डॉ. रीना रवि मालपानी द्वारा लिखित कविता, “शिव शंभू की निराली छवि”
“शिव शंभू की निराली छवि”------
जो है श्रीराम के आराध्य।
जिनकी स्तुति है सर्वत्र साध्य॥
त्याग का अद्वितीय पर्याय।
सर्वहिताय में जो होते सहाय॥
आठों यम करते जिनकी आराधना।
पार्वती ने की जिनकी पूर्ण मनोभाव से साधना॥
हिमगिरि की चोटी पर है जिनका निवास।
कालचक्र में जो निर्धारित करते सबकी श्वास॥
सावन खुद शिव को जल अर्पित करता।
इसलिए यह माह तो प्रकृति को भी खूब भाता॥
क्षण में जो बन सकते प्रलयंकर।
कर्पूर वर्ण है भोले नाथ शिव शंकर।।
केवल जलधारा से ही होते जो प्रसन्न।
ऐसे शिव रहते सदैव ध्यानमग्न॥
मस्तक पर चंद्रमा और गले में भुजंग माला।
शिव का रूप तो है निराला जिसने पिया विष का प्याला॥
शिव करते है सदैव राम नाम का रमण।
नंदी पर गौरा के साथ करते संसार का भ्रमण॥
शिव की शिक्षाओं को अपनाना नहीं है आसान।
पर स्वीकार कर लेने से जीवन बन जाएगा वरदान॥
मनोकामना पूर्ति का शिव पूजन तो है सरल उपाय।
डॉ. रीना कहती, भावों की माला से भजो ॐ नमः शिवाय॥
डॉ. रीना रवि मालपानी (कवयित्री एवं लेखिका)