प्रकाश का पर्व—दीवाली—हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है, जो न केवल अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है, बल्कि जीवन में शांति, समृद्धि और सकारात्मकता का भी संदेश देता है। हर साल भारत और विदेशों में बसे भारतीय इस पर्व को बड़े उत्साह और धूमधाम के साथ मनाते हैं। इसे "Festival of Lights" यानी कि प्रकाश का पर्व इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इस दिन घर-घर दीप जलाए जाते हैं जो अंधकार को दूर कर घर और मन में नई ऊर्जा का संचार करते हैं।
दीवाली के पीछे सबसे प्रमुख कथा रामायण से जुड़ी है। ऐसा माना जाता है कि जब भगवान राम, सीता माता और लक्ष्मण 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या लौटे, तो अयोध्या के निवासियों ने उनका स्वागत दीपों की रोशनी से किया। इसी कारण इस दिन को दीपावली के रूप में मनाया जाता है।
कई लोग यह भी मानते हैं कि महाभारत के समय पांडवों के 12 वर्षों के वनवास और 1 वर्ष के अज्ञातवास के बाद लौटने पर भी दीप जलाए गए थे, जिसे दीवाली के रूप में मनाया गया था।
धार्मिक मान्यता के अनुसार दीवाली के दिन माता लक्ष्मी का जन्म हुआ था। इस दिन लक्ष्मी पूजा का विशेष महत्व होता है, ताकि वे घर में समृद्धि और खुशहाली का आशीर्वाद दें।
दीवाली का आरंभ धनतेरस से होता है। इस दिन सोने, चांदी, और बर्तनों की खरीदारी शुभ मानी जाती है। ऐसा माना जाता है कि इससे घर में समृद्धि और सौभाग्य आता है।
इस दिन को भगवान कृष्ण द्वारा नरकासुर राक्षस का वध करने के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने घर की सफाई करते हैं और अपने घरों को सजाते हैं ताकि नकारात्मक ऊर्जा को दूर किया जा सके।
दीपावली के मुख्य दिन पर लोग अपने घरों को दीपों और रंगोली से सजाते हैं, नए कपड़े पहनते हैं, और लक्ष्मी पूजा करते हैं। यह वह दिन है जब पूरा वातावरण प्रकाश और खुशबू से भर जाता है।
दीवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा होती है। यह दिन भगवान कृष्ण द्वारा इंद्र देव के अहंकार को समाप्त करने की याद में मनाया जाता है। इस दिन लोग गोवर्धन पर्वत के प्रतीक के रूप में गोबर से छोटी-छोटी पहाड़ियां बनाते हैं और उनकी पूजा करते हैं।
दीवाली के आखिरी दिन भाई दूज मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए पूजा करती हैं और भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं।
वर्तमान में दीवाली परंपरागत पूजा-अर्चना के साथ-साथ आधुनिकता का भी अंश बन चुकी है। आजकल लोग दीवाली पर पटाखे चलाने, मिठाई बांटने, और एक-दूसरे को उपहार देने का भी विशेष ध्यान रखते हैं। हालांकि, हाल के वर्षों में पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ी है, जिससे दीवाली पर पटाखों के उपयोग को सीमित करने की पहल भी की जा रही है।
दीवाली के उत्साह में पर्यावरण का ध्यान रखना बहुत महत्वपूर्ण है। यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं:
दीवाली, "प्रकाश का पर्व," एक ऐसा पर्व है जो हर भारतीय के दिल के करीब है। इसके पीछे छिपा संदेश है कि हमें अपने जीवन के हर अंधेरे को दूर करना चाहिए और अच्छाई के प्रकाश से अपनी जिंदगी को रोशन करना चाहिए। यह पर्व हमें भाईचारा, प्रेम और उल्लास का संदेश देता है, इसलिए इसे पूरे परिवार के साथ मिलकर मनाना चाहिए।
इस दीवाली, आइए संकल्प लें कि हम न केवल अपने घरों में बल्कि अपने दिलों में भी प्रकाश फैलाएंगे। दीवाली मनाएं, प्रकृति का ख्याल रखें, और अपने परिवार और दोस्तों के साथ खुशियाँ बाँटें!