां हम बात कर रहे हैं नगर पालिका कूड़ा डंप ग्राउंड की जहां करीब 10 वर्ष पहले असम प्रदेश से आया एक बड़ा तपका(वर्ग) अपने बच्चों के साथ आज भी कूड़ा कचरा बीनने को मजबूर हैं और यही वजह है आज जिन हाथों में किताब होनी चाहिए थी उनकी मजबूरी लाचारी उनके हाथों में कूड़ा उठवा रही है। यही बच्चे हमारा कल है क्योंकि यही पढ़ लिख कर देश का भविष्य बन सकते हैं अगर सरकार और जिला प्रशासन इन लाचार और बेबस बच्चों पर ध्यान दें। तो देश का कल और बेहतर हो सकता है।
जहां एक तरफ केंद्र व प्रदेश सरकार गरीब मजदूरों को रोजगार देने की बात करती है वहीं सरकार के सारे दावे फेल होते नजर आ रहे हैं... असम प्रदेश से चलकर गरीबी दूर करने के लिए गोंडा आए इन मासूम बच्चों को करीब 10 वर्ष हो गया लेकिन जिला प्रशासन व सरकार इन छोटे-छोटे बच्चों के परिवार को ना तो रोजगार दे पाई और ना ही कोई जीवन यापन करने का साधन जिसके चलते मजबूर होकर अपने परिवार के साथ छोटे-छोटे बच्चों को साथ लेकर कूड़ा कचरा बीन कर उसे बेचकर अपना जीवन यापन करते हैं... छोटे-छोटे बच्चे अपने परिवार के साथ प्रदूषण भरे ग्राउंड के पास ही रोटी खाने को मजबूर हैं।
आइए आपको दिखाते हैं शहर के ठीक पीछे कूड़ा डंपिंग ग्राउंड से निकल कर आए एक ऐसी तस्वीर जिसमें छोटे छोटे बच्चे अपने परिवार के साथ रोटी खाकर गरीबी की मार झेल रहे है।
वही जब कूड़ा बीनने वाले एक छोटे बच्चे सलमान अली से बात की गई तो उसने कहा कि हमारे परिवार वाले गरीब है इसी लिए हम ये कचरा बीनकर इसे बेचकर रोटी खाते है। हम अच्छे स्कूल में नहीं पढ़ पा रहे है गरीब है हम भी चाहते हैं कि पढ़कर अफसर बन सकें। वही जब महिला परिजन से बात की गई तो उसने कहा कि हम लोग गरीब हैं अपने बच्चे को पढ़ाकर अफसर बनाना चाहते हैं लेकिन सरकार कोई सुविधा नहीं दे रही है।
रिपोर्ट-अतुल कुमार यादव