नई दिल्ली: दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने दिल्ली नगर निगम में 6000 करोड़ के घोटाले का आरोप लगाते हुए इसकी सीबीआई (CBI) जांच की मांग की है। उन्होंने इस संबंध में उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना को पत्र लिखा है। उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना को लिखे खत में मनीष सिसोदिय ने कहा, ‘‘ मैं दिल्ली नगर निगम के एक बहुत बड़े भ्रष्टाचार की ओर दिलाते हुए आपसे विनती करना चाहता हूं कि इस मामले की तुरंत सीबीआई जांच कराई जाए और भ्रष्टाचार में शामिल कर्मचारियों, अधिकारियों और नेताओं के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाए. दिल्ली नगर निगम में इस भ्रष्टाचार के कारण दिल्ली नगर निगम को करीब ₹6000 करोड़ का नुकसान हो चुका है.
डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिय ने कहा, ‘‘यह मामला दिल्ली में प्रवेश करने वाले कमर्शियल वाहनों से वसूले जाने वाले टोल टैक्स से संबंधित है. आप जानते ही हैं कि दिल्ली में उत्तर प्रदेश अथवा हरियाणा की तरफ से आने वाले वाहन 124 प्रवेश मार्गों से शहर में अंदर आते हैं. रोजाना आने वाले वाहनों में करीब 10 लाख वाहन कमर्शियल होते हैं जिसमें टैक्सी से लेकर टेंपो, बस और बड़े ट्रक तक शामिल हैं. इन सभी कमर्शियल वाहनों के दिल्ली में प्रवेश करते समय दिल्ली नगर निगम इनसे टोल टैक्स के रूप में ₹100 से लेकर ₹1200 को नया लुकप्रति वाहन तक की वसूली करता
सिसोदिय ने कहा, ‘‘दिल्ली नगर निगम ने वर्ष 2017 में टोल टैक्स कलेक्शन के लिए एमईपी इन्फ्राट्रक्चर डेवलपर्स लिमिटेड नाम की कंपनी को इसका ठेका दिया. वर्ष 2017 में दिए गए ठेके के मुताबिक इस कंपनी को दिल्ली नगर निगम को हर साल ₹1200 करोड रुपए देने थे. इस कंपनी ने पहले वर्ष में तो पूरा पैसा नगर निगम को दिया लेकिन उसके बाद नगर निगम के नेतृत्व से मिलीभगत करके इसने नगर निगम को पैसा देना लगभग बंद ही कर दिया. इसमें कभी 20% तो कभी 30% पैसा ही नगर निगम को दिया और दिल्ली में प्रवेश करने वाले कमर्शियल वाहनों से वसूला गया सारा का सारा पैसा खुद ही नगर निगम के नेतृत्व के साथ मिलकर खा गया. दिल्ली नगर निगम को पैसा ना मिलने की स्थिति में तुरंत टेंडर कैंसिल करके कंपनी को ब्लैक लिस्ट कर देना चाहिए था और नया टेंडर करना चाहिए था लेकिन एमसीडी ने 4 साल तक कुछ नहीं किया .
उन्होंने कहा, ‘‘हजारों करोड़ों का गबन होने के बाद दिल्ली नगर निगम ने 2021 में नया टेंडर किया और इस बार पुरानी कंपनी के डायरेक्टर्स की ही दूसरी कंपनी शंकर ग्लोबल लिमिटेड को यह टेंडर से 786 करोड रुपए प्रतिवर्ष की दर पर दे दिया. दिल्ली में प्रवेश होने वाले वाहनों की संख्या लगातार बढ़ने के बावजूद ₹1200 करोड़ रुपए वाला टेंडर ₹786 करोड में दे दिया गया.
सिसोदिय ने कहा, ‘‘यह जांच का विषय है कि जिस टेंडर से आने वाले वर्षों में नगर निगम को और ज्यादा पैसा मिलना चाहिए था वह इतने कम दाम पर किसके दबाव में और किस को फायदा पहुंचाने के लिए दे दिया गया. इतना ही नहीं आगे चलकर इस कंपनी को कोरोनावायरस 183 करोड़ की छूट भी दे दी गई. और अब पता चला है यह कंपनी इतने कम दाम में टेंडर लेने के बावजूद नगर निगम को टैक्स का पूरा पैसा नहीं दे रही है. एमसीडी के नेतृत्व की मिलीभगत के चलते इसे इतनी कम वार्षिक फीस देने में भी लगातार छूट दी जा रही है.
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे यह भी पता चला है कि दिल्ली नगर निगम के अधिकारियों ने इस तरह इस कंपनी को टेंडर दिए जाने और इतनी छूट दिए जाने के फैसले पर लगातार आपत्ति की है लेकिन उसके बावजूद लगातार अनुचित फायदा पहुंचाया जा रहा है. यह एक बहुत बड़ा घोटाला है इसकी तुरंत सीबीआई से जांच की जानी चाहिए और इसमें जो भी दोषी हैं उन पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. साथ ही जनता का जो पैसा, जो दिल्ली में आने वाले सभी कमर्शियल वाहनों से तो वसूल लिया गया लेकिन नगर निगम के खाते में कभी नहीं आया, उसकी वसूली भी तुरंत की जानी चाहिए.
LG को संबोधित करते हुए डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिय ने कहा, ‘‘मुझे पूरी उम्मीद है कि आप तुरंत इस मामले को सीबीआई को सौंपने का निर्देश देंगे और इसमें शामिल अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का