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China Artificial Sun: चीन ने धरती पर ही बना लिया 'अपना सूरज', आखिर ड्रैगन इसका क्या करेगा?

  • by: news desk
  • 12 March, 2025
China Artificial Sun: चीन ने धरती पर ही बना लिया 'अपना सूरज', आखिर ड्रैगन इसका क्या करेगा?

चीन ने एक बार फिर से वैज्ञानिक प्रगति में अपनी अग्रणी स्थिति साबित करते हुए 'नकली सूरज' यानी आर्टिफिशियल सन बनाने में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। इस परियोजना का उद्देश्य सुरक्षित, स्वच्छ और असीमित ऊर्जा का उत्पादन करना है, जिससे देश की बढ़ती ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके।


क्या है चीन का 'नकली सूरज'?

चीन के वैज्ञानिकों ने इस कृत्रिम सूरज को EAST (Experimental Advanced Superconducting Tokamak) नाम दिया है। यह एक परमाणु संलयन (Nuclear Fusion) रिएक्टर है, जो उसी प्रक्रिया के जरिए ऊर्जा उत्पन्न करता है जिससे सूर्य और अन्य तारों में ऊर्जा बनती है। यह हाइड्रोजन परमाणुओं को मिलाकर हीलियम बनाता है, जिससे अत्यधिक मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न होती है।


नया विश्व रिकॉर्ड

चीन के कृत्रिम सूरज ने हाल ही में 10 लाख एम्पीयर से अधिक प्लाज्मा करंट उत्पन्न कर नया कीर्तिमान स्थापित किया है। इससे पहले, यह 100 मिलियन डिग्री सेल्सियस तापमान को 1,066 सेकंड तक बनाए रखने में सफल रहा था। अब इसने 403 सेकंड तक उच्च तापमान पर ऊर्जा उत्पादन करने का नया रिकॉर्ड बनाया है।


चीन इस तकनीक का उपयोग क्यों कर रहा है?

चीन टोकामक मशीन की मदद से ऐसी ऊर्जा विकसित करना चाहता है जो सुरक्षित, स्वच्छ और अक्षय हो। मौजूदा न्यूक्लियर फिजन (Nuclear Fission) तकनीक की तुलना में न्यूक्लियर फ्यूजन अधिक सुरक्षित मानी जाती है, क्योंकि इसमें रेडियोएक्टिव कचरे की मात्रा बेहद कम होती है। यह तकनीक हरित ऊर्जा (Green Energy) को बढ़ावा देने में सहायक होगी और पर्यावरण संरक्षण में योगदान देगी।


क्या हैं फायदे?

  • असीमित ऊर्जा स्रोत: यह सूर्य की ऊर्जा उत्पादन प्रक्रिया की नकल करता है, जिससे लगातार ऊर्जा उत्पन्न हो सकती है।
  • पर्यावरण हितैषी: इससे ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन नहीं होता, जिससे जलवायु परिवर्तन से लड़ने में मदद मिलेगी।
  • न्यूनतम रेडियोएक्टिव कचरा: पारंपरिक परमाणु संयंत्रों की तुलना में यह तकनीक बहुत कम रेडियोएक्टिव कचरा उत्पन्न करती है।

अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और भविष्य की योजनाएं

चीन का लक्ष्य परमाणु संलयन ऊर्जा को वैश्विक स्तर पर व्यावहारिक बनाना है। इसके लिए चीन अंतर्राष्ट्रीय थर्मोन्यूक्लियर एक्सपेरिमेंटल रिएक्टर (ITER) परियोजना में भी भाग ले रहा है, जिसमें कई देशों के वैज्ञानिक सहयोग कर रहे हैं।


निष्कर्ष

चीन का 'नकली सूरज' भविष्य में अक्षय ऊर्जा का एक प्रमुख स्रोत बन सकता है। यदि यह तकनीक व्यावसायिक रूप से सफल हो जाती है, तो यह पूरी दुनिया के लिए ऊर्जा संकट का समाधान प्रदान कर सकती है।

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