नई दिल्ली: इंडियन नेशनल लोकदल के के नेता और ऐलनाबाद से विधायक अभय सिंह चौटाला ने हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता को विधायक पद से अपना इस्तीफा भेज दिया है। सोमवार को हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष को भेजे पत्र में अभय सिंह चौटाला ने लिखा हैं, "अगर 26 जनवरी तक केंद्र कृषि कानूनों को वापस नहीं लेता है, तो, इस पत्र को राज्य विधानसभा से मेरा इस्तीफा माना जाना चाहिए"।
चौटाला ने कहा कि,''चौधरी देवीलाल अपने वादों को पूरा करते थे और यहां तक कि वीपी सिंह के लिए भी पीएम पद छोड़ दिया था। मैंने अब तक 30-32 गांवों के लोगों से बात की है। उनका विचार है कि मुझे पद छोड़ देना चाहिए। अगर 26 जनवरी तक मांगें पूरी नहीं होती हैं, तो मेरा इस्तीफा 27 तारीख को स्वीकार कर लिया जाएगा|
चौटाला ने कहा कि चौधरी देवी लाल जी ने हमेशा किसानों के लिए संघर्ष किया, आज वही परिस्थितियां देश-प्रदेश में फिर से खड़ी हो गई हैं। किसानों पर आए इस संकट की घड़ी में उनका यह दायित्व बनता है कि वे हर संभव प्रयास करें ताकि किसानों के भविष्य और अस्तित्व पर आए खतरे को टाला जा सके।
उन्होंने लिखा कि केंद्र की सरकार ने असांविधानिक व अलोकतांत्रिक तरीके से तीन कृषि कानून किसानों पर थोप दिए हैं जिसका विरोध देशभर में हो रहा है। इन कृषि कानूनों के विरोध और आंदोलन को अब तक 47 से अधिक दिन हो गए हैं और कड़ाके की ठंड में लाखों किसान दिल्ली बॉर्डर पर धरने पर बैठे हैं। अब तक भीषण ठंड के कारण साठ से ज्यादा किसान शहीद हो चुके हैं लेकिन सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही। केंद्र की सरकार किसान संगठनों से आठ दौर की वार्ता कर चुकी है लेकिन अभी तक सरकार ने इन काले कानूनों को वापस लेने के पर सहमति नहीं दिखाई है।
कहा कि,'' सरकार ने जिस तरह की परिस्थितियां बनाई हैं, उन्हें देखते हुए ऐसा नहीं लगता है कि विधानसभा के एक जिम्मेदार सदस्य के रूप में मैं कोई ऐसी भूमिका निभा सकता हूं जिससे किसानों के हितों की रक्षा की जा सके। अत: एक संवेदनहीन विधानसभा में मेरी मौजदूगी कोई महत्व नहीं रखती। यदि भारत सरकार इन तीन काले कानूनों को 26 जनवरी, 2021 तक वापस नहीं लेती तो इस पत्र को विधानसभा से मेरा त्याग पत्र समझा जाए। उन्होंने दावा किया कि उनके इस्तीफा देने के बाद हरियाणा विधानसभा से इस्तीफा देने वालों की झड़ी लग जाएगी।
उन्होंने कहा कि ग्रामीणों ने उनसे कहा है कि उनके इस्तीफा देने से ही सही मायने में चौधरी देवीलाल की विरासत आगे बढ़ेगी क्योंकि चौधरी देवीलाल ने भी जनता और किसानों के विरोध में जब भी कोई निर्णय हुए, हमेशा प्राथमिकता के आधार पर अपना इस्तीफा दिया था।